मुंबई: वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के बैलेंस शीट में 13.42 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो 36.17 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 41 लाख करोड़ रुपये हो गई. इस बढ़ोतरी में निजी और विदेशी निवेशों का प्रमुख योगदान है.
केंद्रीय बैंक द्वारा गुरुवार को जारी सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. वित्त वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान बैंक के बैलेंश शीट में वृद्धि दर्ज की गई. आरबीआई का वित्त वर्ष जुलाई से जून तक होता है.
आरबीआई का बैलेंस शीट 30 जून 2018 को 36,175.94 अरब डॉलर था, जो 30 जून 2019 को बढ़कर 41,029.05 अरब डॉलर हो गया. इस प्रकार इसमें 13.42 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. आरबीआई की संपत्ति में बढ़ोतरी का मुख्य कारण घरेलू और विदेशी निवेश में क्रमश: 57.19 फीसदी और 5.70 फीसदी की बढ़ोतरी है. वहीं, सोना में कुल 16.30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
ये भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए सरकार करेगी और उपाय: सीतारमण
आरबीआई ने भारत सरकार के परामर्श से मौजूदा ईसीएफ (इकॉनमिक कैपिटल फ्रेमवर्क) की समीक्षा के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति ने 526.37 अरब रुपये की आय को कांटीजेंटी फंड से वापस निकालने की सिफारिश की थी.
सालाना रिपोर्ट में कहा गया, "चूंकि रिजव बैंक का वित्तीय लचीलापन वांछित सीमा के भीतर था, इसलिए 526.37 अरब रुपये के अतिरिक्त जोखिम प्रावधान को आकस्मिक निधि (सीएफ) से वापस लिया गया."
आरबीआई के पास इसके बाद कुल 1,234.14 अरब रुपये अधिशेष था, जिसे मिलाकर कुल 1,759.87 अरब रुपये वह केंद्र सरकार को हस्तांतरित करेगी, जिसमें से 280 अरब रुपये वह पहले ही दे चुकी है.
हाल ही में, आरबीआई ने सरकार को कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये का अधिशेष देने की घोषणा की.