नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में मंगलवार को पुलिस ने फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस दौरान पुलिस ने इस गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है. जबकि असलहा विभाग के 2 संविदाकर्मी अभी भी इस मामले में फरार चल रहे हैं.
यह है पूरा मामला
दरअसल फर्जी लाइसेंस का यह मामला गाजियाबाद पुलिस के संज्ञान में तब आया जब शाहजहांपुर के एक शस्त्र धारक ने गाजियाबाद में अपने शस्त्र ट्रांसफर कराने की अर्जी डाली. ट्रांसफर अर्जी की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि लाइसेंस नंबर ऑनलाइन मैच नहीं कर रहा है.
इस पूरे मामले की जानकारी गाजियाबाद प्रशासन ने शाहजहांपुर प्रशासन को दी और अपने स्तर पर भी गाजियाबाद प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि एक लाइसेंस बनवाने के लिए 2 से 5 लाख रुपया लिया जाता था. जिसमें शस्त्र की कीमत भी शामिल होती थी.
2007 में गायब हुआ था लाइसेंस रजिस्टर
बता दें कि साल 2007 में शाहजहांपुर के एक थाने से लाइसेंस रजिस्टर गायब हो गया था. जिसका फायदा उठाकर यह लोग फर्जी लाइसेंस बनवा रहे थे और संविदा कर्मी की मदद से उसका यूनिक आईडी बनवा देते थे. इस पूरे गिरोह के मुखिया ने बताया कि बिना किसी पुलिस वेरीफिकेशन और फर्जी सिग्नेचर की सहायता से लाइसेंस बनाए जा रहे थे. जिसकी जानकारी शस्त्र धारकों को नहीं होती थी.
इस संबंध में गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी फुरकान, संजय, विनोद, हरिशंकर और सदानंद के कब्जे से पांच असलहे, एक कार और 17 शस्त्र लाइसेंस की छायाप्रति बरामद हुई है. अभी फरार आरोपियों की तलाश के लिए कई टीमों का गठन किया गया है. जिनकी गिरफ्तारी के बाद और भी कई खुलासे हो सकते हैं.