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पाकिस्तान से एमएफएन दर्जा वापस लेने से प्रभावित हो सकता है कृषि व्यापार

पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक अवरोध के कारण पाकिस्तान के लिए भारत का निर्यात पिछले चार वर्षों में आधे से अधिक घट गया है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर सड़क माध्यम से निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है. कॉन्सेप्ट इमेज।

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Published : Feb 22, 2019, 6:05 PM IST

कॉन्सेप्ट इमेज।

नई दिल्ली : पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से सभी आयातों पर शुल्क में 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के भारत सरकार का निर्णय दोनों देशों के पहले से ही घटते कृषि व्यापार को प्रभावित करेगा.

पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक अवरोध के कारण पाकिस्तान के लिए भारत का निर्यात पिछले चार वर्षों में आधे से अधिक घट गया है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर सड़क माध्यम से निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है.

इसका ताजा असर प्याज पर पड़ने की संभावना है, जिसकी इस साल व्यापक पैदावार के चलते भारतीय अधिकारी इसे विदेशों में बेचने की योजना बना रहे थे.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने के बाद इस योजना को समाप्त कर दिया गया है.

भारत ने 2014-15 में पाकिस्तान में 1,880 करोड़ रुपये की 6.43 लाख टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि यह 2017-18 में 784 करोड़ रुपये के 1.16 लाख टन के नीचे आ गया.

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एक अधिकारी ने कहा, "कम मांग के अलावा, पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय वस्तुओं के लिए आयात परमिट जारी नहीं किए."

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया आएगी. हमें अब उम्मीद नहीं है कि सीमा पार प्याज बेचने की अनुमति मिल पाएगी"

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया होगी। हमें उम्मीद नहीं है कि अब सीमा पार प्याज को बेचने की अनुमति होगी।"

2014-15 में भारत से किसी भी देश को निर्यात किए गए कृषि उत्पादों की मात्रा के मामले में पाकिस्तान 16 वें स्थान पर रहा. 2017-18 में इसकी स्थिति कम होकर 22 वें स्थान पर पहुंच गई लेकिन 2018-19 (अप्रैल- दिसंबर) में इसने 16 वां स्थान प्राप्त किया.

इंडियन ऑयलसीड्स एंड प्रोड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आईओपीईपीसी) के पदाधिकारी संजीव सावला ने कहा कि कुल मात्रा में अब दस गुना तक की कमी हो सकती है.

उन्होंने कहा, "भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हम पाकिस्तान से उतना आयात नहीं कर रहे हैं जितना हम उन्हें बेच रहे हैं. निश्चित रूप से, पाकिस्तान जवाब देगा. यह आयात शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकता है लेकिन हमें परमिट और संगरोध मुद्दों के माध्यम से परेशान कर सकता है."

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2016 में, भारत से निर्यात किए गए 2,500 टन मूंगफली के 130 से अधिक कंटेनर आठ महीनों से अधिक कराची बंदरगाह पर फंसे हुए थे.

उसी साल, कपास और सोया के निर्यात में गिरावट आई थी क्योंकि पाकिस्तान ने फाइटोसैनेटिक स्थितियों का हवाला देते हुए अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि व्यापारियों ने सीमा तनाव का प्रमुख कारण होने का दावा किया था.

विशेष रूप से, 2017 में पाकिस्तान द्वारा आयातित मूंगफली की कुल मात्रा में भारत की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत, ग्वारगम में 55 प्रतिशत से अधिक थी.

दलहन, अनाज, ताजा और प्रसंस्कृत सब्जियां, भैंस का मांस, मुर्गी पालन उत्पाद, गुड़ और कन्फेक्शनरी थोक उत्पादों में निर्यात किए जाने वाले प्रमुख कृषि उत्पादों में से एक हैं.

2018-19 में, वर्ष 2018-19 के लिए अप्रैल-दिसंबर के दौरान पाकिस्तान में 455 करोड़ रुपये की 61,949 टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है.

एक्सिम व्यापार की समग्र स्थिति उत्साहजनक नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में सभी वस्तुओं का निर्यात 12,397 करोड़ रुपये का है, जो कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में भारत द्वारा कुल निर्यात का महज 0.63 प्रतिशत है.

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भारत ने उसी वर्ष पाकिस्तान से 3,096 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का आयात किया, जो कुल आयात का 0.11 प्रतिशत है.

