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जीएसटी बकाया: केंद्र ने जीएसटी कमी की भरपाई के लिये राज्यों को उधार लेने के विकल्पों के बारे में लिखा

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को जीएसटी में कमी की भरपाई के लिये कर्ज लेने का सुझाव देने के दो दिन बाद उन्हें पत्र भेजकर कहा है कि वे या तो बाजार से उधार जुटा सकते है या फिर रिजर्व बैंक के माध्यम से एक विशेष व्यवस्था के तहत कर्ज लिया जा सकता है.

जीएसटी बकाया: केंद्र ने जीएसटी कमी की भरपाई के लिये राज्यों को उधार लेने के विकल्पों के बारे में लिखा
जीएसटी बकाया: केंद्र ने जीएसटी कमी की भरपाई के लिये राज्यों को उधार लेने के विकल्पों के बारे में लिखा
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Published : Aug 30, 2020, 12:58 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्यों को चालू वित्त वर्ष में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में आयी कमी की भरपाई के लिये उधार लेने के विकल्पों के विषय में शनिवार को सुझाव भेजे.

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को जीएसटी में कमी की भरपाई के लिये कर्ज लेने का सुझाव देने के दो दिन बाद उन्हें पत्र भेजकर कहा है कि वे या तो बाजार से उधार जुटा सकते है या फिर रिजर्व बैंक के माध्यम से एक विशेष व्यवस्था के तहत कर्ज लिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- मेगा डील: मुकेश अंबानी ने खरीदा फ्यूचर समूह, 24 हजार करोड़ रुपये में हुआ सौदा

हालांकि केंद्र ने कर्ज जुटाने का सुझाव ऐसे समय दिया है, जब अर्थव्यवस्था में नरमी की वजह से पहले से ही राजस्व संग्रह में गिरावट का सामना कर रहे राज्य बड़ी मात्रा में कर्ज ले चुके हैं. पंजाब, केरल, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार नहीं है, का कहना है कि पहले से खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनजर कर्ज बढ़ाना कोई विकल्प नहीं है.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों के वित्त सचिवों को भेजे एक पत्र में कहा कि केंद्र के द्वारा अतिरिक्त कर्ज लेने का केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के यील्ड (निवेश-प्रतिफल) पर प्रभाव पड़ेगा तथा इसके अन्य वृहद आर्थिक नुकसान होंगे. पत्र में कहा गया है कि इसके विपरीत राज्यों की प्रतिभूतियों के निवेश-प्रतिफल पर प्रभाव का अन्य संपत्तियों में निवेश पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव या उस तरह के अन्य नुकसान नहीं होंगे.

पत्र में लिखा है, "अत: यह (राज्यों के स्तर पर कर्ज लिया जाना, न कि केंद्र के स्तर पर) केंद्र और राज्यों के सामूहिक हित में है तथा निजी क्षेत्र व सभी आर्थिक निकायों समेत राष्ट्र के हित में है."

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 के बाद से जीएसटी संग्रह कम होने के बाद से ही क्षतिपूर्ति भुगतान मुद्दा बना हुआ है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों की क्षतिपूर्ति के तीन लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ने का अनुमान है. इसमें से 65 हजार करोड़ रुपये की क्षतिपूरक उपकर से प्राप्त राजस्व से की जा सकती है. इसके बाद भी 2.35 लाख करोड़ रुपये कम पड़ेंगे.

केंद्र का आकलन है कि 2.35 लाख करोड़ रुपये की इस कमी में जीएसटी के क्रियान्वयन की वजह से महज 97 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. शेष कमी कोरोना वायरस महामारी की वजह से है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कोविड-19 को दैवीय आपदा (एक्ट ऑफ गॉड) कहा था. उन्होंने कहा था कि राजस्व में जीएसटी के कारण कमी और महामारी के कारण हुई कमी को अलग अलग करने जरूरी है.

हालांकि राज्यों का कहना था कि इस तरह से अलग करके देखना संवैधानिक नहीं है. वित्त मंत्रालय ने उधार जुटाने के विकल्पों को विस्तार से बताते हुए कहा कि सामान्यत: राज्यों द्वारा जुटाये गये कर्ज पर केंद्र की तुलना में अधिक ब्याज लगता है. मंत्रालय के अनुसार, "भारत सरकार इस तथ्य से अवगत है और उसने विकल्प सुझाने में इसपर विचार भी किया है, ताकि राज्यों को संरक्षित किया जा सके और उन्हें प्रतिकूल असर से बचाया जा सके."

केंद्र सरकार के पहले विकल्प के तहत यदि राज्य जीएसटी क्रियान्वयन के कारण आयी 97 हजार करोड़ रुपये की कमी विशेष व्यवस्था के तहत उधार लेकर पूरा करते हैं, तो ऐसे में केंद्र सरकार इसका ब्याज सरकारी प्रतिभूति की ब्याज दर के आस-पास रखने का प्रयास करेगी. यह उधार राज्यों की पूर्व स्वीकृत उधार सीमा से इतर होगी.

