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अधिक रोजगार पैदा करने के लिये श्रम गहन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत: आक्सफैम

रोजगार सृजन तथा स्त्री-पुरूष समानता के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति काफी अलग है. वास्तव में हम जो देख रहे हैं, वह बहुत दु:खद और परेशान करने वाली स्थिति है. इसमें स्थानीय संरचनात्मक कारण है जिससे रोजगार बाजार या देश में रोजगार के संदर्भ में स्थिति बिगड़ी है.

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Published : Mar 29, 2019, 10:01 AM IST

नई दिल्ली : विकास के मौजूदा मॉडल के तहत रोजगार बड़ा मुद्दा बना है और ऐसे में सरकार को अधिक-से-अधिक रोजगार सृजित करने के लिये श्रम गहन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है. असमानता और गरीबी उन्मूलन पर काम करने वाली संस्था ओक्सफैम इंडिया की 'विषमता पर ध्यान दें - भारत में रोजगार की स्थिति' शीर्षक से बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, "गुणवत्तापूर्ण रोजगार का अभाव तथा वेतन में बढ़ती विषमता भारतीय श्रम बाजार में असमानता का प्रमुख कारण है."

आक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ बेहर ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "रोजगार सृजन तथा स्त्री-पुरूष समानता के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति काफी अलग है. वास्तव में हम जो देख रहे हैं, वह बहुत दु:खद और परेशान करने वाली स्थिति है. इसमें स्थानीय संरचनात्मक कारण है जिससे रोजगार बाजार या देश में रोजगार के संदर्भ में स्थिति बिगड़ी है."

बेहर ने आगे कहा कि यह गलत नीतियों तथा सामाजिक सुरक्षा एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश की कमी का नतीजा है. रोजगार क्षेत्र में असमानता को दूर करने के लिये रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक रोजगार सृजित करने के लिये हमारा जोर श्रम गहन क्षेत्रों की तरफ होना चाहिए. साथ ही पड़ोसी तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धी देशों में समान रूप से प्रतिस्पर्धी होने के लिये देश में बेहतर एवं प्रासंगिक कौशल विकास के अवसर होने चाहिए.

इसके अलावा, प्रगतिशील कराधान पर जोर होना चाहिए तथा कंपनी कर में छूट देने को लेकर जो अतिरिक्त उत्साह पैदा हो रहा है, उसमें कमी लायी जानी चाहिए. इस तरह से जो अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो उसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य व समाजिक सुरक्षा सुधारने के लिये करना चाहिए.

नीति अनुसंधान तथा अभियान की निदेशक रेणु भोगल ने कहा, "हमारे देश में जिस प्रकार के कार्य बल हैं, हम उस मॉडल को नहीं अपना सकते हैं जो अन्य देश उपयोग करते हैं. आखिर हमें बड़े पैमाने पर मशीनीकरण क्यों अपनाना चाहिए? वास्तविकता यह है कि आपको श्रम गहन उद्योग और अवसरों की की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम वास्तव में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंस जाएंगे."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिला कर्मचारियों की स्थिति ज्यादा नाजुक है. रिपोर्ट के अनुसार औसतन महिलाओं को उसी कार्य के लिये समान रूप से पढ़े-लिखे पुरूष सहयोगियों के मुकाबले 34 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के 2011-12 के अनुमान के अनुसार निश्चित वेतन पाने वाली महिलाओं ने शहरी क्षेत्रों में पुरूषों से 105 रुपये तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 123 रुपये कम प्राप्त किये. भोगल ने कहा कि पिछले कुछ साल में हमने रोजगार सृजन के अनेक दावे और वादे सुने हैं पर अच्छी गुणवत्ता के रोजगार प्रदान करने पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है.
ये भी पढ़ें : प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी पर सीबीडीटी सख्त, आयकर अधिकारियों को हरसंभंव कदम उठाने को कहा

नई दिल्ली : विकास के मौजूदा मॉडल के तहत रोजगार बड़ा मुद्दा बना है और ऐसे में सरकार को अधिक-से-अधिक रोजगार सृजित करने के लिये श्रम गहन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है. असमानता और गरीबी उन्मूलन पर काम करने वाली संस्था ओक्सफैम इंडिया की 'विषमता पर ध्यान दें - भारत में रोजगार की स्थिति' शीर्षक से बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, "गुणवत्तापूर्ण रोजगार का अभाव तथा वेतन में बढ़ती विषमता भारतीय श्रम बाजार में असमानता का प्रमुख कारण है."

आक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ बेहर ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "रोजगार सृजन तथा स्त्री-पुरूष समानता के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति काफी अलग है. वास्तव में हम जो देख रहे हैं, वह बहुत दु:खद और परेशान करने वाली स्थिति है. इसमें स्थानीय संरचनात्मक कारण है जिससे रोजगार बाजार या देश में रोजगार के संदर्भ में स्थिति बिगड़ी है."

बेहर ने आगे कहा कि यह गलत नीतियों तथा सामाजिक सुरक्षा एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश की कमी का नतीजा है. रोजगार क्षेत्र में असमानता को दूर करने के लिये रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक रोजगार सृजित करने के लिये हमारा जोर श्रम गहन क्षेत्रों की तरफ होना चाहिए. साथ ही पड़ोसी तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धी देशों में समान रूप से प्रतिस्पर्धी होने के लिये देश में बेहतर एवं प्रासंगिक कौशल विकास के अवसर होने चाहिए.

