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भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'

जिले में खनन माफिया धड़ल्ले से पांव पसार रहे हैं और अवैध निर्माण करवा रहे हैं. साथ ही अब भू-माफिया अवैध रूप से लोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां
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Published : Mar 20, 2019, 2:07 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के संशोधन मामले में फटकार के बाद भी अरावली की पहाड़ियों पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. इस मामले को लेकर अभी भी अधिकारी चेते नहीं है. ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहा है. जहां से कभी माइनिंग के पत्थर निकाले जाते थे. जिसके चलते वहां 200 फीट गहरी खान बन गई.

सन् 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके ये जगह भू-माफियाओं की काली नजर से नहीं बचा पाया. अब भू-माफिया अवैध रूप सेलोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां

प्रॉपर्टी डीलर का गोल-मोल जवाब
वहीं जब प्रॉपर्टी डीलर से इस बारे में बात की गई वो सारी बातों का गोल-मोल जवाब देने लगा और कहा कि यहां पर वो फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी गई थी. इतना ही नहीं ये फ्लैट सरकार और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से ही बना रहे हैं.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के संशोधन मामले में फटकार के बाद भी अरावली की पहाड़ियों पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. इस मामले को लेकर अभी भी अधिकारी चेते नहीं है. ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहा है. जहां से कभी माइनिंग के पत्थर निकाले जाते थे. जिसके चलते वहां 200 फीट गहरी खान बन गई.

सन् 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके ये जगह भू-माफियाओं की काली नजर से नहीं बचा पाया. अब भू-माफिया अवैध रूप सेलोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां

प्रॉपर्टी डीलर का गोल-मोल जवाब
वहीं जब प्रॉपर्टी डीलर से इस बारे में बात की गई वो सारी बातों का गोल-मोल जवाब देने लगा और कहा कि यहां पर वो फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी गई थी. इतना ही नहीं ये फ्लैट सरकार और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से ही बना रहे हैं.



स्टोरी-: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी हरियाणा के फरीदाबाद में सरेआम धडल्ले से जारी है अरावली का चीरहरण, अवैध रूप से बनी गहरी खान में हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़, 200 फीट गहरी पहाड़ी खान में भूमाफिया बना रहे हैं अवैध रूप से फ्लैट। अधिकारियों, नेताओं और भूमाफियाओं की मिलीभगत कभी भी ले सकती है हजारों लोगों की जान।
13_3_FBD_ARAVALI ILLEGAL COLONY_ file ..1.2.3..4.5..by link
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https://we.tl/t-yGFd9tr5Gu  
एंकर-: हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा  PLPA एक्ट में संसोधन का प्रस्ताव विधानसभा में पास किया गया था लेकिन देश की सर्वोच्च न्यायलय ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था की ये न्यायलय के आदेश की अवहेलना है जिसके तहत सरकार पर आदेश की अवमानना का केश भी चल सकता है। लेकिन हरियाणा सरकार को देश की सर्वोच्च न्यायलय की फटकार के बाद आज भी  दिल्ली से सटे फरीदाबाद में  अरावली की पहाडियों में सरेआम धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है। चलिए आपको बताते है कहाँ हो रहा है ये अवैध निर्माण , आपको ये जानकर हैरत होगी की ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहे हैं जहां कभी अवैध रूप से माइनिंग कर पत्थर निकाले जाते थे ,जिसके चलते  लगभग 200 फीट गहरी खान बन गई। आखिर में सन 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया ।  लेकिन 200 फिट गहरी खान यूँ ही बनी रह गई जो भूमाफियाओं की काली नजर से नहीं बच पाई और यहाँ भूमाफियाओं ने  अवैध रूप से प्लॉट और फ्लैट काटकर भोले-भाले लोगों को बेचने शुरू कर दिए और अभी तक इस खान में खरीद फरोख्त बदस्तूर जारी है।इतने बड़े पैमाने पर अरावली में हो रहे चिरहरण के बारे में जब हमें पता चला तो हमने फरीदाबाद के माइनिंग अधिकारी ,फारेस्ट अधिकारी ,MCF कमिश्नर से इसके बारे में पूछा लेकिन सभी अधिकारी साफ़ -साफ़ कुछ बताने की बजाय एक दूसरे विभाग पर बात को टालते नजर आये।बता दें की ये खान इतनी गहरी हैं कि अगर कोई प्राकृतिक आपदा आ गई या कोई अनहोनी हो गई तो यहां किसी भी तरह की मदद पहुंचना लगभग नामुमकिन है बावजूद इसके भूमाफिया अपने फायदे के लिए लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं, हाल ही में गुरूग्राम में एक चार मंजिला इमारत के गिरने से कई लोगों की जान चली गई थी और शायद फरीदाबाद प्रशासन को भी ऐसे ही किसी हादसे का इंतजार है। 


