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आईपीओ बाजार से दूर कंपनियां, इस साल अब तक केवल 11 कंपनियां आयीं

वहीं पूरे 2018 में 24 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 30,959 करोड़ रुपये जुटायी थी. विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ बाजार अगले कुछ महीनों तक चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है. इसका कारण वैश्विक और घरेलू कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का होना है.

आईपीओ बाजार से दूर कंपनियां, इस साल अब तक केवल 11 कंपनियां आयीं
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Published : Sep 15, 2019, 12:50 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 4:43 PM IST

नई दिल्ली: बाजार में कमजोर धारणा के कारण पूंजी जुटाने के लिये कंपनियां इस साल आईपीओ लाने से बच रही हैं. यह साल खत्म होने में केवल साढ़े तीन महीने बचे हैं लेकिन अब तक केवल 11 कंपनियां ही बाजार में दस्तक दीं. इन कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटायी हैं.

वहीं पूरे 2018 में 24 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 30,959 करोड़ रुपये जुटायी थी. विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ बाजार अगले कुछ महीनों तक चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है. इसका कारण वैश्विक और घरेलू कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का होना है.

रिलायंस सिक्युरिटीज के शोध प्रमुख नवीन कुलकर्णी ने कहा, "आईपीओ बाजार चालू वर्ष की बची हुई अवधि में भी कठिन बना रह सकता है. लघु एवं मझोली कंपनियों के शेयरों के मूल्यांकन में तीव्र सुधार हुआ है जिसका असर प्राथमिक बाजारों पर पड़ा है."

शेयर बाजारों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस साल अबतक 11 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 10,300 करोड़ रुपये जुटायीं. इसकी तुलना में पूरे 2018 में 24 कंपनियों ने 30,959 करोड़ रुपये जुटाये. वहीं 2017 में 36 कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये 68,000 करोड़ रुपये जुटाये थे.

ये भी पढ़ें: छह कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 50,580 करोड़ रुपये बढ़ा, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक को सर्वाधिक लाभ

ये राशि व्यापार विस्तार योजनाओं, कर्ज भुगतान और कार्यशील पूंजी के लिये जुटायी गयीं. साथ ही आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि का बड़ा हिस्सा प्रवर्तकों, निजी इक्विटी कंपनियों तथा अन्य मौजूदा शेयरधारकों के पास आंशिक या पूर्ण हिस्सेदारी बिक्री के एवज में गयी. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि में कमी के कई कारण हैं.

इसमें अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, बाजार को लेकर कमजोर धारणा और भारतीय मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट शामिल हैं.

मोतीलाल ओसवाल इनवेस्टमेंट बैंकिंग के कार्यकारी निदेशक मुकुंद रंगनाथन ने कहा, "वर्ष 2017 में काफी संख्या में आईपीओ आये. उसके मुकाबले 2018 और 2019 में आईपीओ की संख्या में लगातार कमी आयी है. यह कई कारकों का नतीजा है जिसके कारण प्राथमिक पूंजी बाजारों में पिछले एक-डेढ़ साल में निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है."

उन्होंने कहा, "पिछले साल 90 कंपनियों ने आईपीओ के लिये विवरण पुस्तिका जमा की. लेकिन इसमें काफी कम कंपनियां ही आईपीओ लाने में सफल रही. वास्तव में कंपनियां अपनी पूंजी जरूरतों के लिये आईपीओ बाजार के बजाए दूसरे विकल्पों पर गौर कर रही हैं."

नई दिल्ली: बाजार में कमजोर धारणा के कारण पूंजी जुटाने के लिये कंपनियां इस साल आईपीओ लाने से बच रही हैं. यह साल खत्म होने में केवल साढ़े तीन महीने बचे हैं लेकिन अब तक केवल 11 कंपनियां ही बाजार में दस्तक दीं. इन कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटायी हैं.

वहीं पूरे 2018 में 24 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 30,959 करोड़ रुपये जुटायी थी. विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ बाजार अगले कुछ महीनों तक चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है. इसका कारण वैश्विक और घरेलू कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का होना है.

रिलायंस सिक्युरिटीज के शोध प्रमुख नवीन कुलकर्णी ने कहा, "आईपीओ बाजार चालू वर्ष की बची हुई अवधि में भी कठिन बना रह सकता है. लघु एवं मझोली कंपनियों के शेयरों के मूल्यांकन में तीव्र सुधार हुआ है जिसका असर प्राथमिक बाजारों पर पड़ा है."

शेयर बाजारों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस साल अबतक 11 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 10,300 करोड़ रुपये जुटायीं. इसकी तुलना में पूरे 2018 में 24 कंपनियों ने 30,959 करोड़ रुपये जुटाये. वहीं 2017 में 36 कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये 68,000 करोड़ रुपये जुटाये थे.

