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'कोरोना बेड के नाम पर निजी अस्पताल कर रहे हैं लूट', लगाम लगाने की हुई मांग

अशोक अग्रवाल ने कहा कि अगर निजी अस्पताल कोरोना के मरीजों से पैसे वसूलते हैं तो वो कम से कम होनी चाहिए ताकि सभी मरीज अपना इलाज करा सकें. उन्होंने दिल्ली सरकार से इस मामले में तुरंत कार्रवाई कर अस्पतालों की फीस पर लगाम लगाने की मांग की.

Lawyer Ashok Aggarwal demand action regarding fees collected in the name of covid Bed
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Published : Jun 8, 2020, 7:29 PM IST

नई दिल्ली: वकील अशोक अग्रवाल ने अस्पतालों की ओर से कोविड बेड के नाम पर वसूली जा रही फीस को लूट करार दिया है. दिल्ली के रोहिणी के एक अस्पताल ने कोविड के इलाज के लिए एक मरीज को कम से कम तीन लाख रुपये के खर्च का बिल जारी किया है. अशोक अग्रवाल ने मांग की कि सरकार को इन अस्पतालों पर लगाम लगाएं.

'कोरोना बेड के नाम पर हो रही लूट'

अस्पतालों पर लगाम लगाए दिल्ली सरकार

अशोक अग्रवाल ने कहा कि अगर निजी अस्पताल कोरोना के मरीजों से पैसे वसूलते हैं तो वो कम से कम होनी चाहिए ताकि सभी मरीज अपना इलाज करा सकें. उन्होंने दिल्ली सरकार से इस मामले में तुरंत कार्रवाई कर अस्पतालों की फीस पर लगाम लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीजों का कोई वर्ग नहीं होता कि ये अमीर हैं और ये गरीब हैं.



सरोज अस्पताल में न्यूनतम फीस तीन लाख रुपये

बता दें कि रोहिणी इलाके के सरोज अस्पताल ने कोरोना के मरीजों के लिए फीस संबंधी सर्कुलर जारी किया है. इसमें दो से तीन बेड वाले के लिए प्रतिदिन चालीस हजार रुपये, एक कमरे या निजी कमरे के लिए पचास हजार रुपये प्रतिदिन, आईसीयू में जाने पर प्रतिदिन 75 हजार रुपये, वेंटिलेटर वाले आईसीयू के लिए प्रतिदिन एक लाख रुपये प्रतिदिन का खर्च बताया गया है.

अस्पताल के मुताबिक कोरोना का मरीज अस्पताल में चाहे जितना दिन रहे लेकिन कम से कम उससे तीन लाख रुपये लिए जाएंगे. मरीज से दैनिक आधार पर बिल वसूला जाएगा. ऐसे में उसे तीन लाख रुपये से ज्यादा भी देने पड़ सकते हैं.

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सर्कुलर

भर्ती होने के पहले चार से आठ लाख रुपये जमा कराने होंगे

सरोज अस्पताल के मुताबिक कोरोना के मरीज को दो से तीन बेड वाले कमरे में भर्ती होने के पहले चार लाख रुपये जमा करने होंगे. अगर वो एक निजी कमरा लेना चाहता है तो उसे पांच लाख रुपये जमा करना होगा. अगर उसे आईसीयू में भर्ती करना है तो उसे आठ लाख रुपये जमा करने होंगे. अस्पताल के मुताबिक इस पैकेज में रहने, खाने, जांच दवाईयां और दूसरे चार्ज भी शामिल होंगे.

नई दिल्ली: वकील अशोक अग्रवाल ने अस्पतालों की ओर से कोविड बेड के नाम पर वसूली जा रही फीस को लूट करार दिया है. दिल्ली के रोहिणी के एक अस्पताल ने कोविड के इलाज के लिए एक मरीज को कम से कम तीन लाख रुपये के खर्च का बिल जारी किया है. अशोक अग्रवाल ने मांग की कि सरकार को इन अस्पतालों पर लगाम लगाएं.

'कोरोना बेड के नाम पर हो रही लूट'

अस्पतालों पर लगाम लगाए दिल्ली सरकार

अशोक अग्रवाल ने कहा कि अगर निजी अस्पताल कोरोना के मरीजों से पैसे वसूलते हैं तो वो कम से कम होनी चाहिए ताकि सभी मरीज अपना इलाज करा सकें. उन्होंने दिल्ली सरकार से इस मामले में तुरंत कार्रवाई कर अस्पतालों की फीस पर लगाम लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीजों का कोई वर्ग नहीं होता कि ये अमीर हैं और ये गरीब हैं.



सरोज अस्पताल में न्यूनतम फीस तीन लाख रुपये

बता दें कि रोहिणी इलाके के सरोज अस्पताल ने कोरोना के मरीजों के लिए फीस संबंधी सर्कुलर जारी किया है. इसमें दो से तीन बेड वाले के लिए प्रतिदिन चालीस हजार रुपये, एक कमरे या निजी कमरे के लिए पचास हजार रुपये प्रतिदिन, आईसीयू में जाने पर प्रतिदिन 75 हजार रुपये, वेंटिलेटर वाले आईसीयू के लिए प्रतिदिन एक लाख रुपये प्रतिदिन का खर्च बताया गया है.

अस्पताल के मुताबिक कोरोना का मरीज अस्पताल में चाहे जितना दिन रहे लेकिन कम से कम उससे तीन लाख रुपये लिए जाएंगे. मरीज से दैनिक आधार पर बिल वसूला जाएगा. ऐसे में उसे तीन लाख रुपये से ज्यादा भी देने पड़ सकते हैं.

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सर्कुलर

भर्ती होने के पहले चार से आठ लाख रुपये जमा कराने होंगे

सरोज अस्पताल के मुताबिक कोरोना के मरीज को दो से तीन बेड वाले कमरे में भर्ती होने के पहले चार लाख रुपये जमा करने होंगे. अगर वो एक निजी कमरा लेना चाहता है तो उसे पांच लाख रुपये जमा करना होगा. अगर उसे आईसीयू में भर्ती करना है तो उसे आठ लाख रुपये जमा करने होंगे. अस्पताल के मुताबिक इस पैकेज में रहने, खाने, जांच दवाईयां और दूसरे चार्ज भी शामिल होंगे.

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