नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्रीय जीएसटी विभाग की तरफ से फर्जी फर्मों और बिल बनाकर टैक्स चोरी करने वाले एक रैकेट का खुलासा किया गया है. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग द्वारा दिसंबर 2020 में एक फर्म मेसर्स जय एंटरप्राइजेज और गाजियाबाद में स्थित 41 अन्य फर्मों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी. जांच में जीएसटी धोखाधड़ी करने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश हुआ था.
सीजीएसटी विभाग द्वारा चार और पांच अप्रैल को गाजियाबाद के 36 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई. छापेमारी के दौरान इस रैकेट में शामिल राजीव शर्मा नाम के व्यक्ति को तलब किया गया. जांच में राजीव शर्मा इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड निकला, नरेश कुमार और रूपक वशिष्ठ की मिलीभगत से राजीव शर्मा फर्जी फर्म बनाकर संचालित कर रहा था.
जांच में अब तक कुल 76 फर्मों को फर्जी पाया गया है. जिसके परिणामस्वरूप लगभग 137 करोड़ रुपये के नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया गया है. 76 फ़र्जी फर्मों में दिया गए मोबाइल नंबर, पैन कार्ड और बैंक खातों से करीब 100 और फ़र्जी फर्मों की जानकारी मिली है, फिलहाल पड़ताल जारी है. अधिकारियों की माने तो जीएसटी चोरी में शामिल फर्मों की संख्या बढ़ने की संभावना है.
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बिना किसी माल की प्राप्ति के फ़र्जी फर्म बनाकर फर्जी बिल के आधार पर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के आरोप में राजीव को पांच अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उसे विशेष सीजेएम कोर्ट मेरठ में पेश किया गया, जहां से उसे 18 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. रैकेट के सदस्य नरेश कुमार को 21 अप्रैल 2021 और रूपक वशिष्ठ को 10 मार्च 2022 को फर्जीवाड़े में सक्रिय संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया जा चुका है.
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