हैदराबाद : हमारे देश में बहुत कम लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, इसकी वजह है लोगों के बीच सही जानकारी का न होना है. अप्रत्याशित दुर्घटनाओं के मामले में किसी व्यक्ति को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए कई नीतियां हैं. स्वास्थ्य बीमा लेते समय कैशलेस क्लेम करना हमेशा बेहतर होता है. इसका उपयोग कैसे करना है? परेशानी से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, यह जानना जरूरी है. तो आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में...
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करने का तरीका
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों में आमतौर पर दो तरह से क्लेम किया जा सकता हैं. पहला है- आप इंश्योरेंस कंपनी के बताए हॉस्पिटल में इलाज कराएं. ऐसा करने पर आपने जितने की पॉलिसी ली है, उतनी राशि तक आपको खर्च नहीं करना होगा. इसे कैशलेस इलाज कहा जाता है. वहीं, दूसरे तरीके में इंश्योरेंस कंपनी ट्रीटमेंट कॉस्ट का एडवांस पेमेंट करेगी और फिर बाद में लागत की वसूली करेगी.
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के लिए जरूरी डाक्यूमेंट
तबीयत खराब होने पर लगे कि आपको हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ेगा. तो ऐसी स्थिति में अपने क्षेत्र के नजदीकी हॉस्पिटल में एडमिट हो. इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी को इंफोर्म करें. साथ ही हॉस्पिटल जाते समय अपना स्वास्थ्य बीमा पहचान पत्र या अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी डाक्यूमेंट को साथ रखें. सरकार द्वारा जारी फोटो पहचान पत्र अनिवार्य है. इंश्योरेंस कंपनी सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स चेक करने के बाद ही आपको आपके क्लेम का पैसा देगी. इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि इंश्योरेंस कंपनी चरणबद्ध तरीके से पैसे के लिए मंजूरी देती है और ट्रीटमेंट पूरी होने पर ही क्लेम का पूरा भुगतान करती है.
समान्यतौर पर सभी हॉस्पिटल में इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए अलग डिपार्टमेंट होता है. जो आपके क्लेम प्रोसेस में आपकी पूरी मदद करते हैं. वहीं, कुछ हॉस्पिटल्स में बीमा कंपनी या थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA) के प्रतिनिधि भी होते हैं. कभी-कभी बीमा पॉलिसी के साथ-साथ पॉलिसीधारकों को स्वयं भी कुछ राशि का भुगतान करना पड़ सकता है.
कैशलेस ट्रीटमेंट करवाने के लिए इन बातों का रखे ध्यान
कैशलेस ट्रीटमेंट का लाभ उठाने के लिए कुछ प्रमुख बातों को ध्यान में रखना चाहिए. जैसे कि कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा केवल आपके नजदीकी यानी आपके क्षेत्र के अस्पताल में ही मिल सकती है. जितने की पॉलिसी ली गई है कंपनी उतने का ही भुगतान करेगी. इसलिए जिस भी हॉस्पिटल में इलाज कराने जाएं वहां की ट्रीटमेंट कॉस्ट और रूम रेंट समेत बाकी खर्चों का आकलन कर लें. बीमा पॉलिसी से जुड़ी राइडर्स और टॉप-अप पॉलिसी के बारे में अस्पताल को सूचित करें. बीमा कंपनी से पूछें और स्पष्ट जानकारी प्राप्त करें. अगर आपका बिल मूल नीति से अधिक है, तो टॉप-अप उपयोगी है.