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16 जनवरी से टीके लगाने का काम होगा शुरू, जानिए क्या है विशेषज्ञ की राय - expert view on corona vaccination

पूरे देश भर में 16 जनवरी से कोरोना के टीके लगाने का काम शुरु हो जाएगा. इसको लेकर क्या चुनौतियां हैं और हेल्थ वर्कर्स खुद को टीका लगाने के साथ-साथ इससे कैसे निपटेंगे इसको लेकर जानिए विशेषज्ञ की राय...

expert conversation on corona vaccination
टीके लगाने की आई बारी, जानिए क्या है विशेषज्ञ की राय
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Published : Jan 13, 2021, 8:48 PM IST

नई दिल्ली: आगामी 16 जनवरी से देशभर में फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स को कोरोना के टीके लगाया जाना शुरू हो जाएगा. देश भर के 3 करोड़ हेल्थ केयर वर्कर्स के अलावा 50 वर्ष से ऊपर के लोगों की संख्या लगभग 27 करोड़ है.

विशेषज्ञ की राय


टीकाकरण के मामले में भारत पहले पायदान पर

टीके की सफलता को लेकर वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ दीपक नटराजन बताते हैं कि 16 जनवरी से शुरू होने वाले टीकाकरण का प्रोग्राम एक बहुत बड़ा चैलेंज है. टारगेट ग्रुप को सफलतापूर्वक टीका लगाना जरूर मुश्किल होगा, लेकिन जैसे ही टीकाकरण का प्रोग्राम शुरू होगा इस दिशा में होने वाली समस्याएं भी दर्ज की जाएगी. इसको लेकर कहां-कहां परेशानी वाली स्थिति पैदा हो सकती है, यह बाद में पता चल पाएगा लेकिन यह बात भी सच है कि टीकाकरण के मामले में दुनिया में भारत पहले पायदान पर खड़ा है. इस तरह के काफी अनुभव पहले हो चुके हैं. यह बात जरूर है यह टीकाकरण पहले के टीकाकरण के मुकाबले बिल्कुल अलग है, क्योंकि पहली बार यह टीका एडल्ट लोगों को दिया जा रहा है.


39 करोड़ लोगों को पहले फेज में लगेगा टीका

डॉ नटराजन ने बताया कि टीके लगाने वाले एक्सपर्ट इस काम में माहिर हैं, क्योंकि भारत के पास टीकाकरण को लेकर बहुत लंबा अनुभव है. पोलियो टीकाकरण से लेकर टाइफाइड और हेपेटाइटिस बी जैसे टीके सफलतापूर्वक लोगों को लगाए जा रहे हैं. पहले फेज में लगभग 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगाए जाएंगे. इनमें 27 करोड़ ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है और रिस्क ग्रुप में शामिल हैं.


फ्रंटलाइन वर्कर्स कौन है और हेल्पलाइन वर्कर्स कौन है ये कौन बताएगा? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है, क्योंकि ये आंकड़े अस्पतालों के पास पहले से उपलब्ध हैं. सरकारी अस्पतालों के पास पहले से ही ये आंकड़े हैं. जहां तक निजी अस्पतालों का मामला है तो यह जिम्मेवारी वहां के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और मेडिकल डायरेक्टर की है.


ऐप की मदद से क्रोनिक बीमारियों के बारे में चलेगा पता

अच्छी बात यह है कि डिजिटल इंफॉर्मेशन हेल्थ सिस्टम भी बनाया गया है. इसके अलावा एक ऐप भी होगा जिससे यह मालूम हो जाएगा कि किस व्यक्ति को कौन सी क्रॉनिक बीमारियां है. इसकी मदद से 50 साल के नीचे के ऐसे व्यक्ति को टीके लगाए जायंगे जिन्हें कोई क्रोनिक बीमारी है. ऐसे मरीजों को टीका लगाने के बाद खास ध्यान देने की जरूरत है.

नई दिल्ली: आगामी 16 जनवरी से देशभर में फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स को कोरोना के टीके लगाया जाना शुरू हो जाएगा. देश भर के 3 करोड़ हेल्थ केयर वर्कर्स के अलावा 50 वर्ष से ऊपर के लोगों की संख्या लगभग 27 करोड़ है.

विशेषज्ञ की राय


टीकाकरण के मामले में भारत पहले पायदान पर

टीके की सफलता को लेकर वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ दीपक नटराजन बताते हैं कि 16 जनवरी से शुरू होने वाले टीकाकरण का प्रोग्राम एक बहुत बड़ा चैलेंज है. टारगेट ग्रुप को सफलतापूर्वक टीका लगाना जरूर मुश्किल होगा, लेकिन जैसे ही टीकाकरण का प्रोग्राम शुरू होगा इस दिशा में होने वाली समस्याएं भी दर्ज की जाएगी. इसको लेकर कहां-कहां परेशानी वाली स्थिति पैदा हो सकती है, यह बाद में पता चल पाएगा लेकिन यह बात भी सच है कि टीकाकरण के मामले में दुनिया में भारत पहले पायदान पर खड़ा है. इस तरह के काफी अनुभव पहले हो चुके हैं. यह बात जरूर है यह टीकाकरण पहले के टीकाकरण के मुकाबले बिल्कुल अलग है, क्योंकि पहली बार यह टीका एडल्ट लोगों को दिया जा रहा है.


39 करोड़ लोगों को पहले फेज में लगेगा टीका

डॉ नटराजन ने बताया कि टीके लगाने वाले एक्सपर्ट इस काम में माहिर हैं, क्योंकि भारत के पास टीकाकरण को लेकर बहुत लंबा अनुभव है. पोलियो टीकाकरण से लेकर टाइफाइड और हेपेटाइटिस बी जैसे टीके सफलतापूर्वक लोगों को लगाए जा रहे हैं. पहले फेज में लगभग 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगाए जाएंगे. इनमें 27 करोड़ ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है और रिस्क ग्रुप में शामिल हैं.


फ्रंटलाइन वर्कर्स कौन है और हेल्पलाइन वर्कर्स कौन है ये कौन बताएगा? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है, क्योंकि ये आंकड़े अस्पतालों के पास पहले से उपलब्ध हैं. सरकारी अस्पतालों के पास पहले से ही ये आंकड़े हैं. जहां तक निजी अस्पतालों का मामला है तो यह जिम्मेवारी वहां के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और मेडिकल डायरेक्टर की है.


ऐप की मदद से क्रोनिक बीमारियों के बारे में चलेगा पता

अच्छी बात यह है कि डिजिटल इंफॉर्मेशन हेल्थ सिस्टम भी बनाया गया है. इसके अलावा एक ऐप भी होगा जिससे यह मालूम हो जाएगा कि किस व्यक्ति को कौन सी क्रॉनिक बीमारियां है. इसकी मदद से 50 साल के नीचे के ऐसे व्यक्ति को टीके लगाए जायंगे जिन्हें कोई क्रोनिक बीमारी है. ऐसे मरीजों को टीका लगाने के बाद खास ध्यान देने की जरूरत है.

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