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फिल्मी है इस जीजा-साले की कहानी, फर्जी IPS बन कई नेताओं और अधिकारियों को ठगा

फर्जी आईएएस और आईपीएस अफसर बताकर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने वाली जीजा साले की जोड़ी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

जीजा-साले की फर्जी IPS-IAS वाली जोड़ी etv bharat
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Published : Aug 1, 2019, 11:15 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: अपने आप को कभी आईएएस और कभी आईपीएस अफसर बताने वाले 2 लोगों को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये आरोपी ट्रांसफर-पोस्टिंग और अपना व्यक्तिगत काम करने का दबाव बनाते थे.

जीजा-साले की फर्जी IPS-IAS वाली जोड़ी

एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि बीती 26 जुलाई को राजीव कुमार शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने थाना सेक्टर-20 में शिकायत दी थी. राजीव ने शिकायत में कहा कि बीजेपी के प्रदेश महासचिव का नाम लेकर अधिकारियों को फोन कर अनुचित काम के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

फर्जीवाड़ा ही 'आधार'
इस मामले की एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि फर्जी आईपीएस/आईएएस वाले की पहचान 27 साल के आदित्य उर्फ गौरव मिश्रा पुत्र राजकुमार मिश्रा के नाम से हुई है. पिता चार्टेड अकाउंटेट हैं. इसने पढ़ाई आईईसी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एवं इन्जीनियरिंग नॉलेज पार्क-2, ग्रेटर नोएडा से साल 2012 में मैकेनिकल लैटेरल एन्ट्री से बीटेक किया है.

मुखबिर की सूचना पर धर-पकड़
एसएसपी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस सेक्टर-18 मेट्रो स्टेशन के पास से होण्डा अमेज में बैठे दो लोगों को पकड़ा है. उसमें एक व्यक्ति आशुतोष राठी है. वह बीजेपी के प्रदेश महासचिव (संगठन) का नाम लेकर लोगों को ठगता था.
दूसरा व्यक्ति गौरव मिश्रा है. जिसने पकड़े जाने पर पुलिस टीम पर दवाब बनाने के लिये अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का सीनियर आईपीएस अधिकारी बताया. आशुतोष राठी गौरव मिश्रा का साला है. पुलिस टीम को शक होने पर गौरव मिश्रा और आशुतोष राठी से विस्तृत पूछताछ की गयी और उनके मोबाइल फोन की डिटेल चेक की गई. जिसमें कई सनसनीखेज बातों का पता चला.

वर्दी देख बना फर्जी आईपीएस
एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि पूछताछ में अभियुक्त गौरव ने बताया कि वह मोबाइल नं. 8744006566, 9810890327, 8510080087, 7503069870 से फर्जी आईपीएस/आईएएस अधिकारी बनकर अधिकारियों पर अनुचित दवाब डलवाता था. गौरव मिश्रा ने साल 2012 में गूगल पर पूर्वोत्तर भारत में पोस्टेड एक महिला आईपीएस की वर्दी में फोटो देखी थी. उसी से प्रेरित होकर वह फर्जी आईपीएस बनने की लालसा जागी.

आईपीएस की वर्दी पहनकर चीफ गेस्ट
इसी बीच वह चंडीगढ़ गया और वहीं से आईपीएस की वर्दी तैयार करवाई. वापस आने के बाद उसने ग्रेटर नोएडा स्थित एक यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार से सम्पर्क किया और उन्हें अपना परिचय आईपीएस के रूप में दिया.
उसने दिल्ली में पोस्टिंग बताई और यूनिवर्सिटी में एक एडमिशन एमबीबीएस कोर्स में कराने की सिफारिश की. उसकी रजिस्ट्रार से फोन पर बात होती रहती थी. रजिस्ट्रार से परिचय होने के बाद एक बार उस यूनिवर्सिटी में अभियुक्त फर्जी आईपीएस की वर्दी पहनकर चीफ गेस्ट बनकर गया था. इतना ही नहीं, गौरव मिश्रा अपनी पत्नी का परिचय भी आईएएस के रूप में देता था.

