नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की तरफ से जब मैथिली-भोजपुरी भाषा को लेकर घोषणा की गई, तब इसे आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी सियासी बढ़त के रूप में देखा गया. इस घोषणा के कुछ दिन बीतने के बाद अब ये मुद्दा आम आदमी पार्टी के लिए ही सियासी रूप से समस्या बनता दिख रहा है.
दिल्ली सरकार द्वारा जब घोषणा की गई कि सरकार मैथिली भाषा को दिल्ली के स्कूलों में आठवीं से बारहवीं तक ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ाएगी, मैथिली के कम्प्यूटर फॉन्ट डेवलप किए जाएंगे, मैथिली और भोजपुरी में अकादमिक अवार्ड दिए जाएंगे और मैथिली भोजपुरी का हर साल उत्सव मनाया जाएगा, तब इसे आम आदमी पार्टी ने सियासी रूप से खूब भुनाने की कोशिश की.
मैथिली-भोजपुरी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस
इस घोषणा के अगले दिन ही आम आदमी पार्टी की तरफ से राघव चड्ढा, संजीव झा और ऋतुराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार के इस निर्णय को दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचलियों की अस्मिता और विरासत से जोड़ते हुए उनके पक्ष में उठाया गया सरकार का बड़ा कदम बताया.
अरविंद केजरीवाल को किया धन्यवाद
इसके तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के पूर्वांचली विधायक सैकड़ों की संख्या में पूर्वांचली लोगों को लेकर इस फैसले के लिए अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद करने पहुंचे. केजरीवाल से मिलकर निकले कुछ लोगों से जब हमने मीटिंग के बारे में पूछा, तो इससे जुड़ा एक नया सवाल सामने आ गया.
मैथिली है 8वीं अनुसूची मे शामिल भोजपुरी नहीं
केजरीवाल से मिलकर निकले कुछ भोजपुरी भाषी लोगों ने कहा कि वे इसका समर्थन करते हैं कि सरकार मैथिली को ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ा रही है, लेकिन भोजपुरी को क्यों नहीं पढ़ाया जा सकता? ये सवाल जब हमने आम आदमी पार्टी के पूर्वांचली विधायक संजीव झा के सामने रखा, तो उनका कहना था कि मैथिली आठवीं अनुसूची में शामिल है, लेकिन भोजपुरी आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है.
लोगों ने उठाये सवाल
ऐसे सवाल उठाने वाले लोगों का अपना तर्क था कि दिल्ली सरकार जैपनीज स्पेनिश जैसी भाषाओं को ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ाती है, तो क्या वे आठवीं अनुसूची में शामिल हैं? यह तथ्य सामने रखने पर सौरभ भारद्वाज का कहना था कि मैथिली के साथ-साथ भोजपुरी को भी सम्मान देने की दिल्ली सरकार पूरी कोशिश कर रही है और इसे और किस तरह से आगे लाया जा सकता है, इसे लेकर हमें एक्सपर्ट की राय भी ले रहे हैं.
स्पष्ट है कि अब दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद भोजपुरी भाषी भोजपुरी को लेकर भी मैथिली जैसा फैसला चाहते हैं. इनके अपने तथ्य हैं और अपने तर्क हैं कि भोजपुरी को भी दिल्ली सरकार के स्कूलों में ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ा जा सकता है. अब देखने वाली बात ये होगी कि चुनावी समय में आम आदमी पार्टी भोजपुरी भाषियों की इस मांग से किस तरह निपटती है. ये इस मायने में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दिल्ली में भोजपुरी भाषी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है, जो वोटों के लिहाज से काफी मायने रखता है.