दूसरे विकल्प के तहत, राज्य 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी कमी की पूर्ति के लिये बाजार से उधार ले सकते हैं. इसके ब्याज का भुगतान राज्यों को अपने संसाधनों से करना होगा और मूल राशि का भुगतान उपकर से प्राप्त संग्रह से किया जायेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्यों को चालू वित्त वर्ष में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में आयी कमी की भरपाई के लिये उधार लेने के विकल्पों के विषय में शनिवार को सुझाव भेजे.

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को जीएसटी में कमी की भरपाई के लिये कर्ज लेने का सुझाव देने के दो दिन बाद उन्हें पत्र भेजकर कहा है कि वे या तो बाजार से उधार जुटा सकते है या फिर रिजर्व बैंक के माध्यम से एक विशेष व्यवस्था के तहत कर्ज लिया जा सकता है.

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हालांकि केंद्र ने कर्ज जुटाने का सुझाव ऐसे समय दिया है, जब अर्थव्यवस्था में नरमी की वजह से पहले से ही राजस्व संग्रह में गिरावट का सामना कर रहे राज्य बड़ी मात्रा में कर्ज ले चुके हैं. पंजाब, केरल, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार नहीं है, का कहना है कि पहले से खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनजर कर्ज बढ़ाना कोई विकल्प नहीं है.

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों के वित्त सचिवों को भेजे एक पत्र में कहा कि केंद्र के द्वारा अतिरिक्त कर्ज लेने का केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के यील्ड (निवेश-प्रतिफल) पर प्रभाव पड़ेगा तथा इसके अन्य वृहद आर्थिक नुकसान होंगे. पत्र में कहा गया है कि इसके विपरीत राज्यों की प्रतिभूतियों के निवेश-प्रतिफल पर प्रभाव का अन्य संपत्तियों में निवेश पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव या उस तरह के अन्य नुकसान नहीं होंगे.

पत्र में लिखा है, "अत: यह (राज्यों के स्तर पर कर्ज लिया जाना, न कि केंद्र के स्तर पर) केंद्र और राज्यों के सामूहिक हित में है तथा निजी क्षेत्र व सभी आर्थिक निकायों समेत राष्ट्र के हित में है."

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 के बाद से जीएसटी संग्रह कम होने के बाद से ही क्षतिपूर्ति भुगतान मुद्दा बना हुआ है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों की क्षतिपूर्ति के तीन लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ने का अनुमान है. इसमें से 65 हजार करोड़ रुपये की क्षतिपूरक उपकर से प्राप्त राजस्व से की जा सकती है. इसके बाद भी 2.35 लाख करोड़ रुपये कम पड़ेंगे.

केंद्र का आकलन है कि 2.35 लाख करोड़ रुपये की इस कमी में जीएसटी के क्रियान्वयन की वजह से महज 97 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. शेष कमी कोरोना वायरस महामारी की वजह से है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कोविड-19 को दैवीय आपदा (एक्ट ऑफ गॉड) कहा था. उन्होंने कहा था कि राजस्व में जीएसटी के कारण कमी और महामारी के कारण हुई कमी को अलग अलग करने जरूरी है.

हालांकि राज्यों का कहना था कि इस तरह से अलग करके देखना संवैधानिक नहीं है. वित्त मंत्रालय ने उधार जुटाने के विकल्पों को विस्तार से बताते हुए कहा कि सामान्यत: राज्यों द्वारा जुटाये गये कर्ज पर केंद्र की तुलना में अधिक ब्याज लगता है. मंत्रालय के अनुसार, "भारत सरकार इस तथ्य से अवगत है और उसने विकल्प सुझाने में इसपर विचार भी किया है, ताकि राज्यों को संरक्षित किया जा सके और उन्हें प्रतिकूल असर से बचाया जा सके."

केंद्र सरकार के पहले विकल्प के तहत यदि राज्य जीएसटी क्रियान्वयन के कारण आयी 97 हजार करोड़ रुपये की कमी विशेष व्यवस्था के तहत उधार लेकर पूरा करते हैं, तो ऐसे में केंद्र सरकार इसका ब्याज सरकारी प्रतिभूति की ब्याज दर के आस-पास रखने का प्रयास करेगी. यह उधार राज्यों की पूर्व स्वीकृत उधार सीमा से इतर होगी.

दूसरे विकल्प के तहत, राज्य 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी कमी की पूर्ति के लिये बाजार से उधार ले सकते हैं. इसके ब्याज का भुगतान राज्यों को अपने संसाधनों से करना होगा और मूल राशि का भुगतान उपकर से प्राप्त संग्रह से किया जायेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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