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AIIMS: 'डॉक्टर ने मुझसे कहा कोरोना से मरना है तो आ जाओ'

राजधानी दिल्ली में कोरोना पेशेंट का इलाज तो हो रहा है लेकिन अन्य मरीजों के साथ प्रशासन लापरवाही कर रहा है. पिछले कुछ दिनों से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां लोगों का इलाज नहीं हो रहा है. कुछ ऐसा ही मामला एम्स में स्पाइन का इलाज करवा रहे अनिल के साथ हुआ है.

Spine patient is not getting treatment in AIIMS
एम्स में नहीं हो रहा इलाज
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Published : May 8, 2020, 11:06 AM IST

Updated : May 8, 2020, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: तनिष्क साउथ एक्स में काम करने वाले अनिल रावत 2 मई को जब स्पाइन के दर्द से तड़पते हुए एम्स पहुंचे तो वहां उन्हें बताया गया कि कोरोना से मरना है तो आ जाओ. भर्ती कर लेते हैं. ये ना मजाक था और ना ही गंभीरता में कही बातें. यह डॉक्टर का कोरोना की आड़ में दूसरे गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज के ऊपर एक तंज था. जब रावत ने अपनी समस्या बताई तो उनसे कहा गया कि यह इमरजेंसी वार्ड है. यहां उन्हीं मरीजों को अटेंड किया जाता है जो मरने वाला हो. जब तुम भी मरने वाले होगे तो आ जाना, भर्ती कर लेंगे.

एम्स में नहीं हो रहा इलाज

अगस्त 2019 से चल रहा इलाज

अनिल रावत पिछले दो वर्ष से स्पाइन के दर्द से जूझ रहे हैं. जब दर्द बर्दाश्त से बढ़ गया तो अगस्त 2019 में वह इलाज के लिये एम्स गए. वहां उन्होंने पहले ओपीडी में दिखाया उसके बाद उन्हें न्यूरो सर्जन डॉ दत्ता राव सावरकर के पास आगे के इलाज के लिए रेफर कर दिया.

Spine patient is not getting treatment in AIIMS
एम्स में नहीं हो रहा इलाज

उनका एम्स में रजिस्ट्रेशन नंबर 1004/19 है. दवाई से काफी इलाज चला लेकिन उन्हें दर्द में आराम नहीं हुआ. आखिरकार उन्हें सर्जरी के लिये कहा गया. इसके लिये उन्हें 15 फरवरी की तारीख दी गई. जब इस तारीख को सर्जरी के लिए एम्स पूरी तैयारी के साथ पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि बेड खाली नहीं है. इसलिए उन्हें थोड़ा और इंतजार करना होगा. न्यूरो सर्जन डॉ दत्त राव सावरकर उनके सर्जन थे.

Spine patient is not getting treatment in AIIMS
एम्स में नहीं हो रहा इलाज

'बिना जान-पहचान नहीं होता एम्स में इलाज'

रावत ने बताया कि जब वो 15 फरवरी की सर्जरी टलने के बाद एक पक्की तारीख की मांग की तो कहा यह एम्स है. यहां बिना किसी जान-पहचान के किसी का इलाज नहीं होता है. सर्जरी करवानी है तो एम्स के किसी जान-पहचान वाले को ढूंढ लो, जल्दी सर्जरी हो जाएगी.

'लॉकडाउन का मिल गया एक बहाना'

रावत ने बताया कि वह हर रोज एम्स जाकर सर्जरी की तारीख पूछते थे, लेकिन हर बार ही उन्हें यही कहा जाता था कि जब बेड खाली होगा तो फोन से उन्हें बता दिया जाएगा. समय बीतता रहा, पर सर्जरी के लिए कोई फोन एम्स से नहीं आया, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन का एक अच्छा बहाना जरूर मिल गया.

'स्पाइन का दर्द किडनी तक पहुंचा'

रावत ने बताया कि समय पर सर्जरी नहीं होने की वजह से स्पाइन का दर्द किडनी तक पहुंच गया. यह दर्द सीने तक भी आ गया है. बेचैनी में समय कट रहा है. जब दर्द बर्दाश्त से ज्यादा बढ़ गया और इसकी वजह जे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो एक निजी अस्पताल गए. वहां सिर्फ 2-4 घंटे में ही स्टेबलाइज कर घर भेज दिया. इतने में ही 10 हजार का बिल दे दिया.

'ओपीडी सेवा चालू होने का इंतजार'

अब तो रावत को बस लॉकडाउन के खुलने और एम्स में ओपीडी सेवा चालू होने का इंतजार है. लेकिन एक बात समझ में नहीं आएगी जब एम्स के पुराने मरीज जिनका पहले से इलाज चल रहा था उनके लिए तो अभी भी वहां इलाज हो रहा है तो फिर अनिल रावत को क्यों मना किया गया? एम्स की तरफ से बताया गया रावत की सर्जरी होनी है. इसके लिए अभी माहौल सही नहीं है. अभी हर तरह की सर्जरी सस्पेंड है.