2012 में हुआ था गिरफ्तार
एसएसपी ने बताया कि इसी प्रकार से फर्जी आईएएस और आईपीएस बनकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में नोएडा पुलिस ने 9 जुलाई 2012 को आईपीएस की वर्दी पहने हुए अभियुक्त गौरव मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
जेल से बाहर आने के बाद अभयुक्त ने ग्रेटर नोएडा में अपने घर से डेयरी प्रोडक्ट्स सप्लाई का काम शुरू किया.


साल 2014 में गौरव की मुलाकात गुजरात के एक प्राइवेट लाइजनर सुजीत से हुई. वह अधिकारियों और नेताओं से मिलता-जुलता रहता था. उसके साथ अभियुक्त 7-8 महीने रहा. उसी से गौरव ने सीखा कि कैसे अधिकारियों और नेताओं से काम कराया जाता है.

एडमिशन कराकर कमाए लाखों रुपये
सुजीत के सम्बन्ध पीएमओ में तैनात एक आईएएस अधिकारी से थे. सुजीत के जरिये ही अभियुक्त एक आईएएस अधिकारी से मिला और धीरे-धीरे मंत्रालय में विभिन्न अधिकारियों तथा मंत्रियों के प्राइवेट सेक्रेटरी से मुलाकात हुई. इन्हीं लोगों का नाम लेकर अभियुक्त लोगों के काम कराने लगा. इन्हीं संबंधों का दुरुपयोग करते हुए कई प्रतिष्ठित विद्यालयों में चार-पांच एडमिशन कराकर लाखों रुपये की कमाई भी की.


एसएसपी ने बताया कि सुजीत ने अभियुक्त की मुलाकात अपने मित्र आलोक से करायी. इसका भी काम नेताओं व अधिकारियों से मेलजोल बढ़ाकर कार्य कराना था, लेकिन ये लोग कोई फर्जी आईपीएस या आईएएस नहीं बनते थे.

आईपीएस-आईपीएस से मिलने का खेल
अभियुक्त गौरव मिश्रा आलोक के साथ लाइजनिंग का काम करने लगा. आलोक ने अभियुक्त को यूपी कैडर के एक आईपीएस अधिकारी से दिल्ली में मिलवाया. उन्होंने ही अभियुक्त को दिल्ली में अपने बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी से मिलवाया.


इसी के बाद अभियुक्त अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का आईपीएस अधिकारी बताने लगा. अभियुक्त अपना परिचय आईपीएस अधिकारी के रूप में देकर लोगों को फोन किया करता और काम कराकर उनसे रुपये ऐंठता. गौरव मिश्रा ने कई नामों से अपना पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवा रखा था.

खुद को सीनियर आईएएस बताता था
एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त गौरव मिश्रा खुद को सीनियर आईएएस और आईपीएस बताकर अधिकारियों से संपर्क करता था. उन्हें प्रभाव में लेकर अपने अनुचित कार्य करने का दबाव बनाता था.
उन्हीं अधिकारियों के माध्यम से अन्य अधिकारियों से संपर्क करता था क्योंकि अधिकारियों को अन्य अधिकारी द्वारा अभियुक्त का नंबर एक सीनियर आईपीएस आईएएस के रूप में बताया जाता था. इसलिए अधिकारियों को इस पर संदेह नहीं होता था. इस प्रकार इसने अपने धोखाधड़ी का यह पूरा जंजाल बिछा रखा था. अभियुक्त ने कई कांस्टेबल/ उप-निरीक्षक/ निरीक्षक से ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसे ऐंठे थे.


एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि अभी तक अभियुक्त ने धोखाधड़ी और ठगी कर लाखों रुपये वसूले हैं. अभियुक्त का साला आशुतोष राठी कई अधिकारियों को जानता है. जिनके नाम का सहारा लेकर अभियुक्त लोगों से पैसा लेकर उनके काम कराता था.

