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BOFA ने अगले वित्त वर्ष में GDP में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि का पूर्वानुमान व्यक्त किया - जीडीपी अनुमान

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज इंडिया (बीओएफए) के अर्थशास्त्रियों ने अगले वित्त वर्ष में जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि (GDP growth) का पूर्वानुमान व्यक्त किया है.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Dec 24, 2021, 5:14 PM IST

मुंबई : वृद्धि, मुद्रास्फीति और उपभोग की मांग में मौद्रिक नीति के सामान्य होने को लेकर चिंताओं के कारण आने वाला वर्ष पिछले दो वर्ष की तुलना में अधिक जोखिम भरा रह सकता है.

वॉल स्ट्रीट की एक ब्रोकरेज कंपनी ने अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है जिसमें कई जोखिम भरे कारकों को ध्यान में रखा गया है.

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्रियों (Bank of America Securities India house economists) ने जीडीपी को लेकर अपने अनुमान में कहा है कि बीते कई वर्षों से वृद्धि का मुख्य कारक रही उपभोक्ता मांग का पटरी से उतरना सबसे बड़ा जोखिम है. उनका मानना है कि उपभोक्ताओं की मांग अगले वित्त वर्ष में भी विकास का मुख्य कारक बनी रहेगी.

मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति सामान्यीकरण के उपभोक्ता मांग पर असर को इस पूर्वानुमान में सबसे बड़े जोखिम के कारक बताते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो दर को 100 बीपीएस तक बढ़ा सकता है. उन्हें आशंका है कि इससे उपभोक्ता मांग पर बुरा असर पड़ सकता है.

पढ़ें- गोयल ने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष से की बातचीत, FTA वार्ता को गति देने पर हुई चर्चा

रिपोर्ट के अनुसार एक और बड़ा जोखिम अगले साल खराब मॉनसून का पूर्वानुमान भी है. गौरतलब है कि पिछले तीन साल मानसून अच्छा रहा, जिससे कृषि क्षेत्र को लाभ मिला.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : वृद्धि, मुद्रास्फीति और उपभोग की मांग में मौद्रिक नीति के सामान्य होने को लेकर चिंताओं के कारण आने वाला वर्ष पिछले दो वर्ष की तुलना में अधिक जोखिम भरा रह सकता है.

वॉल स्ट्रीट की एक ब्रोकरेज कंपनी ने अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है जिसमें कई जोखिम भरे कारकों को ध्यान में रखा गया है.

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्रियों (Bank of America Securities India house economists) ने जीडीपी को लेकर अपने अनुमान में कहा है कि बीते कई वर्षों से वृद्धि का मुख्य कारक रही उपभोक्ता मांग का पटरी से उतरना सबसे बड़ा जोखिम है. उनका मानना है कि उपभोक्ताओं की मांग अगले वित्त वर्ष में भी विकास का मुख्य कारक बनी रहेगी.

मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति सामान्यीकरण के उपभोक्ता मांग पर असर को इस पूर्वानुमान में सबसे बड़े जोखिम के कारक बताते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो दर को 100 बीपीएस तक बढ़ा सकता है. उन्हें आशंका है कि इससे उपभोक्ता मांग पर बुरा असर पड़ सकता है.

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रिपोर्ट के अनुसार एक और बड़ा जोखिम अगले साल खराब मॉनसून का पूर्वानुमान भी है. गौरतलब है कि पिछले तीन साल मानसून अच्छा रहा, जिससे कृषि क्षेत्र को लाभ मिला.

(पीटीआई-भाषा)

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