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दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला जगह बन गया है गाजा

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Published : Apr 30, 2019, 3:17 PM IST

Updated : May 1, 2019, 4:53 PM IST

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था गाजा के जनसंख्या में वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम नहीं है. जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. गाजा में आधी से अधिक आबादी बेरोजगार है.

दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला जगह बन गया है गाजा

गाजा: गर्मी की दोपहर में बच्चे गाजा सिटी में शरणार्थी शिविर के गली-मोहल्ले में खेलते हैं नजर आ रहे. पुरुष एक स्थानीय दुकान के बाहर बैठे आते जाते राहगीरों को देख रहे हैं. कुछ तो दिन भर यही काम करते हैं क्योंकि उनके पास कोई रोजगार के साधन नहीं हैं. कुछ पुरुष तो सालों से बेरोजगार हैं.

पचास वर्षीय अशरफ अहमद कास्केन अपने आठ बच्चों और अपनी पत्नी के साथ एक घर में रहते हैं. कास्केन कहते है कि उन्होंने अपनी सारी जिंदगी आभाव में गुजारी है. उनके परिवार को हर चार महीने में 1,600 इजराइल शेकेल (करीब 440 डॉलर) मिलते हैं.

दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला जगह बन गया है गाजा

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी पांच और राहुल गांधी छह बार मिला आयकर रिफंड

विदेशी सहायता में कटौती और बढ़ती बेरोजगारी दर ने हजारों परिवारों को पूरी तरह से खाद्य सहायता और सामाजिक कल्याण पर निर्भर कर दिया है. अर्थशास्त्री उमर शाबान कहते हैं कि गाजा में कोई अर्थव्यवस्था नहीं है. उनका कहना है कि गाजा में ऐसे लोगों का एक समूह है जो बाहरी राहत पर काफी हद तक निर्भर हैं.

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था गाजा के जनसंख्या में वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम नहीं है. जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. गाजा में आधी से अधिक आबादी बेरोजगार है.

2017 के बाद से वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण अपने पूर्व सिविल सेवकों के लिए भुगतान में कमी कर रहा है. जिससे हमास को स्थानीय राजस्व एकत्र करने की क्षमता को सीमित करके नियंत्रण को कम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

समानांतर में अमेरिका ने धीरे-धीरे फिलिस्तीनियों को अपनी सहायता रोक दी है. नतीजतन पिछले साल गाजा की अर्थव्यवस्था ने घोर आर्थिक मंदी का अनुभव किया था. यहां व्यवसायियों अपने उत्पादों को निर्यात करने में असमर्थ हो गए हैं.

एक छोटे से बढ़ईगीरी कार्यशाला में अपने गाजा सिटी हाउस के भूतल पर कब्जा कर रहे, वेएल अल-नासन उन दिनों को याद करते हैं जब उनके पास एक फर्नीचर कारखाना था जिसमें 100 कर्मचारी कार्यरत थे.

अल-नौसन उन कई व्यवसायियों में से एक है. जिन्हें 2007 में गाजा पट्टी के साथ इजरायल और मिस्र द्वारा अपनी सीमा सील करने के बाद अपने कारोबार को बंद करना पड़ा था. कारखाना को बंद कर दिया गया था और लगभग एक दशक बाद अल-नासन ने कारखाने की जमीन बेच दी और एक छोटी कार्यशाला में स्थानांतरित कर दिया. जहां केवल चार पुरुष ही महीने में कुछ आदेशों पर रुक-रुक कर काम करते हैं.

अल-नासन बताते हैं कि सीमा बंद हो गई इसलिए काम भी बंद हो गया. वे कहते हैं, "अब हम देश की जरूरत के आधार पर काम करते हैं और 3 या 4 टेबल बनाते हैं. पहले हम 200 से 300 टेबल और 2,000 कुर्सियां बनाते थे.

इजराइल ने हाल के वर्षों में प्रतिबंधों में ढील दी है, जिससे गाजा से कुछ निर्यात की अनुमति मिलती है, लेकिन उन्होंने कई सामग्री को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है. जिसके चलते अल-नासान लकड़ी के बीम प्राप्त नहीं कर सकते हैं. इजराइल का कहना है कि सैन्य उद्देश्यों के लिए सामग्रियों के दोहरे उपयोग की प्रकृति का फायदा उठाया जा सकता है. अप्रैल की एक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि गाजा की दोहरी सूची में गाजा के लिए 62 और वेस्ट बैंक के लिए 56 आइटम शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैध व्यवसायों के लिए दोहरे उपयोग प्रतिबंधों को हटाने से गाजा में 11 प्रतिशत की अतिरिक्त संचयी वृद्धि और 2025 तक वेस्ट बैंक में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी. एक अन्य बाधा वित्तीय नियंत्रण पर वेस्ट बैंक में हमास और पीए के बीच विवाद है, जो निर्यातकों को संबंधित अधिकारियों को कर की दोगुनी राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य करता है.

