नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना काल में हम सोचते हैं कि ज्यादा से ज्यादा चीजों को छूने से बचें. ऐसे में हम किसी के घर जाते हैं तो वहां पर डोरबेल बजानी पड़ती है. इसके लिए डोरबेल को छूना पड़ता है. लेकिन गाजियाबाद के एक स्टूडेंट पवन कुमार ने जो कर दिखाया है, उसके बाद अब आपको डोर बेल बजाने के लिए उसे छूना ही नहीं पड़ेगा.
बीटेक स्टूडेंट पवन ने एक ऐसी डोरबेल तैयार की है जिसके सामने 5 सेकंड के लिए हाथ ले जाने पर डोरबेल बजने लगती है. इस डोरबेल को बनाने में मात्र 200 रुपये का खर्च आया. आइए देखते हैं कि ये डोरबेल कैसे काम करती है.
ऐसे आया पवन को ख्याल
पवन कुमार गाजियाबाद के राजनगर इलाके में रहते हैं. पवन बीटेक की पढ़ाई करते करते लॉकडाउन में अपने घर पर ही थे. कुछ दिन पहले उनके घर के पास एक घर में एक व्यक्ति को कोरोना हो गया. बाद में वह व्यक्ति ठीक भी हो गया.
लेकिन उसके घर के पड़ोस में रहने वाले एक फ्रेंड के घर पवन अपने एक अन्य फ्रेंड के साथ गए. जब डोरबेल बजाने की बारी आई तो पवन के दोस्त ने डोरबेल बजाने से मना कर दिया. इसके बाद पवन भी डोर बेल बजाने में संकोच करने लगे. उस समय उन्हें लगा कि कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे डोरबेल को छूने की जरूरत ना पड़े. इसलिए पवन ने सेंसर वाली डोरबेल तैयार की, जिसे छूने की जरूरत नहीं पड़ती है. सिर्फ उसके सामने हाथ ले जाने पर वह बजने लगती है.
'कोई भी तैयार कर सकता है'
पवन का कहना है कि थोड़ा बहुत सामान होने की जरूरत है और सिर्फ 200 से ढाई सौ रुपए में यह डोरबेल कोई भी तैयार कर सकता है. सरकार चाहे तो ऐसे डोरबेल बनाने के ऑर्डर भी दे सकती है और बल्क में तैयार करने पर यह डोरबेल बनाने का खर्चा और कम आएगा.
यही नहीं उन्होंने आगे बताया कि इस डोरबेल के फार्मूले को अन्य जगह भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जैसे पीने के पानी के नल पर भी सेंसर का इस्तेमाल करके बिना टच किए पानी लिया जा सकता है. पवन के इस आईडिया की तारीफ हर जगह हो रही है. क्रिकेटर सुरेश रैना के भाई दिनेश रैना ने भी पवन को सम्मानित किया है. दिनेश रैना गाजियाबाद के राजनगर में ही शिक्षा संस्थान चलाते हैं.