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गाजियाबाद: कोरोना ने छीनी दिहाड़ी मजदूरों की रोजी रोटी, देखें रिपोर्ट - रोजी रोटी

कोरोना ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की जिंदगी को संकट में डाल दिया. मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. मजदूरों का कहना कि वो हर सुबह काम की तलाश में लेबर चौक पर आ जाते हैं, लेकिन शाम होने तक उनको काम नहीं मिलता.

effect of covid
दिहाड़ी मजदूरों पर कोरोना का असर.
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Published : Sep 22, 2020, 6:11 PM IST

दिल्ली/गाजियाबाद: अनलॉक में तमाम व्यवसायिक गतिविधियां शुरू हुए करीब तीन महीने से अधिक हो चुका है, लेकिन कोरोना काल में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है, लेकिन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर अपनी रोजी रोटी को लेकर चिंतित हैं.

दिहाड़ी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम.

सुबह लेबर चौक पर लग जाती है मजदूरों की भीड़

गाजियाबाद के घंटाघर स्थित लेबर चौक पर मजदूरों का ठिया है. दिहाड़ी-मज़दूरी की तलाश में दिन निकलते ही यहां सैकड़ों की संख्या में मजदूर जिसमें कारपेंटर, पेंटर, राज-मिस्त्री आदि आते होते हैं. कोरोना महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने क्या कुछ समस्याएं आ रही हैं, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने दिहाड़ी मजदूरों से लेबर चौक पहुंचकर बातचीत की.

शाम तक बैठे रहते हैं दिहाड़ी मजूदर

दिहाड़ी मजदूरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हर सुबह काम की तलाश में वह समय पर ठिये पर पहुंच जाते हैं, लेकिन काम न मिलने के कारण उन्हें निराश होकर घरों को वापस लौटना पड़ता है. काम मिलने की आस में शाम तक ठिये पर बैठे रहते हैं, लेकिन काम नहीं लगता है.

काम करवाने से कतरा रहे लोग

कोरोना के चलते लोग मजदूरों से काम करवाने में दूरी बना रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि कोरोना काल में लोग अपने घरों में काम करवाते हुए डर रहे हैं. मजदूर अलग-अलग घरों में जाकर काम करते हैं. ऐसे में कहीं न कहीं संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है. जिसके चलते केवल वो लोग काम करवा रहे हैं, जिनको बहुत ही जरूरत है.

हर सुबह ठिये पर पहुंचते हैं काम की तलाश में

यह हाल केवल घंटाघर स्थित लेबर चौक का ही नहीं, बल्कि नासिरपुर फाटक पर भी मजदूरों का ठिया है. वहां भी दिहाड़ी मजदूरों का यही हाल है. हर सुबह काम की तलाश में ठिये पर पहुंचते हैं, लेकिन शाम होने तक भी काम नहीं मिलता. इनमें से अधिकतर मजदूर वह हैं, जो आसपास के गांवों से काम की तलाश में शहर आते हैं, लेकिन काम न लगने से मजदूर निराश होकर ही घर लौट जाते.

दिल्ली/गाजियाबाद: अनलॉक में तमाम व्यवसायिक गतिविधियां शुरू हुए करीब तीन महीने से अधिक हो चुका है, लेकिन कोरोना काल में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है, लेकिन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर अपनी रोजी रोटी को लेकर चिंतित हैं.

दिहाड़ी मजदूरों को नहीं मिल रहा काम.

सुबह लेबर चौक पर लग जाती है मजदूरों की भीड़

गाजियाबाद के घंटाघर स्थित लेबर चौक पर मजदूरों का ठिया है. दिहाड़ी-मज़दूरी की तलाश में दिन निकलते ही यहां सैकड़ों की संख्या में मजदूर जिसमें कारपेंटर, पेंटर, राज-मिस्त्री आदि आते होते हैं. कोरोना महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने क्या कुछ समस्याएं आ रही हैं, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने दिहाड़ी मजदूरों से लेबर चौक पहुंचकर बातचीत की.

शाम तक बैठे रहते हैं दिहाड़ी मजूदर

दिहाड़ी मजदूरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हर सुबह काम की तलाश में वह समय पर ठिये पर पहुंच जाते हैं, लेकिन काम न मिलने के कारण उन्हें निराश होकर घरों को वापस लौटना पड़ता है. काम मिलने की आस में शाम तक ठिये पर बैठे रहते हैं, लेकिन काम नहीं लगता है.

काम करवाने से कतरा रहे लोग

कोरोना के चलते लोग मजदूरों से काम करवाने में दूरी बना रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि कोरोना काल में लोग अपने घरों में काम करवाते हुए डर रहे हैं. मजदूर अलग-अलग घरों में जाकर काम करते हैं. ऐसे में कहीं न कहीं संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है. जिसके चलते केवल वो लोग काम करवा रहे हैं, जिनको बहुत ही जरूरत है.

हर सुबह ठिये पर पहुंचते हैं काम की तलाश में

यह हाल केवल घंटाघर स्थित लेबर चौक का ही नहीं, बल्कि नासिरपुर फाटक पर भी मजदूरों का ठिया है. वहां भी दिहाड़ी मजदूरों का यही हाल है. हर सुबह काम की तलाश में ठिये पर पहुंचते हैं, लेकिन शाम होने तक भी काम नहीं मिलता. इनमें से अधिकतर मजदूर वह हैं, जो आसपास के गांवों से काम की तलाश में शहर आते हैं, लेकिन काम न लगने से मजदूर निराश होकर ही घर लौट जाते.

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