उमर शाबान कहते हैं, "गाजा में कुछ भी नया खरीदने की शक्ति नहीं है और उद्योग क्षेत्र बहुत अच्छा नहीं है, यह काम करने के लिए अच्छा नहीं है." उन्होंने कहा कि गाजा को वित्त की आवश्यकता होती है, उन्हें नकदी की आवश्यकता होती है. उन्हें इनपुट की आवश्यकता होती है, जो अर्थव्यवस्था को चक्र बनाती है.

शती शरणार्थी शिविर में 39 वर्षीय जीनत अबू हिंदी के बच्चे अपने 50-वर्ग मीटर के एक बेडरूम वाले घर के कमरे में रहते हैं. बेरोजगारी ने पड़ोस के अधिकांश लोगों को खाद्य कूपन की दया पर छोड़ दिया है और कुछ खाद्य पदार्थों को एक दूसरे से उधार लिया है. अबू हिंदी यहां अपने 10 बच्चों और पति के साथ रहता है. उनका कहना है कि हम केवल इसलिए जीवित हैं क्योंकि हम मर नहीं सकते. मैं और मेरे बच्चे सभी एक ही जगह बैठे हैं. मेरा बेटा 16 साल का है, मेरी बेटी 20 साल की है, लड़कियां और लड़के सभी एक ही जगह पर सो रहे हैं. घर पर किसी की कोई निजता नहीं है यहां तक के मेरे लिए भी नहीं.

गाजा: गर्मी की दोपहर में बच्चे गाजा सिटी में शरणार्थी शिविर के गली-मोहल्ले में खेलते हैं नजर आ रहे. पुरुष एक स्थानीय दुकान के बाहर बैठे आते जाते राहगीरों को देख रहे हैं. कुछ तो दिन भर यही काम करते हैं क्योंकि उनके पास कोई रोजगार के साधन नहीं हैं. कुछ पुरुष तो सालों से बेरोजगार हैं.

पचास वर्षीय अशरफ अहमद कास्केन अपने आठ बच्चों और अपनी पत्नी के साथ एक घर में रहते हैं. कास्केन कहते है कि उन्होंने अपनी सारी जिंदगी आभाव में गुजारी है. उनके परिवार को हर चार महीने में 1,600 इजराइल शेकेल (करीब 440 डॉलर) मिलते हैं.

दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला जगह बन गया है गाजा

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी पांच और राहुल गांधी छह बार मिला आयकर रिफंड

विदेशी सहायता में कटौती और बढ़ती बेरोजगारी दर ने हजारों परिवारों को पूरी तरह से खाद्य सहायता और सामाजिक कल्याण पर निर्भर कर दिया है. अर्थशास्त्री उमर शाबान कहते हैं कि गाजा में कोई अर्थव्यवस्था नहीं है. उनका कहना है कि गाजा में ऐसे लोगों का एक समूह है जो बाहरी राहत पर काफी हद तक निर्भर हैं.

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था गाजा के जनसंख्या में वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम नहीं है. जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. गाजा में आधी से अधिक आबादी बेरोजगार है.

2017 के बाद से वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण अपने पूर्व सिविल सेवकों के लिए भुगतान में कमी कर रहा है. जिससे हमास को स्थानीय राजस्व एकत्र करने की क्षमता को सीमित करके नियंत्रण को कम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

समानांतर में अमेरिका ने धीरे-धीरे फिलिस्तीनियों को अपनी सहायता रोक दी है. नतीजतन पिछले साल गाजा की अर्थव्यवस्था ने घोर आर्थिक मंदी का अनुभव किया था. यहां व्यवसायियों अपने उत्पादों को निर्यात करने में असमर्थ हो गए हैं.

एक छोटे से बढ़ईगीरी कार्यशाला में अपने गाजा सिटी हाउस के भूतल पर कब्जा कर रहे, वेएल अल-नासन उन दिनों को याद करते हैं जब उनके पास एक फर्नीचर कारखाना था जिसमें 100 कर्मचारी कार्यरत थे.

अल-नौसन उन कई व्यवसायियों में से एक है. जिन्हें 2007 में गाजा पट्टी के साथ इजरायल और मिस्र द्वारा अपनी सीमा सील करने के बाद अपने कारोबार को बंद करना पड़ा था. कारखाना को बंद कर दिया गया था और लगभग एक दशक बाद अल-नासन ने कारखाने की जमीन बेच दी और एक छोटी कार्यशाला में स्थानांतरित कर दिया. जहां केवल चार पुरुष ही महीने में कुछ आदेशों पर रुक-रुक कर काम करते हैं.

