नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन ने नवंबर में 17.4 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच कर मूल्य में एक नया शिखर देखा, जो अक्टूबर में 17.16 ट्रिलियन रुपये की तुलना में 1.4 फीसदी अधिक है. लेन-देन 1.5 फीसदी घटकर 11.24 बिलियन रह गया, जबकि अक्टूबर में यह 11.41 बिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर था. सितंबर में लेनदेन की संख्या 10.56 अरब थी, जिसका मूल्य 15.8 ट्रिलियन रुपये था.
एनपीसीआई के आंकड़े
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, यह पिछले साल के इसी महीने की तुलना में मात्रा के लिहाज से 54 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 46 फीसदी अधिक था. नवंबर में तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) लेनदेन की मात्रा 4 फीसदी घटकर 472 मिलियन रह गई, जबकि अक्टूबर में यह 493 मिलियन और सितंबर में 473 मिलियन थी. मूल्य के संदर्भ में, नवंबर का आंकड़ा अक्टूबर के 5.38 ट्रिलियन रुपये की तुलना में थोड़ा कम होकर 5.35 ट्रिलियन रुपये रह गया.
FASTag लेनदेन बढ़ा
नवंबर 2022 की तुलना में 2 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. सितंबर 2023 में, IMPS का मूल्य 5.07 ट्रिलियन रुपये देखा गया है. नवंबर में FASTag लेनदेन अक्टूबर में 320 मिलियन की तुलना में मामूली रूप से बढ़कर 321 मिलियन हो गया. नवंबर में FASTag लेनदेन का मूल्य 5,303 करोड़ रुपये देखा गया, जो अक्टूबर में 5,539 करोड़ रुपये से 4 फीसदी कम है. सितंबर महीने में 299 करोड़ और 5,089 करोड़ रुपये था.
डिजिटलीकरण को मिला बढ़ावा
नवंबर 2022 की तुलना में 12 फीसदी और मूल्य में 14 फीसदी की बढ़ोतरी थी. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना डिजिटलीकरण की भारतीय कहानी का प्रमुख आधार रहा है और डिजिटल टोल भुगतान से अधिक इसका कोई उदाहरण नहीं है. ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर विवेक अय्यर ने कहा, प्रौद्योगिकी पहुंच प्रदान किए जाने के बाद प्रौद्योगिकी को अपनाना अगला महत्वपूर्ण चरण है और एनईटीसी फास्टैग ने प्रक्रिया को निर्बाध बना दिया है.
नवंबर में, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) 10 फीसदी बढ़कर 110 मिलियन पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह 100 मिलियन थी. मूल्य के लिहाज से भी नवंबर में यह 14 फीसदी बढ़कर 29,640 करोड़ रुपये हो गया, जबकि अक्टूबर में यह 25,973 करोड़ रुपये था. यह पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में मात्रा के हिसाब से 15 फीसदी और मूल्य के हिसाब से 14 फीसदी अधिक है. सितंबर 2023 में यह क्रमश- 101 करोड़ और 25,984 करोड़ रुपये था.