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मजदूरों की रोजी-रोटी पर खतरा! रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग कर्मचारियों ने कैंडल मार्च निकाल किया विरोध प्रदर्शन - RAILWAY WORKERS JOB CRISIS

रेलवे बोर्ड के नए आदेश से हजारों लोडिंग-अनलोडिंग मजदूरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है: राजकुमार इंदोरिया

रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग मजदूरों ने किया विरोध प्रदर्शन
रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग मजदूरों ने किया विरोध प्रदर्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 14, 2025, 7:14 PM IST

नई दिल्लीः भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर्स यूनियन व अन्य संस्थाओं ने मिलकर शुक्रवार को रेलवे बोर्ड के हालिया आदेश के खिलाफ कैंडल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. दिल्ली के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से कैंडल मार्च में कर्मचारी पहुंचे. सभी कर्मचारी रेलवे बोर्ड के लिए कैंडल मार्च करते हुए निकले, लेकिन पुलिस ने मिंटो ब्रिज के पास उन्हें रोक दिया. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि मालगाड़ियों की लोडिंग-अनलोडिंग का ठेका निजी कंपनियों को दिया जा रहा है, जिससे हजारों मजदूरों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसा हुआ तो उनके परिवार पर आर्थिक संकट आ जाएगा.

भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार इंदोरिया ने कहा; ''रेलवे के इस फैसले से लंबे समय से रेलवे से जुड़े मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी, जो दशकों से ट्रेनों में माल लोड करने व उतारने का कार्य कर रहे हैं. ऐसे में कर्मचारियों में काफी रोष है. पूर्व में रेलवे बोर्ड व अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसा न करने की अपील की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. अब मजबूरी में मजदूरों को प्रदर्शन करना पड़ रहा है. सैकड़ों मजदूरों ने दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कैंडल मार्च निकालते हुए रेलवे बोर्ड के फैसले को वापस लेने की मांग की.''

रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग मजदूरों ने किया विरोध प्रदर्शन (etv bharat)

मजदूरों के हक में फैसला ले सरकार:

प्रदर्शन के दौरान मजदूरों ने सरकार और रेलवे प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वो देशव्यापी आंदोलन करने को मजबूर होंगे. यूनियन का कहना है कि यह आदेश न सिर्फ मजदूरों के हितों के खिलाफ है, बल्कि यह निजीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम है, जिससे रेलवे और आम जनता को भी नुकसान होगा. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी से भी अपील की कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और मजदूरों की रोजी-रोटी बचाने के लिए उचित कदम उठाएं.

कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक वो अपनी मांगों को लेकर विभिन्न तरीकों से प्रदर्शन करते रहेंगे. वहीं, जैफ कैट संस्था के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि रेलवे बड़े स्तर पर प्राइवेटाइजेशन करता जा रहा है. ट्रेनों में पार्सल के लिए चार बोगी होती थी. तीन को पहले से प्राइवेट कंपनियों को दिया जा चुका है. बचे हुए 25 प्रतिशत पार्सल लोडिंग के काम का भी निजीकरण किया जा रहा है. इससे देशभर में लाखों लोगों पर आर्थिक संकट आ जाएगा.

ये भी पढ़ें:

  1. मनमानी सस्पेंशन और पेंशन स्कीम को लेकर रेलवे कर्मचारियों में नाराजगी, प्रशासन को दी चेतावनी
  2. रेलवे संगठनों का प्रोटेस्ट आज, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्लीः भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर्स यूनियन व अन्य संस्थाओं ने मिलकर शुक्रवार को रेलवे बोर्ड के हालिया आदेश के खिलाफ कैंडल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. दिल्ली के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से कैंडल मार्च में कर्मचारी पहुंचे. सभी कर्मचारी रेलवे बोर्ड के लिए कैंडल मार्च करते हुए निकले, लेकिन पुलिस ने मिंटो ब्रिज के पास उन्हें रोक दिया. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि मालगाड़ियों की लोडिंग-अनलोडिंग का ठेका निजी कंपनियों को दिया जा रहा है, जिससे हजारों मजदूरों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसा हुआ तो उनके परिवार पर आर्थिक संकट आ जाएगा.

भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार इंदोरिया ने कहा; ''रेलवे के इस फैसले से लंबे समय से रेलवे से जुड़े मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी, जो दशकों से ट्रेनों में माल लोड करने व उतारने का कार्य कर रहे हैं. ऐसे में कर्मचारियों में काफी रोष है. पूर्व में रेलवे बोर्ड व अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसा न करने की अपील की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. अब मजबूरी में मजदूरों को प्रदर्शन करना पड़ रहा है. सैकड़ों मजदूरों ने दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कैंडल मार्च निकालते हुए रेलवे बोर्ड के फैसले को वापस लेने की मांग की.''

रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग मजदूरों ने किया विरोध प्रदर्शन (etv bharat)

मजदूरों के हक में फैसला ले सरकार:

प्रदर्शन के दौरान मजदूरों ने सरकार और रेलवे प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वो देशव्यापी आंदोलन करने को मजबूर होंगे. यूनियन का कहना है कि यह आदेश न सिर्फ मजदूरों के हितों के खिलाफ है, बल्कि यह निजीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम है, जिससे रेलवे और आम जनता को भी नुकसान होगा. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी से भी अपील की कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और मजदूरों की रोजी-रोटी बचाने के लिए उचित कदम उठाएं.

कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक वो अपनी मांगों को लेकर विभिन्न तरीकों से प्रदर्शन करते रहेंगे. वहीं, जैफ कैट संस्था के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि रेलवे बड़े स्तर पर प्राइवेटाइजेशन करता जा रहा है. ट्रेनों में पार्सल के लिए चार बोगी होती थी. तीन को पहले से प्राइवेट कंपनियों को दिया जा चुका है. बचे हुए 25 प्रतिशत पार्सल लोडिंग के काम का भी निजीकरण किया जा रहा है. इससे देशभर में लाखों लोगों पर आर्थिक संकट आ जाएगा.

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  1. मनमानी सस्पेंशन और पेंशन स्कीम को लेकर रेलवे कर्मचारियों में नाराजगी, प्रशासन को दी चेतावनी
  2. रेलवे संगठनों का प्रोटेस्ट आज, जानिए क्या है पूरा मामला
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