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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की याचिका पर फैसला सुरक्षित

दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की याचिका को कैट की प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Feb 25, 2022, 7:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की याचिका को कैट की प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने सभी पक्षों को कल यानि 26 फरवरी तक लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है.

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ट्रिब्यूनल को एक बेंच से दूसरे बेंच को मामला ट्रांसफर करने का विशेषाधिकार है. बता दें कि पहले इस मामले को सिंगल बेंच से डिवीजन बेंच में ट्रांसफर किया गया था. अलपन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कैट के कोलकाता बेंच से केस प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया है. याचिकाकर्ता अलपन बंदोपाध्याय की ओर से वकील कुणाल मीमाणी ने कहा प्रिंसिपल बेंच का आदेश नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. बंदोपाध्याय को ट्रांसफर पिटीशन पर अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया.

इसे भी पढ़ेंः दिल्ली हाईकोर्ट को मिले चार नये जज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मई 2021 को चक्रवात यास को लेकर हुई बैठक में बंगाल के मुख्य सचिव रहते हुए अलपन के शामिल नहीं होने पर केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. अलपन को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था. इस बीच 31 मई को बंदोपाध्याय ने वीआरएस ले लिया. लेकिन केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रखी.

इसे भी पढ़ेंः कोयला घोटाला मामले में रुजिरा बनर्जी के खिलाफ ईडी की याचिका पर सुनवाई टली


बंदोपाध्याय ने केंद्र की कार्यवाही को कैट की कोलकाता बेंच में चुनौती दी थी. लेकिन केंद्र के अनुरोध पर कैट ने 21 अक्टूबर को इस मामले को कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर कर दिया और बंदोपाध्याय को निर्देश दिया गया कि वो प्रिंसिपल बेंच के समक्ष 22 अक्टूबर 2021 को उपस्थित हों. बंदोपाध्याय ने इस फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंदोपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अपनाई गई पूरी प्रक्रिया से पूर्वाग्रह की बू आ रही है.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसके साथ ही केस को प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 6 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया था. अब बंदोपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की याचिका को कैट की प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने सभी पक्षों को कल यानि 26 फरवरी तक लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया है.

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ट्रिब्यूनल को एक बेंच से दूसरे बेंच को मामला ट्रांसफर करने का विशेषाधिकार है. बता दें कि पहले इस मामले को सिंगल बेंच से डिवीजन बेंच में ट्रांसफर किया गया था. अलपन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कैट के कोलकाता बेंच से केस प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया है. याचिकाकर्ता अलपन बंदोपाध्याय की ओर से वकील कुणाल मीमाणी ने कहा प्रिंसिपल बेंच का आदेश नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. बंदोपाध्याय को ट्रांसफर पिटीशन पर अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मई 2021 को चक्रवात यास को लेकर हुई बैठक में बंगाल के मुख्य सचिव रहते हुए अलपन के शामिल नहीं होने पर केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. अलपन को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था. इस बीच 31 मई को बंदोपाध्याय ने वीआरएस ले लिया. लेकिन केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रखी.

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बंदोपाध्याय ने केंद्र की कार्यवाही को कैट की कोलकाता बेंच में चुनौती दी थी. लेकिन केंद्र के अनुरोध पर कैट ने 21 अक्टूबर को इस मामले को कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर कर दिया और बंदोपाध्याय को निर्देश दिया गया कि वो प्रिंसिपल बेंच के समक्ष 22 अक्टूबर 2021 को उपस्थित हों. बंदोपाध्याय ने इस फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंदोपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अपनाई गई पूरी प्रक्रिया से पूर्वाग्रह की बू आ रही है.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसके साथ ही केस को प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 6 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया था. अब बंदोपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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