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बाबा रामदेव के बयान पर HC ने पूछा, क्या सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसी ही याचिका दायर की गई है

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Published : Aug 26, 2022, 6:22 PM IST

एलोपैथिक चिकित्सा पर दिल्ली उच्च न्यायालय में बाबा रामदेव के मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसी ही याचिका दायर की गई है.

बाबा रामदेव
बाबा रामदेव

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बाबा रामदेव की एलोपैथी और कोरोना की वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका और हाईकोर्ट में दाखिल याचिका एक ही तथ्य पर आधारित हैं. इसका जवाब मांगते हुए जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई टाल दी.

इससे पहले 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक दवाइयों और वैक्सीनेशन के खिलाफ बाबा रामदेव की टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी. चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है. योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनकी इज्ज़त करते हैं, पर उन्हें इलाज के दूसरे तरीको पर यूं सवाल नहीं उठाना चाहिए. उन्हें दूसरो की आलोचना करने से बचना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट में याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दायर किया है. याचिका में बाबा रामदेव की कोरोना वैक्सीन और एलोपैथिक दवाईयों को लेकर दिए गए बयान पर नियंत्रण लगाने का दिशा- निर्देश जारी करने की मांग की गई है. आईएमए ने याचिका में कहा है कि आयुष कंपनियां भी अपने बयानों से आम जनता को भ्रमित कर रही हैं. वे कहती हैं कि डॉक्टर एलोपैथिक दवाईयां लेते हैं, लेकिन उन्हें भी कोरोना ने अपना शिकार बनाया. आईएमए ने कहा है कि इस तरह की भ्रामक बयानबाजी पर रोक लगाने की जरुरत है.

17 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कोरोना वैक्सीन पर सवाल खड़े करने और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के वैक्सीन लेने के बावजूद कोरोना संक्रमित होने वाले बयान पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसे बयान से हमारे देश के दूसरे देशों से संबंध प्रभावित हो सकते हैं. हाईकोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव के बयान से आयुर्वेद जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा पद्धति की छवि भी खराब होगी.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बाबा रामदेव की एलोपैथी और कोरोना की वैक्सीन पर सवाल खड़े करने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका और हाईकोर्ट में दाखिल याचिका एक ही तथ्य पर आधारित हैं. इसका जवाब मांगते हुए जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई टाल दी.

इससे पहले 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक दवाइयों और वैक्सीनेशन के खिलाफ बाबा रामदेव की टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी. चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है. योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनकी इज्ज़त करते हैं, पर उन्हें इलाज के दूसरे तरीको पर यूं सवाल नहीं उठाना चाहिए. उन्हें दूसरो की आलोचना करने से बचना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट में याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दायर किया है. याचिका में बाबा रामदेव की कोरोना वैक्सीन और एलोपैथिक दवाईयों को लेकर दिए गए बयान पर नियंत्रण लगाने का दिशा- निर्देश जारी करने की मांग की गई है. आईएमए ने याचिका में कहा है कि आयुष कंपनियां भी अपने बयानों से आम जनता को भ्रमित कर रही हैं. वे कहती हैं कि डॉक्टर एलोपैथिक दवाईयां लेते हैं, लेकिन उन्हें भी कोरोना ने अपना शिकार बनाया. आईएमए ने कहा है कि इस तरह की भ्रामक बयानबाजी पर रोक लगाने की जरुरत है.

17 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कोरोना वैक्सीन पर सवाल खड़े करने और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के वैक्सीन लेने के बावजूद कोरोना संक्रमित होने वाले बयान पर आपत्ति जताई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसे बयान से हमारे देश के दूसरे देशों से संबंध प्रभावित हो सकते हैं. हाईकोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव के बयान से आयुर्वेद जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा पद्धति की छवि भी खराब होगी.

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