नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारी ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये अपने काम के तरीकों पर फिर से गौर करें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल इस डर से अच्छे प्रस्तावों को लौटाया न जाये कि कर्ज फंस सकता है. उन्होंने बैठक में अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में वित्तीय क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया.
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वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये करीब तीन घंटे चली बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के प्रमुख शामिल हुए. बैठक में प्रधानमंत्री ने सरकार की तरफ से वित्तीय क्षेत्र को हर प्रकार के समर्थन का आश्वासन दिया.
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, "बैंकों और एनबीएफसी के अधिकारियों के साथ आर्थिक वृद्धि की योजनाओं, उद्यमियों की मदद और अन्य पहलुओं पर व्यापक विचार विमर्श किया."
मोदी ने बैंक अधिकारियों से कहा कि वे छोटे उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और किसानों को संस्थागत कर्ज लेने के लिये आगे आने को प्रेरित करें.
उनके हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "प्रत्येक बैंक को आत्ममंथन करने और मजबूत ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये कामकाज के तौर तरीके पर फिर से गौर करने की जरूरत है. बैंकों को सभी प्रस्तावों को एक ही मानदंड से विचार करने की जरूरत नहीं है और ऋण देने योग्य प्रस्तावों को अलग करने और उन्हें चिन्हित करने की जरूरत है तथा यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें पहले के एनपीए (अवरुद्ध कर्जों) के नाम पर कष्ट भुगतना नहीं पड़े."
बयान के अनुसार बैठक में जोर दिया गया कि सरकार बैंक व्यवस्था के पीछे मुस्तैदी से खड़ी है.
प्रधानमंत्री ने कहा, "बैंकों को केंद्रीय डेटा प्लेटाफार्म, डिजिटल दस्तावेज व्यवस्था, ग्राहकों के मामले में डिजिटल तरीके सूचना के साझा उपयोग जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी अपनानी चाहिए. इससे कर्ज की पहुंच बढ़ेगी, ग्राहकों के लिये चीजें आसान होगी, बैंकों की लागत कम होगी और धोखाधड़ी पर भी अंकुश लगेगा."
उन्होंने कहा कि भारत ने मजबूत, कम लागत वाला बुनियादी ढांचा तैयार किया है जिससे प्रत्येक भारतीय आसानी से किसी भी राशि के डिजिटल लेन-देन कर सकते हैं. उन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से अपने ग्राहकों के बीच रूपे और यूपीआई के उपयोग को बढ़ावा देने को कहा.
बैठक में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) के लिये आपात ऋण सुविधा, अतिरिक्त किसान क्रेडिट कार्ड, एनबीएफसी और छोटी राशि के कर्ज देने वाले संस्थानों (सूक्ष्म वित्त संस्थान) के लिये नकदी व्यवस्था में हुई प्रगति की समीक्षा की गयी.
बयान के अनुसार बैठक में यह रेखांकित किया गया कि ज्यादतर योजनाओं में अच्छी प्रगति हुई है. बैंकों को लाभार्थियों के साथ सक्रियता से जुड़ने की जरूरत पर बल दिया गया ताकि उन तक कर्ज समर्थन का लाभ संकट के दौरान समय पर पहुंचे.
सूत्रों के अनुसार बैठक में शामिल होने वालों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एस एस मल्लिकार्जुन राव, आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक संदीप बख्शी, एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी और एचडीएफसी लि. की प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नार्ड समेत अन्य शामिल हुए.
कोविड-19 संकट के कारण बैंक कर्ज में वृद्धि मई में घटकर 7 प्रतिशत पर आ गयी जो एक साल पहले इसी माह में 11.5 प्रतिशत थी. अनिश्चितता और कर्ज लेने वालों के साथ-साथ कर्जदाताओं की जोखिम लेने से बचने की मंशा के कारण ऋण में वृद्धि चालू वित्त वर्ष में हल्की रहने की संभावना है.
रिजर्व बैंक ने ऋण मांग बढ़ाने के लिये मानक ब्याज दर रेपो को ऐतिहासिक रूप से 4 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर लाया है. हालांकि कंपनियां और खुदरा कर्ज लेने वाले ऋण लेने से अब भी बच रहे हैं.
कर्ज की मांग अधिक नहीं होने से बैंक अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो के अंतर्गत जमा कर रहे हैं.
(पीटीआई-भाषा)