नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने चीन से जासूसी के मामले से जुड़े मनी लाउंड्रिंग के मामले में पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत की शर्तों में बदलाव की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने राजीव शर्मा की जमानत की शर्तों में बदलाव करने से इनकार कर दिया.
राजीव शर्मा ने याचिका दायर कर कहा था कि जांच अधिकारी के समक्ष हर सोमवार को पांच बजे शाम को अगले छह महीने तक उपस्थित होने की जमानत की शर्त को हटा दिया जाए. सुनवाई के दौरान राजीव शर्मा के वकील ने कोर्ट से कहा कि जमानत मिलने के बाद राजीव शर्मा का मोबाइल हमेशा चालू रहता है और उसकी लोकेशन भी ऑन रहती है.
तब कोर्ट ने कहा कि हमने ये शर्त केवल छह महीने के लिए लगाई है. जांच अधिकारी को जांच के लिए आपके मॉनिटरिंग की जरूरत है इसलिए ये शर्त जरूरी है. जांच अधिकारी जब भी बुलाएं आपका वहां जाना जरूरी है.
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बता दें कि सात जनवरी को कोर्ट ने राजीव शर्मा को जमानत दी थी. ईडी ने राजीव शर्मा को एक जुलाई 2021 को गिरफ्तार किया था. ईडी ने दिल्ली पुलिस की ओर से राजीव शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज मामले में 4 दिसंबर 2020 को राजीव शर्मा को जमानत दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में आरोपी के गिरफ्तार होने के 60 दिनों से ज्यादा बीत जाने के बावजूद चार्जशीट दाखिल नहीं की. इसलिए आरोपी डिफॉल्ट जमानत का हकदार है.
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राजीव शर्मा को 14 सितंबर 2020 को दिल्ली के जनकपुरी से गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक, राजीव शर्मा को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से रक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए थे. राजीव शर्मा की निशानदेही पर एक चीनी महिला और एक नेपाली मूल के व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों पर आरोप है कि वे राजीव शर्मा को फर्जी कंपनियों के जरिये पैसा मुहैया कराते थे. चीनी महिला को जमानत मिल चुकी है.