हालांकि, व्यापारियों और निर्यातकों ने कहा कि संस्कृति, भोजन, परंपराओं में आम हितों के कारण दोनों पड़ोसियों के बीच कृषि व्यापार में काफी संभावनाएं हैं.
(आईएएनएस)
पढ़ें : जलमार्ग से व्यापार बढ़ाने को जल्द द्विपक्षीय समझौता करेंगे भारत और बांग्लादेश : कैलाश अग्रवाल

नई दिल्ली : पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से सभी आयातों पर शुल्क में 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के भारत सरकार का निर्णय दोनों देशों के पहले से ही घटते कृषि व्यापार को प्रभावित करेगा.

पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक अवरोध के कारण पाकिस्तान के लिए भारत का निर्यात पिछले चार वर्षों में आधे से अधिक घट गया है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर सड़क माध्यम से निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है.

इसका ताजा असर प्याज पर पड़ने की संभावना है, जिसकी इस साल व्यापक पैदावार के चलते भारतीय अधिकारी इसे विदेशों में बेचने की योजना बना रहे थे.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने के बाद इस योजना को समाप्त कर दिया गया है.

भारत ने 2014-15 में पाकिस्तान में 1,880 करोड़ रुपये की 6.43 लाख टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि यह 2017-18 में 784 करोड़ रुपये के 1.16 लाख टन के नीचे आ गया.

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एक अधिकारी ने कहा, "कम मांग के अलावा, पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय वस्तुओं के लिए आयात परमिट जारी नहीं किए."

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया आएगी. हमें अब उम्मीद नहीं है कि सीमा पार प्याज बेचने की अनुमति मिल पाएगी"

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया होगी। हमें उम्मीद नहीं है कि अब सीमा पार प्याज को बेचने की अनुमति होगी।"

2014-15 में भारत से किसी भी देश को निर्यात किए गए कृषि उत्पादों की मात्रा के मामले में पाकिस्तान 16 वें स्थान पर रहा. 2017-18 में इसकी स्थिति कम होकर 22 वें स्थान पर पहुंच गई लेकिन 2018-19 (अप्रैल- दिसंबर) में इसने 16 वां स्थान प्राप्त किया.

इंडियन ऑयलसीड्स एंड प्रोड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आईओपीईपीसी) के पदाधिकारी संजीव सावला ने कहा कि कुल मात्रा में अब दस गुना तक की कमी हो सकती है.

उन्होंने कहा, "भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हम पाकिस्तान से उतना आयात नहीं कर रहे हैं जितना हम उन्हें बेच रहे हैं. निश्चित रूप से, पाकिस्तान जवाब देगा. यह आयात शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकता है लेकिन हमें परमिट और संगरोध मुद्दों के माध्यम से परेशान कर सकता है."

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2016 में, भारत से निर्यात किए गए 2,500 टन मूंगफली के 130 से अधिक कंटेनर आठ महीनों से अधिक कराची बंदरगाह पर फंसे हुए थे.

उसी साल, कपास और सोया के निर्यात में गिरावट आई थी क्योंकि पाकिस्तान ने फाइटोसैनेटिक स्थितियों का हवाला देते हुए अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि व्यापारियों ने सीमा तनाव का प्रमुख कारण होने का दावा किया था.

विशेष रूप से, 2017 में पाकिस्तान द्वारा आयातित मूंगफली की कुल मात्रा में भारत की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत, ग्वारगम में 55 प्रतिशत से अधिक थी.

दलहन, अनाज, ताजा और प्रसंस्कृत सब्जियां, भैंस का मांस, मुर्गी पालन उत्पाद, गुड़ और कन्फेक्शनरी थोक उत्पादों में निर्यात किए जाने वाले प्रमुख कृषि उत्पादों में से एक हैं.

2018-19 में, वर्ष 2018-19 के लिए अप्रैल-दिसंबर के दौरान पाकिस्तान में 455 करोड़ रुपये की 61,949 टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है.

एक्सिम व्यापार की समग्र स्थिति उत्साहजनक नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में सभी वस्तुओं का निर्यात 12,397 करोड़ रुपये का है, जो कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में भारत द्वारा कुल निर्यात का महज 0.63 प्रतिशत है.

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भारत ने उसी वर्ष पाकिस्तान से 3,096 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का आयात किया, जो कुल आयात का 0.11 प्रतिशत है.

हालांकि, व्यापारियों और निर्यातकों ने कहा कि संस्कृति, भोजन, परंपराओं में आम हितों के कारण दोनों पड़ोसियों के बीच कृषि व्यापार में काफी संभावनाएं हैं.
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पढ़ें : जलमार्ग से व्यापार बढ़ाने को जल्द द्विपक्षीय समझौता करेंगे भारत और बांग्लादेश : कैलाश अग्रवाल

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पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक अवरोध के कारण पाकिस्तान के लिए भारत का निर्यात पिछले चार वर्षों में आधे से अधिक घट गया है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर सड़क माध्यम स् निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है.

