नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने कोरोना वायरस महामारी के असर से बचाव के लिये केंद्र सरकार से बड़े आर्थिक पैकेज की अपेक्षा की है. उद्योग संगठन सीआईआई ने सरकार को दिये सुझाव में आर्थिक पैकेज की मांग की. इसके तहत सीआईआई ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के लोगों को नकद धन हस्तांतरण के जरिये अतिरिक्त मदद दी जानी चाहिये.
संगठन ने पूरे उद्योग जगत के लिये परिचालन पूंजी के कर्ज की सीमा बढ़ाने तथा एमएसएमई व संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिये 20 प्रतिशत तक की ऋण भुगतान चूक पर सरकारी गारंटी और ऋण पुनर्गठन सुविधा का भी सुझाव दिया है. उद्योग संगठन एसोचैम ने भी इसी तरह की मांग की.
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि इस समय अब तक की सबसे बड़ी वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं हैं. इससे बचाव के लिये कम से कम 200 से 300 अरब डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की जानी चाहिये.
सूद ने कहा, "एसोचैम का मानना है कि अन्य देशों के द्वारा जीडीपी के 10 प्रतिशत के आस-पास के उपाय किये जाने की तर्ज पर देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में अगले एक-डेढ़ साल में 200 से 300 अरब डॉलर डालने की जरूरत होगी."
फिक्की ने गरीबों तथा अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों की मदद के लिये राज्यों को एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि देने का सुझाव दिया. फिक्की ने 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाले एमएसएमई को एक साल के लिये बिना सुरक्षा के ब्याजमुक्त कर्ज देने का भी सुझाव दिया.
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पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी.के.अग्रवाल ने जीडीपी के कम से कम पांच प्रतिशत के बराबर यानी 11 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की उम्मीद जाहिर की. उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही दो लाख करोड़ रुपये का पैकेज दे चुकी है. हमें अब विभिन्न उपायों के जरिये नौ लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त पैकेज की उम्मीद है.
(पीटीआई-भाषा)