नई दिल्ली/नोएडा: अपने आप को कभी आईएएस और कभी आईपीएस अफसर बताने वाले 2 लोगों को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये आरोपी ट्रांसफर-पोस्टिंग और अपना व्यक्तिगत काम करने का दबाव बनाते थे.

जीजा-साले की फर्जी IPS-IAS वाली जोड़ी

एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि बीती 26 जुलाई को राजीव कुमार शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने थाना सेक्टर-20 में शिकायत दी थी. राजीव ने शिकायत में कहा कि बीजेपी के प्रदेश महासचिव का नाम लेकर अधिकारियों को फोन कर अनुचित काम के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

फर्जीवाड़ा ही 'आधार'
इस मामले की एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि फर्जी आईपीएस/आईएएस वाले की पहचान 27 साल के आदित्य उर्फ गौरव मिश्रा पुत्र राजकुमार मिश्रा के नाम से हुई है. पिता चार्टेड अकाउंटेट हैं. इसने पढ़ाई आईईसी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एवं इन्जीनियरिंग नॉलेज पार्क-2, ग्रेटर नोएडा से साल 2012 में मैकेनिकल लैटेरल एन्ट्री से बीटेक किया है.

मुखबिर की सूचना पर धर-पकड़
एसएसपी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस सेक्टर-18 मेट्रो स्टेशन के पास से होण्डा अमेज में बैठे दो लोगों को पकड़ा है. उसमें एक व्यक्ति आशुतोष राठी है. वह बीजेपी के प्रदेश महासचिव (संगठन) का नाम लेकर लोगों को ठगता था.
दूसरा व्यक्ति गौरव मिश्रा है. जिसने पकड़े जाने पर पुलिस टीम पर दवाब बनाने के लिये अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का सीनियर आईपीएस अधिकारी बताया. आशुतोष राठी गौरव मिश्रा का साला है. पुलिस टीम को शक होने पर गौरव मिश्रा और आशुतोष राठी से विस्तृत पूछताछ की गयी और उनके मोबाइल फोन की डिटेल चेक की गई. जिसमें कई सनसनीखेज बातों का पता चला.

वर्दी देख बना फर्जी आईपीएस
एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि पूछताछ में अभियुक्त गौरव ने बताया कि वह मोबाइल नं. 8744006566, 9810890327, 8510080087, 7503069870 से फर्जी आईपीएस/आईएएस अधिकारी बनकर अधिकारियों पर अनुचित दवाब डलवाता था. गौरव मिश्रा ने साल 2012 में गूगल पर पूर्वोत्तर भारत में पोस्टेड एक महिला आईपीएस की वर्दी में फोटो देखी थी. उसी से प्रेरित होकर वह फर्जी आईपीएस बनने की लालसा जागी.

आईपीएस की वर्दी पहनकर चीफ गेस्ट
इसी बीच वह चंडीगढ़ गया और वहीं से आईपीएस की वर्दी तैयार करवाई. वापस आने के बाद उसने ग्रेटर नोएडा स्थित एक यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार से सम्पर्क किया और उन्हें अपना परिचय आईपीएस के रूप में दिया.
उसने दिल्ली में पोस्टिंग बताई और यूनिवर्सिटी में एक एडमिशन एमबीबीएस कोर्स में कराने की सिफारिश की. उसकी रजिस्ट्रार से फोन पर बात होती रहती थी. रजिस्ट्रार से परिचय होने के बाद एक बार उस यूनिवर्सिटी में अभियुक्त फर्जी आईपीएस की वर्दी पहनकर चीफ गेस्ट बनकर गया था. इतना ही नहीं, गौरव मिश्रा अपनी पत्नी का परिचय भी आईएएस के रूप में देता था.