नई दिल्ली : पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से सभी आयातों पर शुल्क में 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के भारत सरकार का निर्णय दोनों देशों के पहले से ही घटते कृषि व्यापार को प्रभावित करेगा.

पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा प्रशासनिक अवरोध के कारण पाकिस्तान के लिए भारत का निर्यात पिछले चार वर्षों में आधे से अधिक घट गया है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर सड़क माध्यम स् निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है.

इसका ताजा असर प्याज पर पड़ने की संभावना है, जिसकी इस साल व्यापक पैदावार के चलते भारतीय अधिकारी इसे विदेशों में बेचने की योजना बना रहे थे.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने के बाद इस योजना को समाप्त कर दिया गया है.

भारत ने 2014-15 में पाकिस्तान में 1,880 करोड़ रुपये की 6.43 लाख टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि यह 2017-18 में 784 करोड़ रुपये के 1.16 लाख टन के नीचे आ गया.

एक अधिकारी ने कहा, "कम मांग के अलावा, पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय वस्तुओं के लिए आयात परमिट जारी नहीं किए."

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया आएगी. हमें अब उम्मीद नहीं है कि सीमा पार प्याज बेचने की अनुमति मिल पाएगी"

"आयात शुल्क में बढ़ोतरी के निर्णय पर पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया होगी। हमें उम्मीद नहीं है कि अब सीमा पार प्याज को बेचने की अनुमति होगी।"

2014-15 में भारत से किसी भी देश को निर्यात किए गए कृषि उत्पादों की मात्रा के मामले में पाकिस्तान 16 वें स्थान पर रहा. 2017-18 में इसकी स्थिति कम होकर 22 वें स्थान पर पहुंच गई लेकिन 2018-19 (अप्रैल- दिसंबर) में इसने 16 वां स्थान प्राप्त किया.

इंडियन ऑयलसीड्स एंड प्रोड्यूस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आईओपीईपीसी) के पदाधिकारी संजीव सावला ने कहा कि कुल मात्रा में अब दस गुना तक की कमी हो सकती है.

उन्होंने कहा, "भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हम पाकिस्तान से उतना आयात नहीं कर रहे हैं जितना हम उन्हें बेच रहे हैं. निश्चित रूप से, पाकिस्तान जवाब देगा. यह आयात शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकता है लेकिन हमें परमिट और संगरोध मुद्दों के माध्यम से परेशान कर सकता है."

2016 में, भारत से निर्यात किए गए 2,500 टन मूंगफली के 130 से अधिक कंटेनर आठ महीनों से अधिक कराची बंदरगाह पर फंसे हुए थे.

उसी साल, कपास और सोया के निर्यात में गिरावट आई थी क्योंकि पाकिस्तान ने फाइटोसैनेटिक स्थितियों का हवाला देते हुए अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि व्यापारियों ने सीमा तनाव का प्रमुख कारण होने का दावा किया था.

विशेष रूप से, 2017 में पाकिस्तान द्वारा आयातित मूंगफली की कुल मात्रा में भारत की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत, ग्वारगम में 55 प्रतिशत से अधिक थी.

दलहन, अनाज, ताजा और प्रसंस्कृत सब्जियां, भैंस का मांस, मुर्गी पालन उत्पाद, गुड़ और कन्फेक्शनरी थोक उत्पादों में निर्यात किए जाने वाले प्रमुख कृषि उत्पादों में से एक हैं.

2018-19 में, वर्ष 2018-19 के लिए अप्रैल-दिसंबर के दौरान पाकिस्तान में 455 करोड़ रुपये की 61,949 टन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है.

एक्सिम व्यापार की समग्र स्थिति उत्साहजनक नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में सभी वस्तुओं का निर्यात 12,397 करोड़ रुपये का है, जो कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में भारत द्वारा कुल निर्यात का महज 0.63 प्रतिशत है.

भारत ने उसी वर्ष पाकिस्तान से 3,096 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का आयात किया, जो कुल आयात का 0.11 प्रतिशत है.

हालांकि, व्यापारियों और निर्यातकों ने कहा कि संस्कृति, भोजन, परंपराओं में आम हितों के कारण दोनों पड़ोसियों के बीच कृषि व्यापार में काफी संभावनाएं हैं.


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