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रिजर्व बैंक ने घटाया रिवर्स रेपो रेट; एमएसएमई, एग्री और हाउसिंग सेक्टर को दिया राहत पैकेज

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Published : Apr 17, 2020, 5:22 PM IST

लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़े एलान किए. दास ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते रिजर्व बैंक आर्थिक हालात पर लगातार नजर रखे हुए है और वह उससे निपटने के लिए सभी उपायों का इस्तेमाल करेगा.

रिजर्व बैंक ने घटाया रिवर्स रेपो रेट; एमएसएमई, एग्री और हाउसिंग सेक्टर को दिया राहत पैकेज
रिजर्व बैंक ने घटाया रिवर्स रेपो रेट; एमएसएमई, एग्री और हाउसिंग सेक्टर को दिया राहत पैकेज

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. ऐसे में लॉकडाउन बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए दास ने अहम घोषणाएं की.

केंद्रीय बैंक ने ईएमआई भुगतान पर मध्यम वर्ग को अतिरिक्त राहत देने के लिए स्थगन नियमों में और ढील दी. इसने राज्य सरकारों के अग्रिमों (डब्ल्यूएमए) के तरीकों और साधनों में भी काफी वृद्धि की ताकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनके नकदी-प्रवाह को संबोधित करने में मदद मिल सके.

ये भी पढ़ें- नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक को 50,000 करोड़ की मदद: आरबीआई गवर्नर

केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती कर उसे 3.75 प्रतिशत कर दिया. हालांकि, रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो दर घटने से बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे. इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी. पिछले तीन हफ्तों में रिवर्स रेपो रेट में यह दूसरी कटौती है.

हालांकि, आज रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि कानून के तहत केवल रेपो दर में बदलाव के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ही अधिकृत है.

रिवर्स रेपो रेट में एक और 25 बेस प्वाइंट कटौती से रेपो और रिवर्स रेपो रेट के बीच की खाई और चौड़ी हो जाएगी, जिससे दो प्रमुख ब्याज दरों के बीच 65 आधार अंकों का अंतर पैदा होगा.

बैंकों को लोन देने के लिए तरलता का उपयोग करने के लिए आरबीआई ने किया प्रोत्साहित

इस कदम का उद्देश्य बैंकों को अपने साथ उपलब्ध सरप्लस फंड का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है, बजाय इसके कि वह रिज़र्व बैंक की ओर देखें जो बाजार में पैसे की आपूर्ति को कम करता है.

जबकि रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक आगे ऋण देने के लिए रिज़र्व बैंक से पैसा लेते हैं, रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर वे रिज़र्व बैंक के साथ अपने अधिशेष कोष को पार्क करते हैं.

ये दो नीतिगत दरें खुदरा और अन्य संस्थागत उधारकर्ताओं और उधारदाताओं के लिए ब्याज दरों की दिशा निर्धारित करती हैं.

आरबीआई ने प्रणाली में धन की कमी को दूर करने के लिए कुल 1 लाख करोड़ रुपये के दो तरलता बढ़ाने के उपायों की भी घोषणा की है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह ये घोषणायें करते हुये कहा कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़े वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा.

इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़े दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

दास ने अन्य उपायों के संबंध में कहा कि केंद्रीय बैंक लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा. यह काम किस्तों में किया जायेगा.

शक्तिकांता दास ने कहा कि उन्होंने बाजार सहभागियों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि केंद्रीय बैंक स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

27 मार्च को मीडिया को अपने संबोधन में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया था कि बैंक ने पहले ही 25,000 करोड़ रुपये के 6 दीर्घकालिक रेपो परिचालन के माध्यम से प्रणाली में 1.25 लाख करोड़ रुपये का डालेगा. जिसमें परिपक्वता अवधि है 1 से 3 साल होगी.

आज, शक्तिकांत दास ने सूचित किया कि लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन के दूसरे दौर के तहत 75,000 करोड़ रुपये पहले ही इंजेक्ट किए जा चुके थे और 25,000 करोड़ रुपये का चौथा किश्त आज के लिए निर्धारित था. 17 फरवरी से लक्षित लंबी अवधि के रेपो परिचालन का कुल मूल्य 2.25 लाख करोड़ रुपये है.

