ETV Bharat / business

सरकारी बांड की विदेशों में बिक्री से नुकसान ज्यादा फायदा कम: अहलूवालिया - योजना आयोग

अहलूवालिया ने कहा कि सार्वजनिक बांड की बिक्री विदेशी निवेशकों को करने से केवल विदेशी मर्चेन्ट बैंकरों को ही फायदा होगा. वह धन की व्यवस्था करने के लिये भारी कमीशन हासिल करेंगे.

सरकारी बांड की विदेशों में बिक्री से नुकसान ज्यादा फायदा कम: अहलूवालिया
author img

By

Published : Jul 14, 2019, 7:43 PM IST

मुंबई: अर्थशास्त्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मोदी सरकार को विदेशी बांड बाजार का उपयोग करते हुये धन जुटाने की योजना टालने का सुझाव दिया है. उनका कहना है कि पूर्व में भी सरकारी बांड को विदेशी बाजारों में बेचने पर विचार किया गया था लेकिन बाद में इसे छोड़ दिया गया क्योंकि इसमें नुकसान ज्यादा और फायदा कम दिखाई दिया.

उन्होंने यह बात नरेंद्र मोदी सरकार के विदेशी बाजार से कर्ज लेने की योजना के तहत कम-से-कम 70,000 करोड़ रुपये विदेशों में सरकारी बांड बेचकर जुटाने के प्रस्ताव के बारे में कही है. सरकार अब तक घरेलू बाजार से ही कोष जुटाती रही है.

ये भी पढ़ें- राजस्थान में दस हजार लोगों पर एक बैंक

अहलूवालिया ने कहा, "हमें लगता है कि इससे लाभ के बजाए नुकसान ज्यादा होगा."

उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि अधिक विदेशी धन यहां आये तो आप विदेशी मुद्रा में सीधे उधार क्यों लेना चाहते हैं? आप उन्हें पैसा उन्हें लाने दीजिए तथा उन्हें यहां बांड खरीदने दीजिए.

अहलूवालिया ने कहा कि सार्वजनिक बांड की बिक्री विदेशी निवेशकों को करने से केवल विदेशी मर्चेन्ट बैंकरों को ही फायदा होगा. वह धन की व्यवस्था करने के लिये भारी कमीशन हासिल करेंगे.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार थोड़ी सी राशि पाने के लिये कोष जुटाने के वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस पर विचार कर सकती है.

अहलूवालिया ने यह भी पूछा कि सरकार की ओर से जुटाई जाने वाली राशि की सीमा का खुलासा नहीं होने से निजी क्षेत्र के कर्ज का क्या होगा. सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह कितना और कब विदेशी बांड बाजार में जाएगी.

हालांकि, उन्होंने सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रबंधन नियंत्रण में कटौती का समर्थन किया. उनकी 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी नीचे आनी चाहिए.

अहलूवालिया ने कहा, "मेरा अपना विचार है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 70 प्रतिशत हिस्सेदारी काफी अधिक है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें सभी का निजीकरण कर देना चाहिए लेकिन उनका दबदबा कम करने की जरूरत है."

मुंबई: अर्थशास्त्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मोदी सरकार को विदेशी बांड बाजार का उपयोग करते हुये धन जुटाने की योजना टालने का सुझाव दिया है. उनका कहना है कि पूर्व में भी सरकारी बांड को विदेशी बाजारों में बेचने पर विचार किया गया था लेकिन बाद में इसे छोड़ दिया गया क्योंकि इसमें नुकसान ज्यादा और फायदा कम दिखाई दिया.

उन्होंने यह बात नरेंद्र मोदी सरकार के विदेशी बाजार से कर्ज लेने की योजना के तहत कम-से-कम 70,000 करोड़ रुपये विदेशों में सरकारी बांड बेचकर जुटाने के प्रस्ताव के बारे में कही है. सरकार अब तक घरेलू बाजार से ही कोष जुटाती रही है.