इसके अलावा, प्रगतिशील कराधान पर जोर होना चाहिए तथा कंपनी कर में छूट देने को लेकर जो अतिरिक्त उत्साह पैदा हो रहा है, उसमें कमी लायी जानी चाहिए. इस तरह से जो अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो उसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य व समाजिक सुरक्षा सुधारने के लिये करना चाहिए.

नीति अनुसंधान तथा अभियान की निदेशक रेणु भोगल ने कहा, "हमारे देश में जिस प्रकार के कार्य बल हैं, हम उस मॉडल को नहीं अपना सकते हैं जो अन्य देश उपयोग करते हैं. आखिर हमें बड़े पैमाने पर मशीनीकरण क्यों अपनाना चाहिए? वास्तविकता यह है कि आपको श्रम गहन उद्योग और अवसरों की की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम वास्तव में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंस जाएंगे."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिला कर्मचारियों की स्थिति ज्यादा नाजुक है. रिपोर्ट के अनुसार औसतन महिलाओं को उसी कार्य के लिये समान रूप से पढ़े-लिखे पुरूष सहयोगियों के मुकाबले 34 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के 2011-12 के अनुमान के अनुसार निश्चित वेतन पाने वाली महिलाओं ने शहरी क्षेत्रों में पुरूषों से 105 रुपये तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 123 रुपये कम प्राप्त किये. भोगल ने कहा कि पिछले कुछ साल में हमने रोजगार सृजन के अनेक दावे और वादे सुने हैं पर अच्छी गुणवत्ता के रोजगार प्रदान करने पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है.
ये भी पढ़ें : प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी पर सीबीडीटी सख्त, आयकर अधिकारियों को हरसंभंव कदम उठाने को कहा

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रोजगार सृजन तथा स्त्री-पुरूष समानता के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति काफी अलग है. वास्तव में हम जो देख रहे हैं, वह बहुत दु:खद और परेशान करने वाली स्थिति है. इसमें स्थानीय संरचनात्मक कारण है जिससे रोजगार बाजार या देश में रोजगार के संदर्भ में स्थिति बिगड़ी है.



नई दिल्ली : विकास के मौजूदा मॉडल के तहत रोजगार बड़ा मुद्दा बना है और ऐसे में सरकार को अधिक-से-अधिक रोजगार सृजित करने के लिये श्रम गहन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है. असमानता और गरीबी उन्मूलन पर काम करने वाली संस्था ओक्सफैम इंडिया की 'विषमता पर ध्यान दें - भारत में रोजगार की स्थिति' शीर्षक से बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, "गुणवत्तापूर्ण रोजगार का अभाव तथा वेतन में बढ़ती विषमता भारतीय श्रम बाजार में असमानता का प्रमुख कारण है."

आक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ बेहर ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "रोजगार सृजन तथा स्त्री-पुरूष समानता के दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति काफी अलग है. वास्तव में हम जो देख रहे हैं, वह बहुत दु:खद और परेशान करने वाली स्थिति है. इसमें स्थानीय संरचनात्मक कारण है जिससे रोजगार बाजार या देश में रोजगार के संदर्भ में स्थिति बिगड़ी है."

बेहर ने आगे कहा कि यह गलत नीतियों तथा सामाजिक सुरक्षा एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश की कमी का नतीजा है. रोजगार क्षेत्र में असमानता को दूर करने के लिये रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक रोजगार सृजित करने के लिये हमारा जोर श्रम गहन क्षेत्रों की तरफ होना चाहिए. साथ ही पड़ोसी तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धी देशों में समान रूप से प्रतिस्पर्धी होने के लिये देश में बेहतर एवं प्रासंगिक कौशल विकास के अवसर होने चाहिए.

इसके अलावा, प्रगतिशील कराधान पर जोर होना चाहिए तथा कंपनी कर में छूट देने को लेकर जो अतिरिक्त उत्साह पैदा हो रहा है, उसमें कमी लायी जानी चाहिए. इस तरह से जो अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो उसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य व समाजिक सुरक्षा सुधारने के लिये करना चाहिए.

नीति अनुसंधान तथा अभियान की निदेशक रेणु भोगल ने कहा, "हमारे देश में जिस प्रकार के कार्य बल हैं, हम उस मॉडल को नहीं अपना सकते हैं जो अन्य देश उपयोग करते हैं. आखिर हमें बड़े पैमाने पर मशीनीकरण क्यों अपनाना चाहिए? वास्तविकता यह है कि आपको श्रम गहन उद्योग और अवसरों की की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम वास्तव में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंस जाएंगे."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिला कर्मचारियों की स्थिति ज्यादा नाजुक है. रिपोर्ट के अनुसार औसतन महिलाओं को उसी कार्य के लिये समान रूप से पढ़े-लिखे पुरूष सहयोगियों के मुकाबले 34 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के 2011-12 के अनुमान के अनुसार निश्चित वेतन पाने वाली महिलाओं ने शहरी क्षेत्रों में पुरूषों से 105 रुपये तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 123 रुपये कम प्राप्त किये. भोगल ने कहा कि पिछले कुछ साल में हमने रोजगार सृजन के अनेक दावे और वादे सुने हैं पर अच्छी गुणवत्ता के रोजगार प्रदान करने पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है.


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