नई दिल्ली: जमीअत उलेमा-ए-हिंद हमेशा देश में शांति की पैरोकार रही है. जमीअत ने देश का यह सेकुलर कानून बनवाया है, ऐसे में उसमें किसी भी तरह के बदलाव को जमीअत आखिर कैसे बर्दाश्त करेगी. यह बात कही जमीअत के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने.
'प्रदर्शन की आवाज केंद्र तक पहुंचाने के लिए बैठक'
दरअसल जमीअत उलेमा देश के मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमाओं की एक बैठक करने जा रहा है ताकि CAA-NRC को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन की आवाज को केंद्र सरकार के कानों तक पहुंचा सकें.
'1947 से आज तक इतना विरोध नहीं हुआ'
जमीअत उलेमा-ए-हिंद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने एक खास मुलाकात में जानकारी देते हुए बताया कि देश के मौजूदा हालात और दिल्ली में चल रहे आंदोलन की गूंज को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक बैठक करने जा रही है. मौलाना आबिद ने कहा कि 1947 से लेकर आज तक कभी इतना विरोध नहीं हुआ. सरकार को आंदोलन कर रहे लोगों की बात पर ध्यान देना चाहिए था, जो कि नहीं दिया गया. जमीअत उलेमा हिंद देश में शांति की पैरोकार रही है और राष्ट्र एकता से जुड़े कार्यक्रम हमेशा होते चले आए हैं.
'सबसे पहले जमीअत ने किया था प्रदर्शन'
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के संबंध में भी जमीअत ने सबसे पहले दिल्ली प्रदेश के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन किया था. मौलाना ने बताया कि16 फरवरी को जमीअत उलेमा दिल्ली प्रदेश के मार्गदर्शन में उसमानपुर थाना के निकट मस्जिद में होने जा रही अति आवश्यक मीटिंग में दिल्ली के सभी जिलों के पदाधिकारियों के साथ ही शहर के जिम्मेदार समाजिक कारकुनों और मुस्लिम बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है. इस मीटिंग में होने वाले निर्णय के बाद ही एक विशाल सम्मेलन का निर्धारण भी किया जाएगा.
'देश के सभी वर्गों पर पड़ रहा प्रदर्शन का असर'
मौलाना आबिद कासमी ने एक खास मुलाकात में बताया कि केंद्र द्वारा लाए जा रहे नागरिकता संशोधन कानून CAA -NRC और NPR के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग, जाफराबाद समेत विभिन्न इलाकों में चल रहे आंदोलन का असर देश के सभी वर्गों पर पड़ रहा है, लेकिन हैरत की बात तो यह है कि केंद्र सरकार के कानों पर कोई जूं नहीं रेंग रही है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जमीअत दिल्ली प्रदेश की ओर से पूरी दिल्ली से मुस्लिम बुद्धिजीवी खासकर उलेमाओं को इस खास मीटिंग में बुलाया गया है.