क्या है एलटीआरओ और टीएलटीआरओ

लंबी अवधि के रेपो ऑपरेशन तंत्र के तहत, आरबीआई बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को बाजार सहभागियों को एक साल से तीन साल की अवधि के लिए धन मुहैया कराता है, जिसका वे आगे उधार देने के लिए उपयोग करते हैं.

जब रिजर्व बैंक विशिष्ट क्षेत्रों की तरलता संकट को दूर करने के लिए इस तंत्र का उपयोग करता है तो इसे लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन कहा जाता है.

कृषि, एसएमई और आवास क्षेत्र के लिए राहत

लंबी अवधि के रेपो परिचालन के अलावा आरबीआई ने ग्रामीण क्षेत्र, एसएमई और आवास वित्त क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये की भी घोषणा की है.

इसके अलावा उन्होंने नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थानों के पुन: वित्त पोषणा के लिए 50,000 करोड़ रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की.

नाबार्ड इस पैसे का उपयोग ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म-वित्तपोषण संस्थानों को वित्तपोषित करने के लिए करेगा. जबकि सिडबी एसएमई क्षेत्र के ऋण शोधन, पुनर्वित्त के लिए सुविधा का उपयोग करेगा. राष्ट्रीय आवास बैंक रुपये का उपयोग करेगा. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के वित्तपोषण के लिए 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे.

शक्तिकांत दास ने कहा कि ये तीनों संस्थान 4.4% की कम रेपो दर पर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.

सिस्टम में जीडीपी के 3.2% के बराबर तरलता डाली

शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने फरवरी के एमपीसी मीटिंग के बाद से सिस्टम में जीडीपी के 3.2% के बराबर तरलता इंजेक्ट की है. आज की घोषणा में एक और एक लाख करोड़ रुपये शामिल होंगे जो देश की जीडीपी के आधे प्रतिशत (0.5%) के बराबर है जो वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 204 लाख करोड़ रुपये आंका गया है.

नकदी से भूखे राज्यों के लिए अधिक राहत

इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिये अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुये उन्हें एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान की है.

उन्होंने कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और आरबीआई द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है.

कोरोना के कारण उतपन्न हुई आर्थिक चुनौती से निपटना

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शायद मानवता आज अपने समय के मुश्किल दौर का सामना कर रही है क्योंकि कोविड-19 ने दुनिया को जकड़ कर रखा है.

अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस ने भारत में 430 से अधिक लोगों की जान ले ली है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार इस वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

(कृष्णानंद त्रिपाठी का लेख)

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. ऐसे में लॉकडाउन बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए दास ने अहम घोषणाएं की.

केंद्रीय बैंक ने ईएमआई भुगतान पर मध्यम वर्ग को अतिरिक्त राहत देने के लिए स्थगन नियमों में और ढील दी. इसने राज्य सरकारों के अग्रिमों (डब्ल्यूएमए) के तरीकों और साधनों में भी काफी वृद्धि की ताकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनके नकदी-प्रवाह को संबोधित करने में मदद मिल सके.

ये भी पढ़ें- नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक को 50,000 करोड़ की मदद: आरबीआई गवर्नर

केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती कर उसे 3.75 प्रतिशत कर दिया. हालांकि, रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो दर घटने से बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे. इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी. पिछले तीन हफ्तों में रिवर्स रेपो रेट में यह दूसरी कटौती है.

हालांकि, आज रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि कानून के तहत केवल रेपो दर में बदलाव के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ही अधिकृत है.

रिवर्स रेपो रेट में एक और 25 बेस प्वाइंट कटौती से रेपो और रिवर्स रेपो रेट के बीच की खाई और चौड़ी हो जाएगी, जिससे दो प्रमुख ब्याज दरों के बीच 65 आधार अंकों का अंतर पैदा होगा.

बैंकों को लोन देने के लिए तरलता का उपयोग करने के लिए आरबीआई ने किया प्रोत्साहित

इस कदम का उद्देश्य बैंकों को अपने साथ उपलब्ध सरप्लस फंड का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है, बजाय इसके कि वह रिज़र्व बैंक की ओर देखें जो बाजार में पैसे की आपूर्ति को कम करता है.