अल-नासन बताते हैं कि सीमा बंद हो गई इसलिए काम भी बंद हो गया. वे कहते हैं, "अब हम देश की जरूरत के आधार पर काम करते हैं और 3 या 4 टेबल बनाते हैं. पहले हम 200 से 300 टेबल और 2,000 कुर्सियां बनाते थे.

इजराइल ने हाल के वर्षों में प्रतिबंधों में ढील दी है, जिससे गाजा से कुछ निर्यात की अनुमति मिलती है, लेकिन उन्होंने कई सामग्री को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है. जिसके चलते अल-नासान लकड़ी के बीम प्राप्त नहीं कर सकते हैं. इजराइल का कहना है कि सैन्य उद्देश्यों के लिए सामग्रियों के दोहरे उपयोग की प्रकृति का फायदा उठाया जा सकता है. अप्रैल की एक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि गाजा की दोहरी सूची में गाजा के लिए 62 और वेस्ट बैंक के लिए 56 आइटम शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैध व्यवसायों के लिए दोहरे उपयोग प्रतिबंधों को हटाने से गाजा में 11 प्रतिशत की अतिरिक्त संचयी वृद्धि और 2025 तक वेस्ट बैंक में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी. एक अन्य बाधा वित्तीय नियंत्रण पर वेस्ट बैंक में हमास और पीए के बीच विवाद है, जो निर्यातकों को संबंधित अधिकारियों को कर की दोगुनी राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य करता है.

उमर शाबान कहते हैं, "गाजा में कुछ भी नया खरीदने की शक्ति नहीं है और उद्योग क्षेत्र बहुत अच्छा नहीं है, यह काम करने के लिए अच्छा नहीं है." उन्होंने कहा कि गाजा को वित्त की आवश्यकता होती है, उन्हें नकदी की आवश्यकता होती है. उन्हें इनपुट की आवश्यकता होती है, जो अर्थव्यवस्था को चक्र बनाती है.

शती शरणार्थी शिविर में 39 वर्षीय जीनत अबू हिंदी के बच्चे अपने 50-वर्ग मीटर के एक बेडरूम वाले घर के कमरे में रहते हैं. बेरोजगारी ने पड़ोस के अधिकांश लोगों को खाद्य कूपन की दया पर छोड़ दिया है और कुछ खाद्य पदार्थों को एक दूसरे से उधार लिया है. अबू हिंदी यहां अपने 10 बच्चों और पति के साथ रहता है. उनका कहना है कि हम केवल इसलिए जीवित हैं क्योंकि हम मर नहीं सकते. मैं और मेरे बच्चे सभी एक ही जगह बैठे हैं. मेरा बेटा 16 साल का है, मेरी बेटी 20 साल की है, लड़कियां और लड़के सभी एक ही जगह पर सो रहे हैं. घर पर किसी की कोई निजता नहीं है यहां तक के मेरे लिए भी नहीं.

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दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाला जगह बन गया है गाजा

गाजा: गर्मी की दोपहर में बच्चे गाजा सिटी में शरणार्थी शिविर के गली-मोहल्ले में खेलते हैं नजर आ रहे. पुरुष एक स्थानीय दुकान के बाहर बैठे आते जाते राहगीरों को देख रहे हैं. कुछ तो दिन भर यही काम करते हैं क्योंकि उनके पास कोई रोजगार के साधन नहीं हैं. कुछ पुरुष तो सालों से बेरोजगार हैं.

पचास वर्षीय अशरफ अहमद कास्केन अपने आठ बच्चों और अपनी पत्नी के साथ एक घर में रहते हैं. कास्केन कहते है कि उन्होंने अपनी सारी जिंदगी आभाव में गुजारी है. उनके परिवार को हर चार महीने में 1,600 इजराइल शेकेल (करीब 440 डॉलर) मिलते हैं.

विदेशी सहायता में कटौती और बढ़ती बेरोजगारी दर ने हजारों परिवारों को पूरी तरह से खाद्य सहायता और सामाजिक कल्याण पर निर्भर कर दिया है. अर्थशास्त्री उमर शाबान कहते हैं कि गाजा में कोई अर्थव्यवस्था नहीं है. उनका कहना है कि गाजा में ऐसे लोगों का एक समूह है जो बाहरी राहत पर काफी हद तक निर्भर हैं. 

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था गाजा के जनसंख्या में वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम नहीं है. जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है और स्थिति बिगड़ती जा रही है. गाजा में आधी से अधिक आबादी बेरोजगार है. 