ये भी पढ़ें: छह कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 50,580 करोड़ रुपये बढ़ा, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक को सर्वाधिक लाभ

ये राशि व्यापार विस्तार योजनाओं, कर्ज भुगतान और कार्यशील पूंजी के लिये जुटायी गयीं. साथ ही आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि का बड़ा हिस्सा प्रवर्तकों, निजी इक्विटी कंपनियों तथा अन्य मौजूदा शेयरधारकों के पास आंशिक या पूर्ण हिस्सेदारी बिक्री के एवज में गयी. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि में कमी के कई कारण हैं.

इसमें अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, बाजार को लेकर कमजोर धारणा और भारतीय मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट शामिल हैं.

मोतीलाल ओसवाल इनवेस्टमेंट बैंकिंग के कार्यकारी निदेशक मुकुंद रंगनाथन ने कहा, "वर्ष 2017 में काफी संख्या में आईपीओ आये. उसके मुकाबले 2018 और 2019 में आईपीओ की संख्या में लगातार कमी आयी है. यह कई कारकों का नतीजा है जिसके कारण प्राथमिक पूंजी बाजारों में पिछले एक-डेढ़ साल में निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है."

उन्होंने कहा, "पिछले साल 90 कंपनियों ने आईपीओ के लिये विवरण पुस्तिका जमा की. लेकिन इसमें काफी कम कंपनियां ही आईपीओ लाने में सफल रही. वास्तव में कंपनियां अपनी पूंजी जरूरतों के लिये आईपीओ बाजार के बजाए दूसरे विकल्पों पर गौर कर रही हैं."

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नई दिल्ली: बाजार में कमजोर धारणा के कारण पूंजी जुटाने के लिये कंपनियां इस साल आईपीओ लाने से बच रही हैं. यह साल खत्म होने में केवल साढ़े तीन महीने बचे हैं लेकिन अब तक केवल 11 कंपनियां ही बाजार में दस्तक दीं. इन कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटायी हैं.

वहीं पूरे 2018 में 24 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 30,959 करोड़ रुपये जुटायी थी. विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ बाजार अगले कुछ महीनों तक चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है. इसका कारण वैश्विक और घरेलू कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का होना है.

रिलायंस सिक्युरिटीज के शोध प्रमुख नवीन कुलकर्णी ने कहा, "आईपीओ बाजार चालू वर्ष की बची हुई अवधि में भी कठिन बना रह सकता है. लघु एवं मझोली कंपनियों के शेयरों के मूल्यांकन में तीव्र सुधार हुआ है जिसका असर प्राथमिक बाजारों पर पड़ा है."

शेयर बाजारों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस साल अबतक 11 कंपनियां आईपीओ लेकर आयीं और 10,300 करोड़ रुपये जुटायीं. इसकी तुलना में पूरे 2018 में 24 कंपनियों ने 30,959 करोड़ रुपये जुटाये. वहीं 2017 में 36 कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये 68,000 करोड़ रुपये जुटाये थे.

ये राशि व्यापार विस्तार योजनाओं, कर्ज भुगतान और कार्यशील पूंजी के लिये जुटायी गयीं. साथ ही आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि का बड़ा हिस्सा प्रवर्तकों, निजी इक्विटी कंपनियों तथा अन्य मौजूदा शेयरधारकों के पास आंशिक या पूर्ण हिस्सेदारी बिक्री के एवज में गयी. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार आईपीओ के जरिये जुटायी गयी राशि में कमी के कई कारण हैं.

इसमें अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, बाजार को लेकर कमजोर धारणा और भारतीय मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट शामिल हैं.

मोतीलाल ओसवाल इनवेस्टमेंट बैंकिंग के कार्यकारी निदेशक मुकुंद रंगनाथन ने कहा, "वर्ष 2017 में काफी संख्या में आईपीओ आये. उसके मुकाबले 2018 और 2019 में आईपीओ की संख्या में लगातार कमी आयी है. यह कई कारकों का नतीजा है जिसके कारण प्राथमिक पूंजी बाजारों में पिछले एक-डेढ़ साल में निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है."

उन्होंने कहा, "पिछले साल 90 कंपनियों ने आईपीओ के लिये विवरण पुस्तिका जमा की. लेकिन इसमें काफी कम कंपनियां ही आईपीओ लाने में सफल रही. वास्तव में कंपनियां अपनी पूंजी जरूरतों के लिये आईपीओ बाजार के बजाए दूसरे विकल्पों पर गौर कर रही हैं."

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Last Updated : Sep 30, 2019, 4:43 PM IST
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