ETV Bharat / business

टैक्स अधिकारियों ने अमीरों और विदेशी कंपनियों पर अधिक टैक्स लगाने का दिया सुझाव

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) संघ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पी सी मोदी को सौंपे गये कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प एवं प्रतिक्रिया (फोर्स) शीर्षक से तैयार दस्तावेज में ये सुझाव दिये हैं. इस परिपत्र पर 23 अप्रैल की तिथि है.

टैक्स अधिकारियों ने अमीरों और विदेशी कंपनियों पर अधिक टैक्स लगाने का दिया सुझाव
टैक्स अधिकारियों ने अमीरों और विदेशी कंपनियों पर अधिक टैक्स लगाने का दिया सुझाव
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 7:57 PM IST

मुंबई: वरिष्ठ कर अधिकारियों के एक समूह ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में मदद के लिए अति-धनाढ्यों पर 40 प्रतिशत कर लगाने के साथ ही विदेशी कंपनियों पर भी ऊंची दर से शुल्क लगाने का सुझाव दिया है. अधिकारियों ने अल्पकालिक उपायों के तौर पर सरकार को ये सुझाव दिये हैं.

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) संघ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पी सी मोदी को सौंपे गये कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प एवं प्रतिक्रिया (फोर्स) शीर्षक से तैयार दस्तावेज में ये सुझाव दिये हैं. इस परिपत्र पर 23 अप्रैल की तिथि है.

इसमें कहा गया कि कर राहत सिर्फ ईमानदार और अनुपालन करने वाले करदाताओं को ही दी जानी चाहिए. विशेष रूप से ऐसे करदाताओं को जो समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं.

ये भी पढ़ें- एफपीआई ने भारतीय बाजारों से अप्रैल में अब तक 10,347 करोड़ रुपये निकाले

दस्तावेज में कहा गया है कि रिटर्न दाखिल नहीं करनले, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नहीं करने अथवा उसे रोककर रखने, फर्जी नुकसान के दावों के जरिये कर देनदारी कम करके दिखाने के कई मामले सामने आते रहते हैं.

सरकार ने कुछ दिन पहले ही खर्चों में कमी करते हुये कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि पर भी रोक लगा दी है. इससे सरकार को करीब 37,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.

परिपत्र में सरकार को इस संकट से निपटने के लिये व्यय जरूरतों को पूरा करने के वास्ते संसाधन जुटाने को लघु अवधि के कुछ सुझाव दिए गए हैं. इसमें एक सुझाव सुपर-रिच कर का है.

इसमें कहा गया है कि एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले लोगों पर 30 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिये. इसके अलावा पांच करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले लोगों पर संपदा कर या वेल्थ टैक्स लगाया जाए. लघु अवधि के लिये दिये गये इन सुझावों से तात्पर्य तीन से छह माह की अवधि है.

इस परिपत्र की प्रति पीटीआई के पास उपलब्ध है. इसमें कहा गया है कि बजट में सुपर-रिच पर जो कर- अधिभार लगाया गया है उससे सरकार को सिर्फ 2,700 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. ऐसे में सुपर-रिच के लिए कर स्लैब बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. एक करोड़ रुपये से अधिक की करयोग्य आय वाले करदाता अति- धनाढ्यों की श्रेणी में आते हैं.

यह परिपत्र 50 आईआरएस अधिकारियों के समूह ने तैयार किया है. इसमें मध्यम अवधि यानी 9 से 12 माह के दौरान अतिरिक्त राजस्व जुटाने को देश में परिचालन कर रही विदेशी कंपनियों पर अधिभार बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है. इन कंपनियों की एक से दस करोड़ रुपये की आय पर अभी दो प्रतिशत तथा 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर पांच प्रतिशत अधिभार लगता है.

अधिकारियों ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने को कोविड-19 उपकर लगाने का भी सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि एकबारगी चार प्रतिशत के कोविड राहत उपकर से जरूरी पूंजी निवेश वित्तपोषण में मदद मिलेगी. शुरुआती अनुमान के अनुसार इस तरह के उपकर से 15,000 से 18,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: वरिष्ठ कर अधिकारियों के एक समूह ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में मदद के लिए अति-धनाढ्यों पर 40 प्रतिशत कर लगाने के साथ ही विदेशी कंपनियों पर भी ऊंची दर से शुल्क लगाने का सुझाव दिया है. अधिकारियों ने अल्पकालिक उपायों के तौर पर सरकार को ये सुझाव दिये हैं.

भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) संघ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पी सी मोदी को सौंपे गये कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प एवं प्रतिक्रिया (फोर्स) शीर्षक से तैयार दस्तावेज में ये सुझाव दिये हैं. इस परिपत्र पर 23 अप्रैल की तिथि है.

इसमें कहा गया कि कर राहत सिर्फ ईमानदार और अनुपालन करने वाले करदाताओं को ही दी जानी चाहिए. विशेष रूप से ऐसे करदाताओं को जो समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं.

ये भी पढ़ें- एफपीआई ने भारतीय बाजारों से अप्रैल में अब तक 10,347 करोड़ रुपये निकाले

दस्तावेज में कहा गया है कि रिटर्न दाखिल नहीं करनले, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नहीं करने अथवा उसे रोककर रखने, फर्जी नुकसान के दावों के जरिये कर देनदारी कम करके दिखाने के कई मामले सामने आते रहते हैं.

सरकार ने कुछ दिन पहले ही खर्चों में कमी करते हुये कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि पर भी रोक लगा दी है. इससे सरकार को करीब 37,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.

परिपत्र में सरकार को इस संकट से निपटने के लिये व्यय जरूरतों को पूरा करने के वास्ते संसाधन जुटाने को लघु अवधि के कुछ सुझाव दिए गए हैं. इसमें एक सुझाव सुपर-रिच कर का है.

इसमें कहा गया है कि एक करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले लोगों पर 30 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिये. इसके अलावा पांच करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले लोगों पर संपदा कर या वेल्थ टैक्स लगाया जाए. लघु अवधि के लिये दिये गये इन सुझावों से तात्पर्य तीन से छह माह की अवधि है.

इस परिपत्र की प्रति पीटीआई के पास उपलब्ध है. इसमें कहा गया है कि बजट में सुपर-रिच पर जो कर- अधिभार लगाया गया है उससे सरकार को सिर्फ 2,700 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. ऐसे में सुपर-रिच के लिए कर स्लैब बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. एक करोड़ रुपये से अधिक की करयोग्य आय वाले करदाता अति- धनाढ्यों की श्रेणी में आते हैं.

यह परिपत्र 50 आईआरएस अधिकारियों के समूह ने तैयार किया है. इसमें मध्यम अवधि यानी 9 से 12 माह के दौरान अतिरिक्त राजस्व जुटाने को देश में परिचालन कर रही विदेशी कंपनियों पर अधिभार बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है. इन कंपनियों की एक से दस करोड़ रुपये की आय पर अभी दो प्रतिशत तथा 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर पांच प्रतिशत अधिभार लगता है.

अधिकारियों ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने को कोविड-19 उपकर लगाने का भी सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि एकबारगी चार प्रतिशत के कोविड राहत उपकर से जरूरी पूंजी निवेश वित्तपोषण में मदद मिलेगी. शुरुआती अनुमान के अनुसार इस तरह के उपकर से 15,000 से 18,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.