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Positive Bharat Podcast: सुनिए एपीजे अब्दुल कलाम की सादगी और ईमानदारी के प्रेरणादायक किस्से

भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़े कई किस्से लोगों की स्मृतियों में हैं. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो इन किस्सों के गवाह भी रहे हैं. आज जहां हर कोई राजा बनना चाहता है, राजा जैसा ही व्यवहार करता है, वहीं शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी कलाम ने सादगी और ईमानदारी की कई प्रेरणादायक मिसाल पेश की हैं. जो हमारे लिए एक आइना का काम करती हैं. साथ ही हमें जीवन से जुड़ी कुछ अमुल्य सीख भी देती हैं.

जनता के राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनसुने किस्से
ETV BHARAT POSITIVE PODCAST STORY ON apj abdul kalam
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Published : Oct 15, 2021, 10:12 AM IST

Updated : Oct 15, 2021, 10:29 AM IST

नई दिल्ली: आज के इस पॅाडकास्ट (Positive Bharat Podcast APJ Abdul Kalam) में हमारे देश के मिसाइल मैन कहे जाने वाले जनता के राष्ट्रपति के तौर पर प्रसिद्ध अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम यानी ए.पी.जे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam Story) के कुछ अनसुने किस्सों को सुनेंगे.

कलाम की जीवनी से जुड़ा एक किस्सा है कि जब एक बार कलाम के कुछ 50-60 रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, तब उन्हें स्टेशन से राष्ट्रपति भवन लाया गया, जहां उनका कुछ दिन ठहरने का कार्यक्रम था. तब उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने अपनी जेब से दिया था. संबंधित अधिकारियों को साफ निर्देश था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी (APJ Abdul Kalam Nature). यह भी कि रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा जाएगा और इसका भुगतान राष्ट्रपति के नहीं बल्कि कलाम के निजी खाते से होगा. एक हफ्ते में इन रिश्तेदारों पर हुआ तीन लाख चौवन हजार नौ सौ चौबीस रुपये का कुल खर्च देश (APJ Abdul Kalam Income) के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने (APJ Abdul Kalam Missile Man) अपनी जेब से भरा था.

ETV BHARAT POSITIVE PODCAST STORY ON apj abdul kalam

ऐसा ही एक और सादगी से भरा किस्सा कलाम का है, जब वह आईआईटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर गए थे. वहां मंच पर जाकर उन्होंने देखा कि जो पांच कुर्सियां रखी गई हैं. उनमें बीच वाली कुर्सी का आकार बाकी चार से बड़ा है. यह कुर्सी राष्ट्रपति के लिए ही थी और यही इसके बाकी से बड़ा होने का कारण भी था. कलाम ने इस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया. उन्होंने वाइस चांसलर से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया. वीसी भला ऐसा कैसे कर सकते थे? इस जनता के राष्ट्रपति के लिए तुरंत दूसरी कुर्सी मंगाई गई, जो साइज में बाकी कुर्सियों (APJ Abdul Kalam) जैसी ही थी. तब कहीं जाकर अब्दुल कलाम कुर्सी पर बैठने के लिए राजी हुए.

कलाम से जुड़ा तीसरा किस्सा तब का है जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे. उनका ठहरना राजभवन में हुआ था. वहां उनके पास आने वाला सबसे पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं, बल्कि सड़क पर बैठने वाला एक मोची और एक छोटे से होटल का मालिक था. एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था. इस मोची ने कई बार उनके जूते गांठे थे और उस छोटे से होटल में कलाम ने कई बार खाना खाया था. कलाम की सादगी ऐसी की आज शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी, कलाम ने उनसे जुड़े छोटे से छोटे व्यक्ति को याद रखा (President APJ Abdul Kalam).

जब कलाम अपना कार्यकाल पूरा कर राष्ट्रपति भवन (APJ Abdul Kalam President House) से जा रहे थे, तो उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया. उस वक्त कलाम ने कहा ‘विदाई कैसी, मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं.’

आज ए.पी.जे अब्दुल कलाम का चेहरा हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी उनके यह सादगी और ईमानदारी से भरे किस्से. एक अरब देशवासियों के साथ हैं. उनके ये किस्से आज भी हमें प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं.