नई दिल्ली: तनिष्क साउथ एक्स में काम करने वाले अनिल रावत 2 मई को जब स्पाइन के दर्द से तड़पते हुए एम्स पहुंचे तो वहां उन्हें बताया गया कि कोरोना से मरना है तो आ जाओ. भर्ती कर लेते हैं. ये ना मजाक था और ना ही गंभीरता में कही बातें. यह डॉक्टर का कोरोना की आड़ में दूसरे गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज के ऊपर एक तंज था. जब रावत ने अपनी समस्या बताई तो उनसे कहा गया कि यह इमरजेंसी वार्ड है. यहां उन्हीं मरीजों को अटेंड किया जाता है जो मरने वाला हो. जब तुम भी मरने वाले होगे तो आ जाना, भर्ती कर लेंगे.

एम्स में नहीं हो रहा इलाज

अगस्त 2019 से चल रहा इलाज

अनिल रावत पिछले दो वर्ष से स्पाइन के दर्द से जूझ रहे हैं. जब दर्द बर्दाश्त से बढ़ गया तो अगस्त 2019 में वह इलाज के लिये एम्स गए. वहां उन्होंने पहले ओपीडी में दिखाया उसके बाद उन्हें न्यूरो सर्जन डॉ दत्ता राव सावरकर के पास आगे के इलाज के लिए रेफर कर दिया.

Spine patient is not getting treatment in AIIMS
एम्स में नहीं हो रहा इलाज

उनका एम्स में रजिस्ट्रेशन नंबर 1004/19 है. दवाई से काफी इलाज चला लेकिन उन्हें दर्द में आराम नहीं हुआ. आखिरकार उन्हें सर्जरी के लिये कहा गया. इसके लिये उन्हें 15 फरवरी की तारीख दी गई. जब इस तारीख को सर्जरी के लिए एम्स पूरी तैयारी के साथ पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि बेड खाली नहीं है. इसलिए उन्हें थोड़ा और इंतजार करना होगा. न्यूरो सर्जन डॉ दत्त राव सावरकर उनके सर्जन थे.

Spine patient is not getting treatment in AIIMS
एम्स में नहीं हो रहा इलाज

'बिना जान-पहचान नहीं होता एम्स में इलाज'

रावत ने बताया कि जब वो 15 फरवरी की सर्जरी टलने के बाद एक पक्की तारीख की मांग की तो कहा यह एम्स है. यहां बिना किसी जान-पहचान के किसी का इलाज नहीं होता है. सर्जरी करवानी है तो एम्स के किसी जान-पहचान वाले को ढूंढ लो, जल्दी सर्जरी हो जाएगी.

'लॉकडाउन का मिल गया एक बहाना'

रावत ने बताया कि वह हर रोज एम्स जाकर सर्जरी की तारीख पूछते थे, लेकिन हर बार ही उन्हें यही कहा जाता था कि जब बेड खाली होगा तो फोन से उन्हें बता दिया जाएगा. समय बीतता रहा, पर सर्जरी के लिए कोई फोन एम्स से नहीं आया, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन का एक अच्छा बहाना जरूर मिल गया.

'स्पाइन का दर्द किडनी तक पहुंचा'

रावत ने बताया कि समय पर सर्जरी नहीं होने की वजह से स्पाइन का दर्द किडनी तक पहुंच गया. यह दर्द सीने तक भी आ गया है. बेचैनी में समय कट रहा है. जब दर्द बर्दाश्त से ज्यादा बढ़ गया और इसकी वजह जे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो एक निजी अस्पताल गए. वहां सिर्फ 2-4 घंटे में ही स्टेबलाइज कर घर भेज दिया. इतने में ही 10 हजार का बिल दे दिया.

'ओपीडी सेवा चालू होने का इंतजार'

अब तो रावत को बस लॉकडाउन के खुलने और एम्स में ओपीडी सेवा चालू होने का इंतजार है. लेकिन एक बात समझ में नहीं आएगी जब एम्स के पुराने मरीज जिनका पहले से इलाज चल रहा था उनके लिए तो अभी भी वहां इलाज हो रहा है तो फिर अनिल रावत को क्यों मना किया गया? एम्स की तरफ से बताया गया रावत की सर्जरी होनी है. इसके लिए अभी माहौल सही नहीं है. अभी हर तरह की सर्जरी सस्पेंड है.

Last Updated : May 8, 2020, 8:13 PM IST
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