2017 के बाद से वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण अपने पूर्व सिविल सेवकों के लिए भुगतान में कमी कर रहा है. जिससे हमास को स्थानीय राजस्व एकत्र करने की क्षमता को सीमित करके नियंत्रण को कम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

समानांतर में अमेरिका ने धीरे-धीरे फिलिस्तीनियों को अपनी सहायता रोक दी है. नतीजतन पिछले साल गाजा की अर्थव्यवस्था ने घोर आर्थिक मंदी का अनुभव किया था. यहां व्यवसायियों अपने उत्पादों को निर्यात करने में असमर्थ हो गए हैं. 

एक छोटे से बढ़ईगीरी कार्यशाला में अपने गाजा सिटी हाउस के भूतल पर कब्जा कर रहे, वेएल अल-नासन उन दिनों को याद करते हैं जब उनके पास एक फर्नीचर कारखाना था जिसमें 100 कर्मचारी कार्यरत थे.

अल-नौसन उन कई व्यवसायियों में से एक है. जिन्हें 2007 में गाजा पट्टी के साथ इजरायल और मिस्र द्वारा अपनी सीमा सील करने के बाद अपने कारोबार को बंद करना पड़ा था. कारखाना को बंद कर दिया गया था और लगभग एक दशक बाद अल-नासन ने कारखाने की जमीन बेच दी और एक छोटी कार्यशाला में स्थानांतरित कर दिया. जहां केवल चार पुरुष ही महीने में कुछ आदेशों पर रुक-रुक कर काम करते हैं.

अल-नासन बताते हैं कि सीमा बंद हो गई इसलिए काम भी बंद हो गया. वे कहते हैं, "अब हम देश की जरूरत के आधार पर काम करते हैं और 3 या 4 टेबल बनाते हैं. पहले हम 200 से 300 टेबल और 2,000 कुर्सियां बनाते थे. 

इजराइल ने हाल के वर्षों में प्रतिबंधों में ढील दी है, जिससे गाजा से कुछ निर्यात की अनुमति मिलती है, लेकिन उन्होंने कई सामग्री को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है.  जिसके चलते अल-नासान लकड़ी के बीम प्राप्त नहीं कर सकते हैं. इजराइल का कहना है कि सैन्य उद्देश्यों के लिए सामग्रियों के दोहरे उपयोग की प्रकृति का फायदा उठाया जा सकता है. अप्रैल की एक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि गाजा की दोहरी सूची में गाजा के लिए 62 और वेस्ट बैंक के लिए 56 आइटम शामिल हैं.



रिपोर्ट में कहा गया है कि वैध व्यवसायों के लिए दोहरे उपयोग प्रतिबंधों को हटाने से गाजा में 11 प्रतिशत की अतिरिक्त संचयी वृद्धि और 2025 तक वेस्ट बैंक में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी. एक अन्य बाधा वित्तीय नियंत्रण पर वेस्ट बैंक में हमास और पीए के बीच विवाद है, जो निर्यातकों को संबंधित अधिकारियों को कर की दोगुनी राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य करता है. 

उमर शाबान कहते हैं, "गाजा में कुछ भी नया खरीदने की शक्ति नहीं है और उद्योग क्षेत्र बहुत अच्छा नहीं है, यह काम करने के लिए अच्छा नहीं है." उन्होंने कहा कि गाजा को वित्त की आवश्यकता होती है, उन्हें नकदी की आवश्यकता होती है. उन्हें इनपुट की आवश्यकता होती है, जो अर्थव्यवस्था को चक्र बनाती है. 

शती शरणार्थी शिविर में 39 वर्षीय जीनत अबू हिंदी के बच्चे अपने 50-वर्ग मीटर के एक बेडरूम वाले घर के कमरे में रहते हैं. बेरोजगारी ने पड़ोस के अधिकांश लोगों को खाद्य कूपन की दया पर छोड़ दिया है और कुछ खाद्य पदार्थों को एक दूसरे से उधार लिया है. अबू हिंदी यहां अपने 10 बच्चों और पति के साथ रहता है. उनका कहना है कि हम केवल इसलिए जीवित हैं क्योंकि हम मर नहीं सकते. मैं और मेरे बच्चे सभी एक ही जगह बैठे हैं. मेरा बेटा 16 साल का है, मेरी बेटी 20 साल की है, लड़कियां और लड़के सभी एक ही जगह पर सो रहे हैं. घर पर किसी की कोई निजता नहीं है यहां तक के मेरे लिए भी नहीं. 


Conclusion:
Last Updated : May 1, 2019, 4:53 PM IST
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