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अनचाहे लोन बनते हैं समस्या का सबब, मिलने वाले हर कर्ज को न कहें या हां!

कर्ज (Loan) का जाल कई बार लोगों को ऐसे अपने आप में फंसा लेता है कि उन्हें पता ही नहीं चलता है. लोग लोन पर लोन लेते जाते हैं और कर्ज के बोझ तले दबते जाते हैं, लेकिन लोन लेने से पहले आपको उसे चुकाने की योजना पर पहले सोचना चाहिए. ध्यान ये भी रखना चाहिए कि दिए जा रहे हर लोन को स्वीकार न करें, वर्ना आप अपनी आय से ज्यादा कर्ज में डूब जाएंगे. पढ़िए आपको क्या-क्या सावधानी रखी चाहिए.

अवांछनीय लोन
अवांछनीय लोन
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Published : Sep 12, 2022, 2:15 PM IST

हैदराबाद: आज के समय में कई ऐसे लोग हैं, जो कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं. किसी का होम लोन (Home Loan) चल रहा है, तो किसी की कार की ईएमआई जा रही है. कहीं कोई पर्सनल लोन (Personal Loan) चुका रहा है तो वहीं कोई मोटरसाइकिल की किश्त हर महीने निकाल रहा है. लेकिन कई बार लोग अपनी कमाई को ध्यान में न रखते हुए लोन लेते चले जाते हैं और कर्ज के पहाड़ के नीचे दब जाते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस समस्या से निकलने का उनके पास कोई रास्ता भी नहीं होता है. उन लोगों के साथ ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे मिलने वाले हर लोन को स्वीकार कर (Unsolicited Loans Cast An Inescapable Trap) लेते हैं.

छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए रहें तैयार: कमाई के हिसाब से खर्च करने के मूल सिद्धांत की अनदेखी करना ही इन सभी परिहार्य समस्याओं का मूल कारण है. जो भी हो मौजूदा समय में चलन यही चल रहा है कि भविष्य की आय को आज ही खर्च कर दिया जाए. एक बार जब कोई वित्तीय योजना गड़बड़ा जाती है, तो फिर से पटरी पर आना बहुत मुश्किल होता है. कर्ज लेना आसान है, लेकिन उससे पहले हमें छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. वेतन, लाभांश, ब्याज और अन्य स्रोतों से व्यय और आय के बीच संतुलन बनाना चाहिए.

पढ़ें: अकासा एयर ने चेन्नई-बेंगलुरु मार्ग पर उड़ान सेवा शुरू की

सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता: इसके अलावा जरूरतों, इच्छाओं और लग्जरी में अंतर होना चाहिए. हमें अपनी इच्छाओं को स्थगित कर देना चाहिए. अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक विलासिता के कारण कर्ज के जाल में फंस सकते हैं. ऋण लेने से पहले, पिछले ऋणों और प्रतिबद्धताओं की गहन जांच होनी चाहिए. 10 प्रतिशत से अधिक ब्याज वाले ऋण लंबी अवधि में एक बड़ा बोझ होते हैं. यदि आपके पास पहले से ही असहनीय ऋण हैं, तो आपको सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए. सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है समय पर किश्तों का भुगतान करने की क्षमता हासिल करने के लिए खर्च को कम करना.

बैंक जमा, इक्विटी, म्यूचुअल फंड और ऋण से आप कितना निकाल सकते हैं, इसकी स्पष्ट समझ आपको होनी आवश्यक है. ऋण लेने से पहले उसे चुकाने के लिए एक कार्य योजना की आवश्यकता होती है. 10 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज वाले कर्जों को प्राथमिकता के आधार पर चुकाना चाहिए. यदि आपके पास अधिशेष है, तो ऋण का भुगतान जल्द से जल्द करने के लिए ईएमआई को बढ़ाया जाना चाहिए. अप्रत्याशित परिस्थितियों में, कम मूल्य की संपत्ति बेची जा सकती है. यदि कोई ऋण नहीं है, तो कोई इत्मीनान से लंबी अवधि के निवेश पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

पढ़ें: हॉस्पिटल बिल को कम करना है तो अपनाइए मेडिकल बीमा

हर कर्ज को न कहें हां: कर्ज सिर्फ इसलिए नहीं लेना चाहिए क्योंकि कोई दे रहा है. यह आपकी आय और ऋण चुकौती की सीमा पर आधारित होना चाहिए और इसी लिए ये सावधानियां जरूरी हैं. होम लोन की किस्त आपकी वित्तीय क्षमता के 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आपकी लिमिट के 12 फीसदी से ज्यादा नहीं करना चाहिए. कार लोन आपकी आय का पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. व्यक्तिगत ऋण आपकी आय के दो प्रतिशत से कम होना चाहिए.

