वॉशिंगटन : भारत में अगले सप्ताह पेशे होने वाले बजट से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने महामारी संकट से निपटने के उपायों को जारी रखने, ढांचागत क्षेत्र में निवेश पर जोर और आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाने की वकालत की है. साथ ही उन्होंने वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक कंपनियों के लिये एक स्पष्ट विनिवेश योजना पर जोर दिया है.
उन्होंने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत सरकार ने लघु एवं मझोले उपक्रमों के लिये काफी योजनाएं उपलब्ध करायी है. इनमें से ज्यादातर नकदी समर्थन के रूप में थी.
'इसकी समीक्षा करने और यह देखने की जरूरत है कि क्या उन्हें अतिरिक्त मदद की जरूरत है.'
एक फरवरी को पेश किये जाने वाले 2021-22 के बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनकी सिफारिशों से जुड़े सवाल के जवाब में गोपीनाथ ने ये बातें कही.
उन्होंने कहा कि इस समय वित्त पोषण की स्थिति बेहतर है, उसको देखते हुए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये पूंजी जुटाने का यह अच्छा समय है.
गोपीनाथ ने कहा, 'हमें यह ध्यान रखना है कि अगर महामारी संकट से निपटने के उपायों को अगर वापस लिया जाता है, गैर-निष्पादित कर्ज में वृद्धि की काफी संभावना है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी इसकी आशंका जतायी है.'
उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के लिये भी पूंजी समर्थन की जरूरत पड़ सकती है. इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों मे कामकाज की स्थिति में सुधार का भी मुद्दा है.
गोपीनाथ ने कहा,'सार्वजनिक निवेश और बढ़ाने की जरूरत है. इस पर जोर देने की जरूरत है. सरकार ने ढांचागत क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय बढाने का इरादा जताया है.'
उन्होंने कहा कि साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी और जोर देने की जरूरत है.
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आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, 'महामारी के समय खर्च किये गये. लेकिन अगर आप देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को देखें, क्षमता को बढ़ाये जाने की जरूरत है. उदाहरण के लिये आयुष्मान भारत कार्यक्रम का दायरा बढ़ाया जा सकता है और इसको लेकर दलीलें भी दी जा रही है. स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है. लेकिन ऐसा लगता है कि अनुपालन के स्तर पर कुछ मसला है, इसे दूर करने की आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि कड़ाई से लागू ‘लॉकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिये जाने के साथ जीएसटी संग्रह दिसंबर, 2020 में रिकार्ड 1.15 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.
गोपीनाथ ने कहा कि एक अन्य क्षेत्र विनिवेश है, जिस पर जोर देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, 'वाणिज्यिक रूप से व्यवहाारिक कंपनियों के मामले में विनिवेश को लेकर चीजें एकदम स्पष्ट होनी चाहिए. साथ ही ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया पर भी काफी काम करने की जरूरत है.'