तो यह थी जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले ए.पी.जे अब्दुल कलाम की कहानी, जिनकी शख्सियत यह सिखाती है कि, चाहे आप अर्श पर हो या फर्श पर अपनी सादगी और सत्यता कभी ना भूलें, हमेशा दूसरों के प्रति समर्पित रहें.

और क्या आप जानते हैं कि हर साल 15 अक्तूबर को ए.पी.जे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस को उनके सम्मान में विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

नई दिल्ली: आज के इस पॅाडकास्ट (Positive Bharat Podcast APJ Abdul Kalam) में हमारे देश के मिसाइल मैन कहे जाने वाले जनता के राष्ट्रपति के तौर पर प्रसिद्ध अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम यानी ए.पी.जे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam Story) के कुछ अनसुने किस्सों को सुनेंगे.

कलाम की जीवनी से जुड़ा एक किस्सा है कि जब एक बार कलाम के कुछ 50-60 रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, तब उन्हें स्टेशन से राष्ट्रपति भवन लाया गया, जहां उनका कुछ दिन ठहरने का कार्यक्रम था. तब उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने अपनी जेब से दिया था. संबंधित अधिकारियों को साफ निर्देश था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी (APJ Abdul Kalam Nature). यह भी कि रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा जाएगा और इसका भुगतान राष्ट्रपति के नहीं बल्कि कलाम के निजी खाते से होगा. एक हफ्ते में इन रिश्तेदारों पर हुआ तीन लाख चौवन हजार नौ सौ चौबीस रुपये का कुल खर्च देश (APJ Abdul Kalam Income) के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने (APJ Abdul Kalam Missile Man) अपनी जेब से भरा था.

ETV BHARAT POSITIVE PODCAST STORY ON apj abdul kalam

ऐसा ही एक और सादगी से भरा किस्सा कलाम का है, जब वह आईआईटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर गए थे. वहां मंच पर जाकर उन्होंने देखा कि जो पांच कुर्सियां रखी गई हैं. उनमें बीच वाली कुर्सी का आकार बाकी चार से बड़ा है. यह कुर्सी राष्ट्रपति के लिए ही थी और यही इसके बाकी से बड़ा होने का कारण भी था. कलाम ने इस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया. उन्होंने वाइस चांसलर से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया. वीसी भला ऐसा कैसे कर सकते थे? इस जनता के राष्ट्रपति के लिए तुरंत दूसरी कुर्सी मंगाई गई, जो साइज में बाकी कुर्सियों (APJ Abdul Kalam) जैसी ही थी. तब कहीं जाकर अब्दुल कलाम कुर्सी पर बैठने के लिए राजी हुए.

कलाम से जुड़ा तीसरा किस्सा तब का है जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे. उनका ठहरना राजभवन में हुआ था. वहां उनके पास आने वाला सबसे पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं, बल्कि सड़क पर बैठने वाला एक मोची और एक छोटे से होटल का मालिक था. एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था. इस मोची ने कई बार उनके जूते गांठे थे और उस छोटे से होटल में कलाम ने कई बार खाना खाया था. कलाम की सादगी ऐसी की आज शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी, कलाम ने उनसे जुड़े छोटे से छोटे व्यक्ति को याद रखा (President APJ Abdul Kalam).

जब कलाम अपना कार्यकाल पूरा कर राष्ट्रपति भवन (APJ Abdul Kalam President House) से जा रहे थे, तो उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया. उस वक्त कलाम ने कहा ‘विदाई कैसी, मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं.’

आज ए.पी.जे अब्दुल कलाम का चेहरा हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी उनके यह सादगी और ईमानदारी से भरे किस्से. एक अरब देशवासियों के साथ हैं. उनके ये किस्से आज भी हमें प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं.

तो यह थी जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले ए.पी.जे अब्दुल कलाम की कहानी, जिनकी शख्सियत यह सिखाती है कि, चाहे आप अर्श पर हो या फर्श पर अपनी सादगी और सत्यता कभी ना भूलें, हमेशा दूसरों के प्रति समर्पित रहें.

और क्या आप जानते हैं कि हर साल 15 अक्तूबर को ए.पी.जे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस को उनके सम्मान में विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Last Updated : Oct 15, 2021, 10:29 AM IST
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