अच्छे कर्ज से संपत्ति बनती है, लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा खर्च किया जाए तो वे खराब कर्ज में बदल जाते हैं. अधिकतर, अधिशेष का उपयोग निवेश के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ लोग अच्छी आय अर्जित करने की सोच के साथ लोन लेते हैं. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो इसके लिए पर्सनल लोन भी लेते हैं. यदि कोई उच्च ब्याज ऋण लेकर अच्छा निवेश करता है, तो भी उसे सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं. इसलिए हमारी सलाह यही है कि कोई भी कर्ज लेने से पहले स्वयं और परिवार में इसे लेकर बात जरूर करें.

हैदराबाद: आज के समय में कई ऐसे लोग हैं, जो कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं. किसी का होम लोन (Home Loan) चल रहा है, तो किसी की कार की ईएमआई जा रही है. कहीं कोई पर्सनल लोन (Personal Loan) चुका रहा है तो वहीं कोई मोटरसाइकिल की किश्त हर महीने निकाल रहा है. लेकिन कई बार लोग अपनी कमाई को ध्यान में न रखते हुए लोन लेते चले जाते हैं और कर्ज के पहाड़ के नीचे दब जाते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस समस्या से निकलने का उनके पास कोई रास्ता भी नहीं होता है. उन लोगों के साथ ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे मिलने वाले हर लोन को स्वीकार कर (Unsolicited Loans Cast An Inescapable Trap) लेते हैं.

छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए रहें तैयार: कमाई के हिसाब से खर्च करने के मूल सिद्धांत की अनदेखी करना ही इन सभी परिहार्य समस्याओं का मूल कारण है. जो भी हो मौजूदा समय में चलन यही चल रहा है कि भविष्य की आय को आज ही खर्च कर दिया जाए. एक बार जब कोई वित्तीय योजना गड़बड़ा जाती है, तो फिर से पटरी पर आना बहुत मुश्किल होता है. कर्ज लेना आसान है, लेकिन उससे पहले हमें छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. वेतन, लाभांश, ब्याज और अन्य स्रोतों से व्यय और आय के बीच संतुलन बनाना चाहिए.

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सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता: इसके अलावा जरूरतों, इच्छाओं और लग्जरी में अंतर होना चाहिए. हमें अपनी इच्छाओं को स्थगित कर देना चाहिए. अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक विलासिता के कारण कर्ज के जाल में फंस सकते हैं. ऋण लेने से पहले, पिछले ऋणों और प्रतिबद्धताओं की गहन जांच होनी चाहिए. 10 प्रतिशत से अधिक ब्याज वाले ऋण लंबी अवधि में एक बड़ा बोझ होते हैं. यदि आपके पास पहले से ही असहनीय ऋण हैं, तो आपको सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए. सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है समय पर किश्तों का भुगतान करने की क्षमता हासिल करने के लिए खर्च को कम करना.

बैंक जमा, इक्विटी, म्यूचुअल फंड और ऋण से आप कितना निकाल सकते हैं, इसकी स्पष्ट समझ आपको होनी आवश्यक है. ऋण लेने से पहले उसे चुकाने के लिए एक कार्य योजना की आवश्यकता होती है. 10 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज वाले कर्जों को प्राथमिकता के आधार पर चुकाना चाहिए. यदि आपके पास अधिशेष है, तो ऋण का भुगतान जल्द से जल्द करने के लिए ईएमआई को बढ़ाया जाना चाहिए. अप्रत्याशित परिस्थितियों में, कम मूल्य की संपत्ति बेची जा सकती है. यदि कोई ऋण नहीं है, तो कोई इत्मीनान से लंबी अवधि के निवेश पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

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हर कर्ज को न कहें हां: कर्ज सिर्फ इसलिए नहीं लेना चाहिए क्योंकि कोई दे रहा है. यह आपकी आय और ऋण चुकौती की सीमा पर आधारित होना चाहिए और इसी लिए ये सावधानियां जरूरी हैं. होम लोन की किस्त आपकी वित्तीय क्षमता के 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आपकी लिमिट के 12 फीसदी से ज्यादा नहीं करना चाहिए. कार लोन आपकी आय का पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. व्यक्तिगत ऋण आपकी आय के दो प्रतिशत से कम होना चाहिए.

अच्छे कर्ज से संपत्ति बनती है, लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा खर्च किया जाए तो वे खराब कर्ज में बदल जाते हैं. अधिकतर, अधिशेष का उपयोग निवेश के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ लोग अच्छी आय अर्जित करने की सोच के साथ लोन लेते हैं. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो इसके लिए पर्सनल लोन भी लेते हैं. यदि कोई उच्च ब्याज ऋण लेकर अच्छा निवेश करता है, तो भी उसे सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं. इसलिए हमारी सलाह यही है कि कोई भी कर्ज लेने से पहले स्वयं और परिवार में इसे लेकर बात जरूर करें.

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