2012 में हुआ था गिरफ्तार
एसएसपी ने बताया कि इसी प्रकार से फर्जी आईएएस और आईपीएस बनकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में नोएडा पुलिस ने 9 जुलाई 2012 को आईपीएस की वर्दी पहने हुए अभियुक्त गौरव मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
जेल से बाहर आने के बाद अभयुक्त ने ग्रेटर नोएडा में अपने घर से डेयरी प्रोडक्ट्स सप्लाई का काम शुरू किया.


साल 2014 में गौरव की मुलाकात गुजरात के एक प्राइवेट लाइजनर सुजीत से हुई. वह अधिकारियों और नेताओं से मिलता-जुलता रहता था. उसके साथ अभियुक्त 7-8 महीने रहा. उसी से गौरव ने सीखा कि कैसे अधिकारियों और नेताओं से काम कराया जाता है.

एडमिशन कराकर कमाए लाखों रुपये
सुजीत के सम्बन्ध पीएमओ में तैनात एक आईएएस अधिकारी से थे. सुजीत के जरिये ही अभियुक्त एक आईएएस अधिकारी से मिला और धीरे-धीरे मंत्रालय में विभिन्न अधिकारियों तथा मंत्रियों के प्राइवेट सेक्रेटरी से मुलाकात हुई. इन्हीं लोगों का नाम लेकर अभियुक्त लोगों के काम कराने लगा. इन्हीं संबंधों का दुरुपयोग करते हुए कई प्रतिष्ठित विद्यालयों में चार-पांच एडमिशन कराकर लाखों रुपये की कमाई भी की.


एसएसपी ने बताया कि सुजीत ने अभियुक्त की मुलाकात अपने मित्र आलोक से करायी. इसका भी काम नेताओं व अधिकारियों से मेलजोल बढ़ाकर कार्य कराना था, लेकिन ये लोग कोई फर्जी आईपीएस या आईएएस नहीं बनते थे.

आईपीएस-आईपीएस से मिलने का खेल
अभियुक्त गौरव मिश्रा आलोक के साथ लाइजनिंग का काम करने लगा. आलोक ने अभियुक्त को यूपी कैडर के एक आईपीएस अधिकारी से दिल्ली में मिलवाया. उन्होंने ही अभियुक्त को दिल्ली में अपने बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी से मिलवाया.


इसी के बाद अभियुक्त अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का आईपीएस अधिकारी बताने लगा. अभियुक्त अपना परिचय आईपीएस अधिकारी के रूप में देकर लोगों को फोन किया करता और काम कराकर उनसे रुपये ऐंठता. गौरव मिश्रा ने कई नामों से अपना पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवा रखा था.

खुद को सीनियर आईएएस बताता था
एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त गौरव मिश्रा खुद को सीनियर आईएएस और आईपीएस बताकर अधिकारियों से संपर्क करता था. उन्हें प्रभाव में लेकर अपने अनुचित कार्य करने का दबाव बनाता था.
उन्हीं अधिकारियों के माध्यम से अन्य अधिकारियों से संपर्क करता था क्योंकि अधिकारियों को अन्य अधिकारी द्वारा अभियुक्त का नंबर एक सीनियर आईपीएस आईएएस के रूप में बताया जाता था. इसलिए अधिकारियों को इस पर संदेह नहीं होता था. इस प्रकार इसने अपने धोखाधड़ी का यह पूरा जंजाल बिछा रखा था. अभियुक्त ने कई कांस्टेबल/ उप-निरीक्षक/ निरीक्षक से ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसे ऐंठे थे.


एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि अभी तक अभियुक्त ने धोखाधड़ी और ठगी कर लाखों रुपये वसूले हैं. अभियुक्त का साला आशुतोष राठी कई अधिकारियों को जानता है. जिनके नाम का सहारा लेकर अभियुक्त लोगों से पैसा लेकर उनके काम कराता था.