वीओ-:कैमरे में कैद इन तस्वीरों को जरा गौर से देखिए ये उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश या किसी पहाड़ी क्षेत्र में बन रहे मकानों और फ्लैटों की नहीं हैं बल्कि दिल्ली से सटे फरीदाबाद के अरावली पहाड़ी के उस वन क्षेत्र की तस्वीरें हैं जहां पिछले दिनों ही वन क्षेत्र यानी पीएलपीए एक्ट को विधानसभा में खत्म करने को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को कडी़ फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सुप्रीम नहीं हैं, बावजूद इसके दिल्ली से लगभग 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर अरावली की पहाड़ियों में सरेआम धड़ल्ले से अवैध रूप से इन निर्माणों को किया जा रहा है वो भी उस जगह जहां कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है क्योंकि ये सभी मकान और फ्लैट उस जगह बन रहे हैं जहां कभी पत्थरों की खुदाई की जाती थी पत्थर खोदने से यहां गहरी खाई बन गई और बाद में आस-पास बहते पानी और कुछ बरसाती पानी की वजह से गहरी झील में तब्दील हो गई, भूमाफियाओं की नजर जब इस जगह पर पड़ी तो उन्होंने यहां की झील से पानी को सुखा दिया और यहां पर लोगों के लिए फ्लैट और प्लॉट काटने शुरू कर दिए, ना तो कोई नक्सा पास, ना ही कोई टैक्स, ये सब कुछ सभी अधिकारियों को पता है सभी नेताओं को पता है कि कैसे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है बावजूद सभी अपने-अपने फायदे के लिए चुप्पी साधे हुए हैं पिछले दिनों गुरुग्राम में हुए हादसे से भी हरियाणा सरकार ने कोई सबक नहीं लिया जिसमे कई लोगों की जान चली गई थी बावजूद इसके यहां पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे लोगों की जान को जोखिम में डाला गया है। इस मामले को लेकर जब मीडिया की टीम इस खान वाली जगह की सच्चाई पता करने के लिेए ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो यहां पर प्लॉट और फ्लैट काटने वाले एक शख्स से मुलाकात हुई जब उससे पूछा गया कि कैसे औऱ किसकी इजाजत से इन अवैध निर्माण कार्यों को कराया जा रहा है और क्या उनके पास किसी भी संबंधित विभाग से एनओसी है तो वो यहां वहां की बातें करके हमें गुमराह करने की कोशिश करने लगा। उसने बताया कि ये सूरज वैली सोसायटी है और 10 हजार वर्ग गज में बना रहे हैं, यहां लोग फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी थी और सरकार के हिसाब से ही बना रहे हैं, और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से बना रहे हैं, लेकिन बार-बार एनओसी के बारे में बात करने पर भी वो दाएं-बाएं की बात करने लगा और बताया कि यहां की रजिस्ट्री भी हो चुकी है, ये पूरा एरिया 5 से 7 किलोमीटर में फैला हुआ है, यहां पर ना तो रोड़ है ना ही पार्क है ना ही कुछ और, यहां पर हम पूरे सिस्टम से घर बना रहे हैं। 

वीओ- वहीं इस बारे में इस यंहा के प्रापर्टी डीलर से बात की गई तो उनका कहना था कि  (ये सूरज वैली सोसायटी है और 10 हजार वर्ग गज में बना रहे हैं, यहां लोग फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी थी और सरकार के हिसाब से ही बना रहे हैं, और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से बना रहे हैं, यहां की रजिस्ट्री भी हो चुकी है, ये पूरा एरिया 5 से 7 किलोमीटर में फैला हुआ है, यहां पर ना तो रोड़ है ना ही पार्क है ना ही कुछ और, यहां पर हम पूरे सिस्टम से घर बना रहे हैं।

बाइट-ओ.पी. शर्मा, प्रापर्टी डीलर   फाइल नं 2

वीओ-वहीं जब अवैध रूप से काटे गए इन प्लॉट और फ्लैट के बारे में यहां रहने वाले लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो कोई भी कैमरे पर आकर बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ लेकिन मुश्किल से एक शख्स मिला जिसने बताया कि ये सूरज वैली जगह है और उन्होंने किसी तिलक नाम के शख्स से ली है, जब पूछा गया कि किसी ने आप को यहां पर रोका नहीं निर्माण करने से, यहां पर पानी भर जाता है तो बोले कि यहां पर जब नेता लोग वोट मांगने आते थे तो वो बोलते थे कि सभी काम करवाएंगे लेकिन कुछ नहीं कराया, रजिस्ट्री हुई या नहीं के बारे में बात करने पर बताया कि यहां पर किसी की कोई रजिस्ट्री नहीं हुई है सभी ऐसे ही रह रहे हैं। पूरी खान की रजिस्ट्री नहीं हुई है।

बाइट-:संजीव, खान में मकान बनाकर रहने वाला शख्स , फाइल नं 3

वीओ-:अरावली पहाडियों में हो रहे इन अवैध निर्माणों के बारे में पता चला तो फरीदाबाद नगर निगम की कमिश्नर अनीता यादव से बात की गई तो निगम कमीश्नर ने बताया कि ये सारा एरिया वन विभाग से संबंधित है और मीडिया से बात करने के बाद उन्होंने इस मामले में अपनी टीम गठित की है और टीम ने बताया कि ये सब 100-125 एकड़ में चल रहा है, मैने डीसी को भी अवगत कराया है 30 तारीख को लैटर लिखा है और कहा कि इसको रूकवाया जाए क्योंकि ये पीएलपीए में आता है साथ ही वन विभाग और माइनिंग विभाग को लिख कर कार्रवाई करने के लिए बोला है। जब पूछा गया कि वहां पर लोगों को बहका कर अवैध फ्लैट और प्लॉट बेचे जा रहे हैं क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी तो उन्होंने कहा कि इस बारे में आप डीसी से बात करें क्योंकि ये डिस्ट्रीक एडमीनीस्ट्रेटर का मामला है और किसी के साथ अगर फ्रॉड हो रहा है तो वो पुलिस में कंपलेंट करें।

बाइट-अनीता यादव निगम आय़ुक्त फरीदाबाद, फाइल नं 4




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