ये भी पढ़ें- राजस्थान में दस हजार लोगों पर एक बैंक

अहलूवालिया ने कहा, "हमें लगता है कि इससे लाभ के बजाए नुकसान ज्यादा होगा."

उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि अधिक विदेशी धन यहां आये तो आप विदेशी मुद्रा में सीधे उधार क्यों लेना चाहते हैं? आप उन्हें पैसा उन्हें लाने दीजिए तथा उन्हें यहां बांड खरीदने दीजिए.

अहलूवालिया ने कहा कि सार्वजनिक बांड की बिक्री विदेशी निवेशकों को करने से केवल विदेशी मर्चेन्ट बैंकरों को ही फायदा होगा. वह धन की व्यवस्था करने के लिये भारी कमीशन हासिल करेंगे.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार थोड़ी सी राशि पाने के लिये कोष जुटाने के वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस पर विचार कर सकती है.

अहलूवालिया ने यह भी पूछा कि सरकार की ओर से जुटाई जाने वाली राशि की सीमा का खुलासा नहीं होने से निजी क्षेत्र के कर्ज का क्या होगा. सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह कितना और कब विदेशी बांड बाजार में जाएगी.

हालांकि, उन्होंने सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रबंधन नियंत्रण में कटौती का समर्थन किया. उनकी 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी नीचे आनी चाहिए.

अहलूवालिया ने कहा, "मेरा अपना विचार है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 70 प्रतिशत हिस्सेदारी काफी अधिक है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें सभी का निजीकरण कर देना चाहिए लेकिन उनका दबदबा कम करने की जरूरत है."

Intro:Body:

सरकारी बांड की विदेशों में बिक्री से नुकसान ज्यादा फायदा कम: अहलूवालिया

मुंबई: अर्थशास्त्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने मोदी सरकार को विदेशी बांड बाजार का उपयोग करते हुये धन जुटाने की योजना टालने का सुझाव दिया है. उनका कहना है कि पूर्व में भी सरकारी बांड को विदेशी बाजारों में बेचने पर विचार किया गया था लेकिन बाद में इसे छोड़ दिया गया क्योंकि इसमें नुकसान ज्यादा और फायदा कम दिखाई दिया.

उन्होंने यह बात नरेंद्र मोदी सरकार के विदेशी बाजार से कर्ज लेने की योजना के तहत कम-से-कम 70,000 करोड़ रुपये विदेशों में सरकारी बांड बेचकर जुटाने के प्रस्ताव के बारे में कही है. सरकार अब तक घरेलू बाजार से ही कोष जुटाती रही है.

अहलूवालिया ने कहा, "हमें लगता है कि इससे लाभ के बजाए नुकसान ज्यादा होगा."

उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि अधिक विदेशी धन यहां आये तो आप विदेशी मुद्रा में सीधे उधार क्यों लेना चाहते हैं? आप उन्हें पैसा उन्हें लाने दीजिए तथा उन्हें यहां बांड खरीदने दीजिए.

अहलूवालिया ने कहा कि सार्वजनिक बांड की बिक्री विदेशी निवेशकों को करने से केवल विदेशी मर्चेन्ट बैंकरों को ही फायदा होगा. वह धन की व्यवस्था करने के लिये भारी कमीशन हासिल करेंगे. 

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार थोड़ी सी राशि पाने के लिये कोष जुटाने के वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस पर विचार कर सकती है. 

अहलूवालिया ने यह भी पूछा कि सरकार की ओर से जुटाई जाने वाली राशि की सीमा का खुलासा नहीं होने से निजी क्षेत्र के कर्ज का क्या होगा. सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह कितना और कब विदेशी बांड बाजार में जाएगी. 

हालांकि, उन्होंने सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रबंधन नियंत्रण में कटौती का समर्थन किया. उनकी 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी नीचे आनी चाहिए.

अहलूवालिया ने कहा, "मेरा अपना विचार है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 70 प्रतिशत हिस्सेदारी काफी अधिक है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें सभी का निजीकरण कर देना चाहिए लेकिन उनका दबदबा कम करने की जरूरत है."

 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.