Intro:नोएडा। अपने को कभी आईएएस और कभी आईपीएस अफसर बताकर ट्रांसफर पोस्टिंग कराने और अपना व्यक्तिगत काम करने का दबाव बनाने के दो आरोपियों को थाना सेक्टर-20 की पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि बीती 26 जुलाई को राजीव कुमार शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने थाना सेक्टर-20 में शिकायत दी कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव (संगठन) का नाम लेकर अधिकारियों को फोन कर अनुचित काम के लिए दबाव बना रहा है। इस मामले की एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की। पता चला कि फर्जी आईपीएस/ आईएएस का नाम आदित्य उर्फ गौरव मिश्रा पुत्र राजकुमार मिश्रा, उम्र-27 वर्ष, वास्तविक जन्म तिथि-14.08.1990 थी। बाद में नाम बदलने के समय जन्मतिथि 14.08.1994 कराई गयी। मूल पता- ग्राम भौनी थाना शंकरगढ़,जिला प्रयागराज है। वर्तमान पता- आई-566 एल्फा-2 ग्रेटर नोएडा व ओरा चिमेरा ई-907 राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद है। पिता चार्टेड अकाउंटेट हैं। शिक्षा-आईईसी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एवं इन्जीनियरिंग नॉलेज पार्क-2, ग्रेटर नोएडा से वर्ष 2012 मे मैकेनिकल लैटेरल एन्ट्री से बीटेक किया है।
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एसएसपी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस सेक्टर-18 मेट्रो स्टेशन के पास से होण्डा अमेज में बैठे दो लोगों को पकड़ा। उसमें एक व्यक्ति आशुतोष राठी है। वह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव (संगठन) का नाम लेकर लोगों को ठगता था। दूसरा व्यक्ति गौरव मिश्रा है, जिसने पकड़े जाने पर पुलिस टीम पर दवाब बनाने के लिये अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का सीनियर आईपीएस अधिकारी बताया। आशुतोष राठी गौरव मिश्रा का साला है। पुलिस टीम को शक होने पर गौरव मिश्रा तथा आशुतोष राठी से विस्तृत पूछताछ की गयी और उनके मोबाइल फोन की डिटेल चैक की गई। उसमें कई सनसनीखेज बातों का पता चला।

वैभव कृष्ण ने बताया कि पूछताछ में अभियुक्त गौरव मिश्रा ने बताया कि वह मोबाइल नं० 8744006566, 9810890327, 8510080087, 7503069870 से फर्जी आईपीएस/ आईएएस अधिकारी बनकर अधिकारियों पर अनुचित दवाब डलवाता था। गौरव मिश्रा ने वर्ष-2012 में गूगल पर पूर्वोत्तर भारत में पोस्टेड एक महिला आईपीएस की वर्दी में फोटो देखी थी। उसी से प्रेरित होकर वह फर्जी आईपीएस बनने की लालसा जागी। इसी बीच, वह चंडीगढ़ गया और वहीं से आईपीएस की वर्दी तैयार कराई। वापस आने के बाद उसने ग्रेटर नोएडा स्थित एक यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार से सम्पर्क किया और उन्हें अपना परिचय आईपीएस के रूप में दिया। उसने दिल्ली में पोस्टिंग बताई और यूनिवर्सिटी में एक एडमिशन एमबीबीएस कोर्स में कराने की सिफारिश की। रजिस्ट्रार से फोन पर बात होती रहती थी। रजिस्ट्रार से परिचय होने के बाद एक बार उस यूनिवर्सिटी में अभियुक्त फर्जी आईपीएस की वर्दी पहनकर चीफ गेस्ट बनकर गया था। इतना ही नहीं, गौरव मिश्रा अपनी पत्नी का परिचय भी आईएएस के रूप में देता था।

एसएसपी ने बताया कि इसी प्रकार से फर्जी आईएएस और आईपीएस बनकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में नोएडा पुलिस ने 9 जुलाई 2012 को आईपीएस की वर्दी पहने हुए अभियुक्त गौरव मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

