नई दिल्ली: पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी अधिशेष या आय का केवल 44 प्रतिशत राशि ही केंद्र को हस्तांतरित किया है. प्रतिशत के हिसाब से यह पिछले सात साल में सबसे कम है.
आरबीआई बोर्ड ने लेखा वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के लिये केंद्र सरकार को 57,128 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने को मंजूरी इसी माह दी है. जब आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच अधिशेष राशि के हस्तांतरण और आर्थिक पूंजी रूपरेखा (ईसीएफ) को लेकर विवाद हुआ था गर्ग उस समय वित्त सचिव थे.
आरबीआई बोर्ड की 19 नवंबर, 2018 को हुई बैठक में इस बात पर विचार के लिये समिति गठित का निर्णय किया गया कि आखिर केंद्रीय बैंक के लिये आरक्षित पूंजी कितनी होनी चाहिए और उसे सरकार को उसे कितना लाभांश देना चाहिए.
केंद्रीय बैंक ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर, 2018 को छह सदस्यीय समिति गठित की. समिति ने अगस्त 2019 में अपनी रिपोर्ट दी.
गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, "आरबीआई को 2019-20 में 1497 अरब रुपये की बचत हुई. उसने अपने पास 736 अरब रुपये रखा जबकि सरकार को 571 अरब रुपये (केवल 44 प्रतिशत) हस्तांतरित किये. यह पिछले सात साल में सबसे कम हस्तांतरण है और आरबीआई ने सर्वाधिक राशि अपने पास रखी. बिमल जालान समिति का सरकार को वास्तविक उपहार!"
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उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "कुल आय 1497 अरब रुपये. बचत 1307 अरब रुपए. बचत का बंटवारा. अपने पास रखे 736 अरब रुपये सरकार को दिए 571 अरब रुपये ."
वर्ष 2018-19 में आरबीआई की आय 1,93,036 करोड़ रुपये थी जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष 78,281 करोड़ रुपये थी. आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने अगस्त 2019 में सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने को मंजूरी दी थी.
इसमें 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये अधिशेष तथा 52,637 करोड़ रुपये संशोधित आर्थिक पूंजी नियम के तहत अतिरिक्त पायी गयी राशि सरकार को दी गयी. अतिरिक्त राशि का अंतरण जालान समिति की सिफारिशों के अनुरूप था.
(पीटीआई-भाषा)