नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर में कोरोना संक्रमितों पर अब म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कई कोरोना संक्रमितों पर ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले हैं. आम तौर पर कोरोना को मात देने बाद ब्लैक फंगस का खतरा मंडराने लगता है. ब्लैक फंगस उन लोगों को शिकार बना रहा है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है.
प्रोफेसर डॉ. बृजपाल त्यागी ने बताया ब्लैक फंगस स्किन और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है. नाक और आंख के रास्ते ब्लैक फंगस दिमाग में प्रवेश करता है. जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम है, उनको ब्लैक फंगस केवल तीन दिनों में ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है.
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क्या हैं लक्षण
डॉक्टर त्यागी ने बताया कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीज, जिनको आंख से पानी आता है और नाक बंद या सुन्न हो जाती है. ऐसे लक्षण मिलने पर माना जाता है कि ये ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण हैं. ब्लैक फंगस के पैर पसारने पर आंख की पुतली पर सूजन आ जाती है. इसको केन्जक्टिवल कीमोसिस कहा जाता है. इसके चलते आंख से कम दिखाई देने लगता है. इसके साथ ही सिर दर्द भी होता है. उल्टी आने का एहसास भी होता है. इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए.
कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस
डॉ. त्यागी ने बताया ब्लैक फंगस को कोरोना से बेहद खतरनाक है. उदाहरण के तौर पर कोरोना से 100 में से तीन लोगों की मौत होती है. ब्लैक फंगस 100 में से 95 लोगों को मार सकता है. ब्लैक फंगस, अगर मरीज के दिमाग में प्रवेश कर जाता है, तो जानलेवा साबित हो सकता है.
11 मामले आए सामने
उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में अब तक ब्लैक फंगस के 11 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से पांच मरीजों को उपचार के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है. पांचों मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ हैं, जबकि छह मरीजों का अभी अस्पताल में इलाज जारी है. मरीजों में से ऑपरेशन कर ब्लैक फंगस निकालना पड़ता है, जो कि एक मात्र इलाज है. ब्लैक फंगस निकालने के लिए आंख तक निकलना पड़ती है. इससे कि मरीज का चेहरा खराब हो जाता है.
किन लोगों को नहीं है खतरा
जो लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं और पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है. ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस चपेट में नहीं ले रहा है. व्यायाम और पौष्टिक आहार खाने से प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है और अधिकतर बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं.