नई दिल्ली/शामली : किसान आंदोलन सरकार के लिए फजीहत खड़ी कर रहा है. लेकिन यदि आंदोलन में किसान मजबूती के साथ खड़े हुए हैं, तो सरकार भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. किसानों और सरकार की इस तकरार में राजनैतिक पार्टियां अपना मनोरथ सिद्ध करने में लगी हैं. राजनैतिक दलों में किसानों के समर्थन में महापंचायतें करने की होड़ सी मची हुई है. इस कड़ी में आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है. 28 फरवरी को मेरठ में होने वाली आप की किसान महापंचायत में जनसमर्थन जुटाने के लिए राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह शामली पहुंचे.
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कार्यकर्ताओं को सौंपी जिम्मेदारी
आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह शनिवार को शामली पहुंचे. यहां पर पार्टी कार्यालय के पास उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित किया. संजय सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को मेरठ में होने वाली किसानों की महापंचायत को सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी. कार्यकर्ताओं को किसानों से संपर्क कर प्रचार-प्रसार की अपील भी की.
'डेथ वारंट में संशोधन नहीं होता'
सांसद संजय सिंह ने कहा कि मेरठ की क्रांति भूमि पर 28 फरवरी को विशाल किसान महापंचायत हो रही है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों से महंगाई और काला बाजारी को वैधता प्रदान करने का काम किया है. किसान से सस्ते में अनाज और सब्जियां खरीदा जाएगा. उसे अडानी के बड़े-बड़े स्टोरेज में स्टोर किया जाएगा और जब देश में उसकी कमी हो जाएगी, तो उसे महंगे दामों में बेचा जाएगा. यह काला कानून किसानों के लिए मौत का फरमान है, इसलिए मैं कहता हूं कि ये काले कानून डेथ वारंट हैं और डेथ वारंट में संशोधन नहीं होता, वह वापस लिया जाता है.
'सरकार बेचना चाह रही पूरा हिंदुस्तान'
बजट पर बोलते हुए संजय सिंह ने कहा कि इस साल का बजट हिंदुस्तान को बेचने वाला बजट है. इसमें रेल, खेल, सेल, सड़क, बिजली, पानी, बीपीसीएल, एयरपोर्ट, पोर्ट, बैंक और एलआईसी को बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह सरकार कपूत सरकार है. सपूत विरासत को बढ़ाता है, जबकि कपूत उसे बेचता है. आज हिंदुस्तान के 130 करोड़ लोगों के प्रयास से जो संपत्ति बनाई गई है, इस बजट में उसे बेचने का प्रावधान है. देश का अन्नदाता दिल्ली की सरहद पर अपने देश को बचाने की मांग कर रहा है, लेकिन केंद्र की तानाशाही सरकार काला कानून वापस लेने के बजाय किसानों के आंदोलन का मजाक उड़ा रही है.