नई दिल्ली/गाजियाबाद: अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से घर बनाना सैकड़ों परिवारों को अब भारी पड़ रहा है. नगर निगम द्वारा अवैध रूप से निर्मित मकानों को तोड़ने का नोटिस भेजे जाने से यहां के परिवार चौतरफा मुश्किलों में घिर गए हैं.
अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने लगभग साढ़े पांच सौ मकानों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा 23 जून की तारीख मुकर्रर की गई है. हालांकि इससे पहले भी कुछ मकानों को तोड़ा गया था. लेकिन रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ईद तक के लिए टाल दी गई थी.
ईटीवी भारत ने की बातचीत
इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने अर्थला झील की जमीन पर बसे लोगों से बात की तो उनका प्रशासन के प्रति आक्रोश फूट पड़ा.
उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब यह जमीन बेची जा रही थी, तब अधिकारियों को झील की चिंता नहीं हुई. अब जब परिवार पूरी तरह से बस गए हैं तो हमें उजाड़ने पर लगे हैं. अगर प्रशासन द्वारा हमारे घरों को उजाड़ा जाता है, तो हम सभी इसी झील में कूदकर अपनी जान दे देंगे.
'निगम के तत्कालीन अफसरों पर हो कार्रवाई'
कुछ निवासियों का यह भी कहना है कि यहां के निवासियों को आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है. जब हमारे घर का पता ही अवैध है तो हमें आखिर इन योजनाओं का लाभ कैसे मिला.
हमारे घरों में बिजली के पक्के मीटर हैं और हम हाउस टैक्स का भी भुगतान करते हैं, लेकिन यह बात समझ से परे हैं कि आखिर क्यों हमारे मकानों को तोड़ा जा रहा है. अगर कार्रवाई करनी है तो नगर निगम के तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई की जाए, जिनकी शह पर यहां अवैध रूप से कॉलोनियां बसी हैं.
भू-माफियाओं ने सस्ते में बेची जमीन
आपको बता दें कि हिंडन नदी के समीप अर्थला गांव में झील की ये जमीन है, जिसका खसरा नंबर 1445 तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है. दो दशक पहले भू-माफियाओं ने झील की जमीन की प्लॉटिंग कराकर इसे सस्ते दामों पर बेच दिया था.