जेल से बाहर आने के बाद अभयुक्त ने ग्रेटर नोएडा में अपने घर से डेयरी प्रॉडक्ट्स सप्लाई का काम किया। वर्ष 2014 में एक प्राइवेट लाइजनर गुजरात निवासी सुजीत से गौरव मिश्रा की मुलाकात हुई। वह अधिकारियों तथा नेताओं से मिलता जुलता रहता था। उसके साथ अभियुक्त 7-8 महीने रहा। उसी से गौरव ने सीखा कि कैसे अधिकारियों तथा नेताओं से काम कराया जाता है। सुजीत के सम्बन्ध पीएमओ में तैनात एक आईएएस अधिकारी से था। सुजीत के जरिये ही अभियुक्त एक आईएएस अधिकारी से मिला और धीरे-धीरे मंत्रालय में विभिन्न अधिकारियों तथा मंत्रियों के प्राइवेट सेक्रेटरी से मुलाकात हुई और इन्हीं लोगों का नाम लेकर अभियुक्त लोगों के काम कराने लगा। इन्हीं संबंधों का दुरुपयोग करते हुए कई प्रतिष्ठित विद्यालयों में चार-पांच एडमिशन कराकर लाखों रुपये की कमाई की।

एसएसपी ने बताया कि सुजीत ने अभियुक्त की मुलाकात अपने मित्र आलोक से करायी। इसका भी काम नेताओं व अधिकारियों से मेलजोल बढ़ाकर कार्य कराना था, लेकिन ये लोग कोई फर्जी आईपीएस या आईएएस नहीं बनते थे। अभियुक्त गौरव मिश्रा आलोक के साथ लाइजनिंग का काम करने लगा। आलोक ने अभियुक्त को यूपी कैडर के एक आईपीएस अधिकारी से दिल्ली मे मिलवाया। उन्होंने ही अभियुक्त को दिल्ली में ही अपने बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी से मिलवाया। इसी के बाद अभियुक्त अपने आप को पश्चिम बंगाल कैडर का आईपीएस अधिकारी बताने लगा। अभियुक्त अपना परिचय आईपीएस अधिकारी के रूप में देकर विभिन्न लोगो को फोन किया और लोगों के काम कराकर उनसे रुपये एंठे। गौरव मिश्रा कई नामों से अपने पासपोर्ट तथा आधार कार्ड बनवा रखे हैं।

एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त गौरव मिश्रा खुद को सीनियर आईएएस और आईपीएस बताकर अधिकारियों से संपर्क करता था तथा उन्हें प्रभाव में लेकर अपने अनुचित कार्य करने का दबाव बनाता था। फिर उन्हीं अधिकारियों के माध्यम से अन्य अधिकारियों से संपर्क करता था। क्योंकि अधिकारियों को अन्य अधिकारी द्वारा अभियुक्त का नंबर एक सीनियर आईपीएस आईएएस के रूप में बताया जाता था। इसलिए अधिकारियों को इस पर संदेह नहीं होता था। इस प्रकार इसने अपने धोखाधड़ी का यह पूरा जंजाल बिछाया। अभियुक्त ने कई कांस्टेबल/ उप-निरीक्षक/ निरीक्षक से ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसे ऐठे हैं।

Conclusion:एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि अभी तक अभियुक्त ने धोखाधड़ी और ठगी कर लाखों रुपये वसूले हैं। अभियुक्त का साला आशुतोष राठी विभिन्न अधिकारियों को जानता है, जिनके नाम का सहारा लेकर अभियुक्त लोगों से पैसा लेकर उनके काम कराता था। इसी क्रम में अभियुक्त आशुतोष राठी द्वारा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव (संगठन) के नाम पर विभिन्न अधिकारियों को फोन करके अनुचित दबाव बनाता था तथा ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसे ऐंठता था।

बाईट---वैभव कृष्ण (एसएसपी गौतमबुद्धनगर)
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