नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्पतालों की ओर से कोरोना मरीजों के इलाज के लिए वसूले जा रहे अनाप-शनाप बिल पर चिंता जताई है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि वो सभी अस्पतालों और उनके एसोसिएशन के साथ कोरोना मरीजों के इलाज को न्यायसंगत बनाने के लिए बैठक करें.
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पैसे लेने के बाद वकील की मां का शव दिया
सुनवाई के दौरान एक वकील अभय गुप्ता ने कहा कि एक वकील की मां का देहांत हो गया. अस्पताल वाले रोजाना एक लाख रुपये जमा कराने की मांग कर रहे थे. अस्पताल वालों ने वकील की मां का शव पैसे जमा कराने के बाद ही दिया. तब कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को प्राथमिकता देना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि हमने 7 मई को ही अस्पतालों की ओर से मरीजों से ज्यादा चार्ज वसूले जाने पर आदेश दिया था. इस पर सरकार को जवाब देना था. तब दिल्ली सरकार की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि इस मामले पर 13 मई को सुनवाई रखी जाए. हम इस पर बैठक कर कोर्ट को सूचना देंगे.
इलाज का एक स्लैब होना चाहिए
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि वे अस्पतालों और उनसे एसोसिएशन के साथ बैठक कर कोरोना मरीजों के इलाज को न्यायसंगत बनाने पर विचार करें. कोर्ट ने कहा कि इस बैठक में एमिकस क्युरी राजशेखर राव को भी शामिल किया जाए. इस बैठक के आधार पर दिल्ली सरकार अस्पतालों की ओर से इलाज के लिए वसूले जाने वाले चार्ज पर आदेश जारी करे.
कोर्ट ने कहा कि हम इसके विस्तार में नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन इलाज का एक स्लैब होना चाहिए. अलग-अलग किस्म के मरीज का चार्ज भी अलग-अलग होना चाहिए. ऑक्सीजन वाले बेड का अगल चार्ज, आईसीयू, वेंटिलेटर वाले बेड का अलग चार्ज इत्यादि. जस्टिस रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप कह रहे हैं कि स्थिति में सुधार हुआ है, तो इन चीजों पर गौर करें. तब मेहरा ने कहा कि हम इसका ऑडिट करेंगे और कड़ी कार्रवाई करेंगे.