नयी दिल्ली : सरकार चालू वित्त वर्ष में बिक्री पेशकश (ओएफएस) के माध्यम से भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. भारतीय रेलवे की वित्तीय इकाई में सरकार की हिस्सेदारी 86.36 प्रतिशत है.
अधिकारी ने कहा कि निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) और रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की सदस्यता वाले एक अंतरमंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा पर निर्णय लेने के लिए परामर्श शुरू कर दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार को इसमें अपनी 11.36 प्रतिशत हिस्सेदारी कम करनी होगी.
एमपीएस नियमों के अनुसार, किसी इकाई को सूचीबद्ध होने के पांच साल के अंदर कम-से-कम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता की जरूरत को पूरा करना होगा. अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि हम मात्रा तय करने से पहले निवेशकों की रुचि देख रहे हैं. मौजूदा बाजार मूल्यांकन के हिसाब से 11.36 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर सरकार को लगभग 7,600 करोड़ रुपये मिलेंगे.
आईआरएफसी (IRFC) यानी कि इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि यह फाइनेंस का काम करती है. आईआरएफसी भारतीय रेल को फंडिंग करती है. आसान भाषा में कहें तो रेलवे जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर कामों के लिए भारी-भरकम फंडिंग की आवश्यकता होती है जिसको यह आईआरएफसी पूरा करती है.
(पीटीआई इनपुट के साथ)