बीजिंग : चीन के दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम में गुरुवार को रूस, मलेशिया, इंडोनेशिया, सर्बिया, म्यांमार और केन्या सहित तीन दर्जन देशों के प्रतिनिधि जमा हुए, हालांकि भारत इस बार भी फोरम का बहिष्कार कर रहा है. साथ ही अमेरिका ने भी इस बार फोरम का बहिष्कार किया है.
भारत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे की वजह से फोरम का बहिष्कार कर रहा है. यह गालियारा पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से होकर गुजरता है.
अमेरिका का मानना है कि चीन बेल्ट एंड रोड मुहिम के जरिये छोट देशों को 'ऋण के जाल' में फंसा रहा है.
श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को कर्ज के बदले चीन द्वारा 99 साल की लीज पर लेने के बाद चीन की आलोचना बढ़ गयी.
हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल के लिए उच्च वित्तीय मानकों को बढ़ावा देने का वादा किया है, जिससे कि उन शिकायतों को दूर करने की कोशिश की गई कि ये मल्टीबिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट विकासशील देशों पर कर्ज का बड़ा भार छोड़ देते हैं.
शी ने अपने उद्धाटन संबोधन में ऋण जाल संबंधी शिकायतों पर भी टिप्पणी करने से परहेज किया.
विकासशील देशों ने एशिया और अफ्रीका से लेकर यूरोप तक सड़कों, बंदरगाहों और अन्य सुविधाओं का निर्माण करके व्यापार के विस्तार की पहल का स्वागत किया है, लेकिन उच्च लागत वाले परियोजनाओं ने इन शिकायतों को भी जन्म दिया है कि इससे विकासशील देशों पर कर्ज का भार आ गया है.
चीन के वित्त मंत्री लिउ कुन ने कहा कि चीन मुहिम के तहत परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये स्थायी और टिकाऊ तरीके पर काम कर रहा है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार फोरम के अंतिम दिन यानी 27 अप्रैल को चीन ऋण संबंधी मुद्दों पर जानकारी साझा करेगा.
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