जबकि रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक आगे ऋण देने के लिए रिज़र्व बैंक से पैसा लेते हैं, रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर वे रिज़र्व बैंक के साथ अपने अधिशेष कोष को पार्क करते हैं.

ये दो नीतिगत दरें खुदरा और अन्य संस्थागत उधारकर्ताओं और उधारदाताओं के लिए ब्याज दरों की दिशा निर्धारित करती हैं.

आरबीआई ने प्रणाली में धन की कमी को दूर करने के लिए कुल 1 लाख करोड़ रुपये के दो तरलता बढ़ाने के उपायों की भी घोषणा की है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह ये घोषणायें करते हुये कहा कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़े वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा.

इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़े दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

दास ने अन्य उपायों के संबंध में कहा कि केंद्रीय बैंक लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा. यह काम किस्तों में किया जायेगा.

शक्तिकांता दास ने कहा कि उन्होंने बाजार सहभागियों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि केंद्रीय बैंक स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

27 मार्च को मीडिया को अपने संबोधन में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया था कि बैंक ने पहले ही 25,000 करोड़ रुपये के 6 दीर्घकालिक रेपो परिचालन के माध्यम से प्रणाली में 1.25 लाख करोड़ रुपये का डालेगा. जिसमें परिपक्वता अवधि है 1 से 3 साल होगी.

आज, शक्तिकांत दास ने सूचित किया कि लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन के दूसरे दौर के तहत 75,000 करोड़ रुपये पहले ही इंजेक्ट किए जा चुके थे और 25,000 करोड़ रुपये का चौथा किश्त आज के लिए निर्धारित था. 17 फरवरी से लक्षित लंबी अवधि के रेपो परिचालन का कुल मूल्य 2.25 लाख करोड़ रुपये है.

क्या है एलटीआरओ और टीएलटीआरओ

लंबी अवधि के रेपो ऑपरेशन तंत्र के तहत, आरबीआई बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को बाजार सहभागियों को एक साल से तीन साल की अवधि के लिए धन मुहैया कराता है, जिसका वे आगे उधार देने के लिए उपयोग करते हैं.

जब रिजर्व बैंक विशिष्ट क्षेत्रों की तरलता संकट को दूर करने के लिए इस तंत्र का उपयोग करता है तो इसे लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन कहा जाता है.

कृषि, एसएमई और आवास क्षेत्र के लिए राहत

लंबी अवधि के रेपो परिचालन के अलावा आरबीआई ने ग्रामीण क्षेत्र, एसएमई और आवास वित्त क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये की भी घोषणा की है.

इसके अलावा उन्होंने नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थानों के पुन: वित्त पोषणा के लिए 50,000 करोड़ रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की.

नाबार्ड इस पैसे का उपयोग ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म-वित्तपोषण संस्थानों को वित्तपोषित करने के लिए करेगा. जबकि सिडबी एसएमई क्षेत्र के ऋण शोधन, पुनर्वित्त के लिए सुविधा का उपयोग करेगा. राष्ट्रीय आवास बैंक रुपये का उपयोग करेगा. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के वित्तपोषण के लिए 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे.

शक्तिकांत दास ने कहा कि ये तीनों संस्थान 4.4% की कम रेपो दर पर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.

सिस्टम में जीडीपी के 3.2% के बराबर तरलता डाली

शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने फरवरी के एमपीसी मीटिंग के बाद से सिस्टम में जीडीपी के 3.2% के बराबर तरलता इंजेक्ट की है. आज की घोषणा में एक और एक लाख करोड़ रुपये शामिल होंगे जो देश की जीडीपी के आधे प्रतिशत (0.5%) के बराबर है जो वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 204 लाख करोड़ रुपये आंका गया है.

नकदी से भूखे राज्यों के लिए अधिक राहत

इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी. इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिये अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुये उन्हें एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान की है.

उन्होंने कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और आरबीआई द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है.

कोरोना के कारण उतपन्न हुई आर्थिक चुनौती से निपटना

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शायद मानवता आज अपने समय के मुश्किल दौर का सामना कर रही है क्योंकि कोविड-19 ने दुनिया को जकड़ कर रखा है.

अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस ने भारत में 430 से अधिक लोगों की जान ले ली है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार इस वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

(कृष्णानंद त्रिपाठी का लेख)

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