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2007 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के दोषियों की सजा की अवधि पर फैसला सुरक्षित

राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले में धोखाधड़ी का दोषी करार दिए गए एचईपीएल नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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Published : Sep 5, 2022, 4:23 PM IST

राऊज एवेन्यू कोर्ट
राऊज एवेन्यू कोर्ट

नई दिल्ली: राजधानी की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले में धोखाधड़ी का दोषी करार दिए गए एचईपीएल नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. स्पेशल जज संजय बंसल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सात सितंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

एक सितंबर को कोर्ट ने एचईपीएल और उसके तीन अधिकारियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने एचईपीएल समेत चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 का दोषी करार दिया था. कंपनी के अलावा जिन्हें दोषी करार दिया गया. उनमें कंपनी के दो डायरेक्टर उज्ज्वल कुमार उपाध्याय और विकास मुखर्जी समेत कंपनी के सीजीएम (पावर) एनसी चक्रवर्ती शामिल हैं. चारो पर आरोप है कि इन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन हासिल करने के लिए प्रोजेक्ट की भूमि के लिए गलत सूचना दी.

सीबीआई के मुताबिक, तीनों आरोपियों ने एचईपीएल कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और पश्चिम बंगाल के गौरांगडीड एबीसी कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय को जून 2007 में झूठी जानकारी दी.

सीबीआई के मुताबिक, इन लोगों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल कर केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी की. इन लोगों ने कोयला मंत्रालय को झूठ बोला कि उन्होंने 74 करोड़ रुपये का निवेश किया है और प्रोजेक्ट के लिए 80 एकड़ भूमि अधिगृहित की है. सीबीआई ने इस मामले में 7 अगस्त 2014 को एफआईआर दर्ज किया.

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नई दिल्ली: राजधानी की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले में धोखाधड़ी का दोषी करार दिए गए एचईपीएल नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. स्पेशल जज संजय बंसल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सात सितंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

एक सितंबर को कोर्ट ने एचईपीएल और उसके तीन अधिकारियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने एचईपीएल समेत चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 का दोषी करार दिया था. कंपनी के अलावा जिन्हें दोषी करार दिया गया. उनमें कंपनी के दो डायरेक्टर उज्ज्वल कुमार उपाध्याय और विकास मुखर्जी समेत कंपनी के सीजीएम (पावर) एनसी चक्रवर्ती शामिल हैं. चारो पर आरोप है कि इन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन हासिल करने के लिए प्रोजेक्ट की भूमि के लिए गलत सूचना दी.

सीबीआई के मुताबिक, तीनों आरोपियों ने एचईपीएल कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और पश्चिम बंगाल के गौरांगडीड एबीसी कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय को जून 2007 में झूठी जानकारी दी.

सीबीआई के मुताबिक, इन लोगों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल कर केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी की. इन लोगों ने कोयला मंत्रालय को झूठ बोला कि उन्होंने 74 करोड़ रुपये का निवेश किया है और प्रोजेक्ट के लिए 80 एकड़ भूमि अधिगृहित की है. सीबीआई ने इस मामले में 7 अगस्त 2014 को एफआईआर दर्ज किया.

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