नई दिल्ली: राजधानी में यमुना की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. हर बार यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. यमुना को साफ करने के लिए हर साल बजट भी जारी किया जाता है. उसके बाद भी यमुना की सफाई नहीं हुई है. हाल ही में दिल्ली सरकार ने यमुना में मूर्ति विसर्जन नहीं करने को लेकर आदेश जारी किया है, जो भी व्यक्ति यमुना में मूर्ति विसर्जन करेगा उसे 50 हजार रुपए का जुर्माना और छह महीने की सजा का सामना करना पड़ेगा. अब इस मुद्दे पर राजनीति गर्म हो गई है.
यमुना में मूर्ति विसर्जन के खिलाफ पारित किए आदेश पर अब भाजपा महिला नेता और प्रवक्ता टीना शर्मा ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भाग की नजर आई है. उन्होंने टैक्सपेयर के पैसों से कमेटी बनाई, फंड्स बनाए और यमुना की सफाई को लेकर प्रचार-प्रसार भी किया. पिछले 7 सालों से दिल्ली गवाह है कि यमुना की सफाई को लेकर कोई काम नहीं किया गया. यमुना की सफाई के नाम पर प्रचार प्रसार करके दिल्ली की जनता का पैसा खर्च किया गया. बीते तीन सालों में छठ पूजा करने के लिए श्रद्धालु यमुना घाट पर गए तो यमुना की स्थिति बदहाल थी. गंदगी का अंबार लगा था. यमुना में झाग के बुलबुले तैर रहे थे, जो पैसा सरकार को यमुना की सफाई पर खर्च करना चाहिए था उस पैसे से केवल यमुना की सफाई पर प्रचार किया गया. नदियों के घाट पर जाकर छठ पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और इसी तरह लोग हर बार नदियों के घाट पर जाकर छठ पूजा करते हैं.
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अब दिल्ली सरकार का एक नया फैसला आया है, जो व्यक्ति यमुना में मूर्ति विसर्जन करेगा उसे 6 महीने की सजा काटनी होगी और 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. दिल्ली सरकार का यह बड़ा ही अजीब फैसला है, दिल्ली सरकार इस तरह के फैसलों से जनता की भावना के साथ खिलवाड़ कर रही है. सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है. सरकार के पास अब कोई जवाब नहीं है. टैक्सपेयर के पैसे से यमुना साफ करने के लिए साढ़े चार हजार करोड़ का बजट पास किया गया था, उससे यमुना की सफाई का काम शुरू भी नहीं हुआ. केवल झूठा प्रचार किया गया.
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