मुंबई : रिजर्व बैंक ने बैंकिंग क्षेत्र के जोखिम आधारित निरीक्षण की समीक्षा करने और उसे मजबूत बनाने का फैसला किया है. यह फैसला वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों को उभरती चुनौतियों का सामना करने लायक बनाने के लिये किया गया है.
रिजर्व बैंक जोखिम आधारित निरीक्षण (आरबीएस) का इस्तेमाल बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों की निगरानी और निरीक्षण के लिये करता है. इसमें गुणवत्ता और मात्रात्मक तत्व सभी शामिल होते हैं.
रिजव बैंक ने तकनीकी विशेषज्ञों, सलाहकारों से बैंकों के लिये प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिये बोलियां आमंत्रित करते हुये कहा, 'मौजूदा आरबीएस नमूने को उभरती चुनौतियों के समक्ष अधिक सक्षम और बेहतर बनाने के लिये वह निरीक्षण प्रक्रिया की समीक्षा की इच्छा रखता है. इसके साथ ही इसमें आने वाली विसंगतियों को यदि कोई है तो दूर किया जायेगा.'
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शहरी सहकारी बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का वार्षिक वित्तीय निरीक्षण इन संस्थानों की पूंजी पर्याप्तता, संपत्ति गुणवता, प्रबंधन, कमाई, तरलता और प्रणाली एवं नियंत्रण यानी सीएएमईएलएस नमूने पर आधारित है.
रिजर्व बैंक इन वित्तीय संस्थानों के जमाकर्तओं के हित और वित्तीय स्थिरता के लिये निरीक्षण हुई इकाई का निरीक्षण उनकी वित्तीय मजबूती, संपत्ति गुणवत्ता, संचालन ढांचा, तरलता और परिचालन वहनीयता का उद्देश्य सामने रखकर करता है.
वहीं बैंकों का निरीक्षण रिजर्व बैंक उनके वार्षिक निरीक्षण और उनकी आफसाइट निगरानी के जरिये करता है.