नई दिल्ली/गाजियाबाद: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गाज़ियाबाद में ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं ओयस्टर मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही है. ओयस्टर मशरूम की बाजार में काफी अधिक डिमांड होती है. ओयस्टर मशरूम को अधिकतर या तो फिटनेस फ्रीक लोग या फिर कुलीन वर्ग के लोग खाते हैं. ओएस्टर मशरुम में भरपूर मात्रा में फाइबर और गुड फैट पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल के लक्षण को कम करने के लिए जरूरी होते हैं. मशरूम की बिक्री करने के लिए जिला प्रशासन ने पांच सितारा होटलों से ग्रामीण महिलाओं का टाईअप कराने की पहल कर रहा है.
गाजियाबाद के मोदीनगर क्षेत्र के नगला मूसा गांव की रहने वाली जायदा ओयस्टर मशरूम की खेती कर अच्छी खासी आमदनी कर लेती हैं. जिला प्रशासन के सहयोग से जायद लंबे समय से ओयस्टर मशरूम की खेती कर रही हैं. ओयस्टर मशरूम की खेती में लागत और मेहनत ज्यादा नहीं लगती है, साथ ही फसल नष्ट होने का भी खतरा कम रहता है. तो ऐसे में जायदा ने ओयस्टर मशरूम की खेती को रोजगार का जरिया बना लिया है.
जायदा बताती हैं कि कुछ महीने पहले उन्हें जानकारी मिली सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए लोन दिया जा रहा है. तब वह लोन लेने के लिए कुछ महिलाओं के साथ भोजपुर ब्लॉक पहुंची. जहां उन्हें बताया गया कि लोन लेने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन करना होगा. जिसके बाद उन्होंने स्वयं सहायता समूह का गठन किया और चंद दिन बाद उन्हें जानकारी मिली कि ब्लॉक में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसके बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ली. दस दिन की ट्रेनिंग में उन्हें मशरूम की खेती की बारीकियों के बारे में बताया गया. जिसके बाद उन्होंने घर में ही मशरूम की खेती करने का फैसला लिया.
मशरूम की खेती छांव में होती है. ऐसे में जायदा में घर के आंगन में छप्पर का एक कमरा तैयार किया. छप्पर के कमरे को काली पन्नी उसे ढका गया. जिससे कि धूप अंदर ना जा सके. छप्पर के कमरे में उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की. खेती शुरू होने के बाद तकरीबन दो हफ्ते में ही मशरूम तैयार होने लगे. जिसके बाद उन्होंने बाजार में मशरूम को बेचना शुरू किया. मशरूम को बाजार में खपाने में जिला प्रशासन का भी पूरा सहयोग रहा.
जायदा बताती हैं कि ओयस्टर मशरूम की खेती से उन्हें हर महीने तकरीबन 10 से 15 हज़ार रुपये की आमदनी होती है. ओयस्टर मशरूम की बाजार में काफी मांग है तो ऐसे में बेचने में भी अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती से उन्हें न सिर्फ आमदनी का जरिया मिला है बल्कि पहचान और सम्मान भी मिल रहा है. आसपास के गांवों की महिलाएं उनसे मशरूम की खेती के बारे में जानकारी लेने आती हैं. केवल अपने ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी लोग उन्हें पहचानने लगे हैं. वह नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर समेत कई जिलों में सरकार द्वारा लगाए जाने वाली एग्जीबिशन में भी भाग ले चुकी हैं. जहां उन्हें सम्मानित भी किया गया है. कई बार तो उन्हें लोग मशरूम लेडी कहकर भी पुकारते हैं.
मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में रह रही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को प्रोत्साहित कर स्वरोजगार स्थापित करने में सहायता की जा रही है. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से भोजपुर ब्लॉक के नगला मौसा गांव में रहने वाली जाएदा ओयस्टर मशरूम की खेती कर रही हैं. अभी तक खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और महिलाएं भी उनसे प्रभावित हो रही हैं. ओयस्टर मशरूम को उनसे लेकर बाजार तक पहुंचाने और बेचने के लिए लगातार प्रशासन द्वारा भी कवायद की जा रही है. कई बड़े होटलों से टाइप करने के लिए भी बातचीत चल रही है.
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