नई दिल्ली/गाजियाबाद: कुत्ते को एक वफादार जानवर कहा जाता है जो कि अपने मालिक और प्यार-दुलार करने वालों को कभी नहीं भूलता. कुत्तों के प्रति लोगों का खासा लगाव भी देखने को मिलता है. कई बार तो देखा गया है कि लोग कुत्तों को अपने साथ सुलाते और साथ बैठा कर ही खाना खिलाते हैं. लोग पालतू कुत्ते को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं. कई लोग तो रक्षाबंधन पर कुत्तों को राखी भी बांधते हैं. हालांकि जब पालतू कुत्ते की मृत्यु हो जाती है तो लोग अपने पालतू कुत्ते को ठीक से अंतिम विदाई नहीं दे पाते हैं, या फिर यू कहें कि लोगों के पास अपने पालतू का अंतिम संस्कार कराने के लिए कोई श्मशान घाट उपलब्ध नहीं होता.
इसको ध्यान में रखते हुए गाज़ियाबाद ज़िला प्रशासन और नगर निगम ने कुत्तों का अंतिम संस्कार करने के लिए शवदाह गृह तैयार किया है. डॉग लवर के लिए नंदी पार्क गौशाला स्तिथ सीएनजी शवदाहगृह की शुरुआत की गई है. शवदाहगृह विशेष तौर पर पालतू कुत्तों के अंतिम संस्कार करने के लिए बनाया जा रहा है. हालांकि शवदाहगृह घर पर अन्य पालतू जानवरों का अंतिम संस्कार भी निर्धारित शुल्क देकर हो सकेगा.
कुत्तों के अंतिम संस्कार के लिए बना उत्तर प्रदेश का पहला शवदाह गृह मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया जिले में पालतू कुत्तों का अंतिम संस्कार करने के लिए शवदाहगृह बनाया गया है, जहां पर लोग पालतू कुत्तों के साथ-साथ अन्य पालतू पशुओं का भी अंतिम संस्कार कर सकेंगे. पालतू कुत्तों समेत अन्य पालतू जानवरों का अंतिम संस्कार करने के लिए निर्धारित शुल्क देना होगा, जबकि आवारा कुत्तों के लिए अंतिम संस्कार निशुल्क होगा. 50 किलो वजन तक के पशुओं का शवदाहगृह में अंतिम संस्कार हो सकेगा.अस्मिता लाल ने बताया ज़िले के नोडल अधिकारी द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड के तहत 9.89 लाख रुपये उपलब्ध कराए गए थे, जिसके बाद नगर निगम को कार्यदाई संस्थान बनाया गया, नगर निगम की देखरेख में शवदाहगृह बनाया गया है. साथ ही संचालन में नगर निगम के द्वारा किया जाएगा. आवश्यकतानुसार शवदाहगृह के तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ अनुज कुमार सिंह ने बताया कि गैस से चलने वाला शवदाहगृह प्रदेश में पहला शवदाहगृह है. शहर में कुत्तों को दफनाने- अंतिम संस्कार करने के लिए स्थाई जगह न होने के चलते लोग मृत कुत्तों समेत अन्य पालतू जानवरों को कहीं भी फेंक देते थे. जिस कारण संक्रामक बीमारी के साथ लोगों को दुर्गंध का भी सामना करना पड़ता था. कुत्तों के अंतिम संस्कार के लिए गैस से चलने वाला शवदाहगृह शुरू हो गया है. गैस से चलने वाले शवदाहगृह (Pet Cremator) मशीन के संचालन की लागत और वहां तैनात होने वाले कर्मचारियों के वेतन पर होने वाले खर्च की भरपाई के लिए नगर निगम ने कुत्तों के अंतिम संस्कार के लिए 500 रुपये का शुल्क तय किया है. लावारिस कुत्तों का अंतिम संस्कार नगर निगम द्वारा किया जाएगा. जिला प्रशासन और गाजियाबाद नगर निगम द्वारा किए जा रहे प्रयास से शहर के पशु प्रेमी अब अपने पालतू कुत्तों की मृत्यु के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार करा सकेंगे.
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