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कमजोर मॉनसून से आर्थिक विकास पर पड़ेगा असर

आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (फंड मैनेजमेंट) सृजित सुब्रमण्यम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कमजोर मॉनसून की संभावना है, जिससे निजी उपभोग को धक्का लगेगा. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति की कम संभावना है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है.

कमजोर मॉनसून से आर्थिक विकास पर पड़ेगा असर, खपत घटेगी
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Published : Jun 4, 2019, 12:00 AM IST

नई दिल्ली: कमजोर मॉनसून के सीजन से ना केवल कृषि उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि खपत में भी गिरावट आएगी, जिससे देश की आर्थिक रफ्तार में कमी आएगी.

आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (फंड मैनेजमेंट) सृजित सुब्रमण्यम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कमजोर मॉनसून की संभावना है, जिससे निजी उपभोग को धक्का लगेगा. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति की कम संभावना है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "मॉनसूनी बारिश में किसी भी प्रकार की गंभीर गिरावट से कृषि उत्पादन और निजी खपत और खाद्य मुद्रास्फीति से अधिक असर पड़ेगा."

ये भी पढ़ें- अगले आदेश तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष बने रहेंगे राजीव कुमार

रिपोर्ट में आगे कहा गया, "मॉनसूनी बारिश के खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा स्टॉक रखना और आपूर्ति के उपाय करना है."

हालांकि कमजोर मॉनसून से उपभोक्ता भावना प्रभावित होती है, जिससे बिक्री कम हो जाती है और औद्योगिक विस्तार में गिरावट आती है. इसके कारण नौकरियों के सृजन में कमी आती है.

कमजोर मॉनसून के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता, क्योंकि कम खाद्य कीमतों और स्थिर मजदूरी वृद्धि स्तर के कारण ग्रामीण कृषि संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है.

दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बारिश का मौसम ग्रामीण भावना और उपभोग में तेजी लाने का महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इसी अवधि में भारत में 70 फीसदी से अधिक बारिश होती है. यह खरीफ फसल की बुआई के मौसम के दौरान आता है.

देश की करीब 50 फीसदी अनाज की खेती बारिश पर निर्भर है.

नई दिल्ली: कमजोर मॉनसून के सीजन से ना केवल कृषि उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि खपत में भी गिरावट आएगी, जिससे देश की आर्थिक रफ्तार में कमी आएगी.

आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (फंड मैनेजमेंट) सृजित सुब्रमण्यम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कमजोर मॉनसून की संभावना है, जिससे निजी उपभोग को धक्का लगेगा. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति की कम संभावना है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "मॉनसूनी बारिश में किसी भी प्रकार की गंभीर गिरावट से कृषि उत्पादन और निजी खपत और खाद्य मुद्रास्फीति से अधिक असर पड़ेगा."

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रिपोर्ट में आगे कहा गया, "मॉनसूनी बारिश के खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा स्टॉक रखना और आपूर्ति के उपाय करना है."

हालांकि कमजोर मॉनसून से उपभोक्ता भावना प्रभावित होती है, जिससे बिक्री कम हो जाती है और औद्योगिक विस्तार में गिरावट आती है. इसके कारण नौकरियों के सृजन में कमी आती है.

कमजोर मॉनसून के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता, क्योंकि कम खाद्य कीमतों और स्थिर मजदूरी वृद्धि स्तर के कारण ग्रामीण कृषि संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है.

दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बारिश का मौसम ग्रामीण भावना और उपभोग में तेजी लाने का महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इसी अवधि में भारत में 70 फीसदी से अधिक बारिश होती है. यह खरीफ फसल की बुआई के मौसम के दौरान आता है.

देश की करीब 50 फीसदी अनाज की खेती बारिश पर निर्भर है.

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कमजोर मॉनसून से आर्थिक विकास पर पड़ेगा असर, खपत घटेगी

नई दिल्ली: कमजोर मॉनसून के सीजन से ना केवल कृषि उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि खपत में भी गिरावट आएगी, जिससे देश की आर्थिक रफ्तार में कमी आएगी.

आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (फंड मैनेजमेंट) सृजित सुब्रमण्यम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कमजोर मॉनसून की संभावना है, जिससे निजी उपभोग को धक्का लगेगा. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति की कम संभावना है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "मॉनसूनी बारिश में किसी भी प्रकार की गंभीर गिरावट से कृषि उत्पादन और निजी खपत और खाद्य मुद्रास्फीति से अधिक असर पड़ेगा."

रिपोर्ट में आगे कहा गया, "मॉनसूनी बारिश के खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा स्टॉक रखना और आपूर्ति के उपाय करना है."

हालांकि कमजोर मॉनसून से उपभोक्ता भावना प्रभावित होती है, जिससे बिक्री कम हो जाती है और औद्योगिक विस्तार में गिरावट आती है. इसके कारण नौकरियों के सृजन में कमी आती है.

कमजोर मॉनसून के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता, क्योंकि कम खाद्य कीमतों और स्थिर मजदूरी वृद्धि स्तर के कारण ग्रामीण कृषि संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है.

दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बारिश का मौसम ग्रामीण भावना और उपभोग में तेजी लाने का महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इसी अवधि में भारत में 70 फीसदी से अधिक बारिश होती है. यह खरीफ फसल की बुआई के मौसम के दौरान आता है. 

देश की करीब 50 फीसदी अनाज की खेती बारिश पर निर्भर है. 


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