ETV Bharat / city

महाशिवरात्रि: दूधेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता काफी पुरानी है. यहां रात से ही भारी संख्या में भक्तों का आगमन शुरू हो गया था. प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा-अर्चना की थी. यही नहीं, रावण ने अपना 10वां शीश भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था.

shivratri mandir
गाज़ियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर
author img

By

Published : Mar 11, 2021, 9:37 AM IST

Updated : Mar 11, 2021, 10:51 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः: देश भर में आज महाशिवरात्रि का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में रात से ही भारी संख्या में भक्तों का आगमन शुरू हो गया था.मंदिर प्रांगण से लेकर कई किलोमीटर तक भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई है. हर भक्त चाहता है कि वो जल्द से जल्द भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करें.

दूधेश्वर नाथ मंदिर.

प्राचीन मान्यता को जानते हैं भक्त

प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता काफी पुरानी है. प्राचीन काल में यहां रावण के पिता ने भी पूजा-अर्चना की थी. मंदिर को महाशिवरात्रि के मौके पर दुल्हन की तरह सजाया गया है. बताया जा रहा है कि, प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. यही नहीं,रावण ने अपना 10वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. इस मान्यता को भक्त भी जानते हैं और दूर दूर से यहां आते हैं.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार कुंभ : महाशिवरात्रि आज, शाही स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब


प्राचीन काल में गाय का महत्व

एक अनुमान के मुताबिक यहां पर रात से एक लाख से ज्यादा भक्त पहुंच चुके हैं. जलाभिषेक के साथ ही उनको प्रसाद भी दिया जा रहा है. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था.जहां पर गाय स्वयंभू दूध देती थी,वहीं भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबादः: देश भर में आज महाशिवरात्रि का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में रात से ही भारी संख्या में भक्तों का आगमन शुरू हो गया था.मंदिर प्रांगण से लेकर कई किलोमीटर तक भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई है. हर भक्त चाहता है कि वो जल्द से जल्द भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करें.

दूधेश्वर नाथ मंदिर.

प्राचीन मान्यता को जानते हैं भक्त

प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता काफी पुरानी है. प्राचीन काल में यहां रावण के पिता ने भी पूजा-अर्चना की थी. मंदिर को महाशिवरात्रि के मौके पर दुल्हन की तरह सजाया गया है. बताया जा रहा है कि, प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. यही नहीं,रावण ने अपना 10वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. इस मान्यता को भक्त भी जानते हैं और दूर दूर से यहां आते हैं.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार कुंभ : महाशिवरात्रि आज, शाही स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब


प्राचीन काल में गाय का महत्व

एक अनुमान के मुताबिक यहां पर रात से एक लाख से ज्यादा भक्त पहुंच चुके हैं. जलाभिषेक के साथ ही उनको प्रसाद भी दिया जा रहा है. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था.जहां पर गाय स्वयंभू दूध देती थी,वहीं भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं.

Last Updated : Mar 11, 2021, 10:51 AM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.