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नल से जल योजना: अगले पांच साल में पानी, स्वच्छता क्षेत्र में हो सकता है 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश

सरकार की नल से जल योजना का मकसद 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. इससे जल और साफ-सफाई के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश होने की उम्मीद है.

नल से जल योजना: अगले पांच साल में पानी, स्वच्छता क्षेत्र में हो सकता है 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश
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Published : Jul 14, 2019, 7:46 PM IST

नई दिल्ली: सभी को नल से जल देने की योजना की घोषणा के साथ जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में अगले पांच साल में 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की नल से जल योजना का मकसद 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. इससे जल और साफ-सफाई के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक यह निवेश पाइप, जल शोधन पंप और वाल्व, सीमेंट समेत अन्य क्षेत्रों में होंगे.

ये भी पढ़ें- रद्द टिकटों से रेलवे ने कमाये 1,536 करोड़ रूपये से ज्यादा: आरटीआई

इसमें कहा गया है, "जल और स्वच्छता के क्षेत्र में नमूना परियोजनाओं के अध्ययन तथा जल से जुड़े नीति विशेषज्ञों से बातचीत से यह संकेत मिलता है कि पाइप के जरिये पानी उपलब्ध कराने में प्रति व्यक्ति निवेश व्यय 8,000 से 9,000 रुपये हो सकता है. इससे 2019-20 से 2024-25 तक कम-से-कम 5600 से 6300 अरब रुपये निवेश की जरूरत है. यह 2013-14 से 2018-19 के दौरान इस क्षेत्र में हुए खर्च के मुकाबले लगभग दोगुना है."

रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में अनुमानित निवेश में व्यापक अंतर हैं और यह पेय जल की उपलब्धता, गुणवत्ता, भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करेगा. जहां उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में इसकी लागत 18,000 करोड़ रुपये होगी वहीं कर्नाटक में यह 3,000 करोड़ रुपये होगी.

इसमें कहा गया है कि इसके अलावा पूर्वी और मध्यवर्ती राज्यों को पाइप के जरिये पेय जल उपलब्ध कराने की परियोजना में काफी निवेश करना होगा.

बजट में सरकार के इस महत्वकांक्षी मिशन का क्रियान्वयन कर रहे जल शक्ति मंत्रालय ने योजना के लिये 28,261.59 करोड़ रुपये का निर्धारण किया है.

नई दिल्ली: सभी को नल से जल देने की योजना की घोषणा के साथ जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में अगले पांच साल में 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की नल से जल योजना का मकसद 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. इससे जल और साफ-सफाई के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक यह निवेश पाइप, जल शोधन पंप और वाल्व, सीमेंट समेत अन्य क्षेत्रों में होंगे.

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इसमें कहा गया है, "जल और स्वच्छता के क्षेत्र में नमूना परियोजनाओं के अध्ययन तथा जल से जुड़े नीति विशेषज्ञों से बातचीत से यह संकेत मिलता है कि पाइप के जरिये पानी उपलब्ध कराने में प्रति व्यक्ति निवेश व्यय 8,000 से 9,000 रुपये हो सकता है. इससे 2019-20 से 2024-25 तक कम-से-कम 5600 से 6300 अरब रुपये निवेश की जरूरत है. यह 2013-14 से 2018-19 के दौरान इस क्षेत्र में हुए खर्च के मुकाबले लगभग दोगुना है."

रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में अनुमानित निवेश में व्यापक अंतर हैं और यह पेय जल की उपलब्धता, गुणवत्ता, भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करेगा. जहां उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में इसकी लागत 18,000 करोड़ रुपये होगी वहीं कर्नाटक में यह 3,000 करोड़ रुपये होगी.

इसमें कहा गया है कि इसके अलावा पूर्वी और मध्यवर्ती राज्यों को पाइप के जरिये पेय जल उपलब्ध कराने की परियोजना में काफी निवेश करना होगा.

बजट में सरकार के इस महत्वकांक्षी मिशन का क्रियान्वयन कर रहे जल शक्ति मंत्रालय ने योजना के लिये 28,261.59 करोड़ रुपये का निर्धारण किया है.

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नल से जल योजना: अगले पांच साल में पानी, स्वच्छता क्षेत्र में हो सकता है 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश

नई दिल्ली: सभी को नल से जल देने की योजना की घोषणा के साथ जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में अगले पांच साल में 6.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की नल से जल योजना का मकसद 2024 तक सभी घरों को पाइप के जरिये पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. इससे जल और साफ-सफाई के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश होने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के मुताबिक यह निवेश पाइप, जल शोधन पंप और वाल्व, सीमेंट समेत अन्य क्षेत्रों में होंगे.

इसमें कहा गया है, "जल और स्वच्छता के क्षेत्र में नमूना परियोजनाओं के अध्ययन तथा जल से जुड़े नीति विशेषज्ञों से बातचीत से यह संकेत मिलता है कि पाइप के जरिये पानी उपलब्ध कराने में प्रति व्यक्ति निवेश व्यय 8,000 से 9,000 रुपये हो सकता है. इससे 2019-20 से 2024-25 तक कम-से-कम 5600 से 6300 अरब रुपये निवेश की जरूरत है. यह 2013-14 से 2018-19 के दौरान इस क्षेत्र में हुए खर्च के मुकाबले लगभग दोगुना है." 

रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में अनुमानित निवेश में व्यापक अंतर हैं और यह पेय जल की उपलब्धता, गुणवत्ता, भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करेगा. जहां उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में इसकी लागत 18,000 करोड़ रुपये होगी वहीं कर्नाटक में यह 3,000 करोड़ रुपये होगी.

इसमें कहा गया है कि इसके अलावा पूर्वी और मध्यवर्ती राज्यों को पाइप के जरिये पेय जल उपलब्ध कराने की परियोजना में काफी निवेश करना होगा.

बजट में सरकार के इस महत्वकांक्षी मिशन का क्रियान्वयन कर रहे जल शक्ति मंत्रालय ने योजना के लिये 28,261.59 करोड़ रुपये का निर्धारण किया है.

 


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