नई दिल्ली: रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पाद (एफएमसीजी) बनाने वाली आईटीसी, डाबर और पारले जैसी कंपनियों को प्रवासी मजदूरों के पलायस से कारखानों को चालू रखने में दिक्कत पेश आ रही है. वहीं माल की आवाजाही के लिए ट्रकों की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती बनी हई है.
डाबर इंडिया के कार्यकारी परिचालन निदेशक शाहरुख खान ने पीटीआई-भाषा से कहा कि कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर मुद्दों का समाधान कर आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाने में मदद मिली है. "लेकिन कारखानों को चलाने के लिए श्रमिकों की उपलब्धता अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. जो मजदूर अपने घरों से दूर रहकर काम कर रहे थे उनमें से अधिकतर सार्वजनिक पाबंदी के दौरान अपने घरों को लौट रहे हैं. इसलिए कारखानों को ठीक से चलाने में यह बड़ी बाधा है."
इसी तरह का अनुभव साझा करते हुए आईटीसी के प्रवक्ता ने कहा, "हमने कुछ राज्यों में अपने परिचालन के लिए अनुमति पाने में प्रगति की है. लेकिन ट्रकों की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. कारखानों में मजदूरों की कमी के साथ-साथ ट्रकों का अंतरराज्यीय आवागमन इस सार्वजनिक पाबंदी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है."
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पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने कहा, "सबसे बड़ी चुनौती मजदूरों की कमी है. कंपनियों के सामने बड़ी दिक्कत यह है कि श्रमिकों के अभाव में वह अपने कारखाने किस तरह चलाएं."
उन्होंने कहा कि कारखानों में काम करने वाले अधिकतर श्रमिक प्रवासी होते हैं. वह अपने शहरों की ओर वापस लौट रहे हैं. इसलिए उनकी कम संख्या एक बड़ी चुनौती है.
(पीटीआई-भाषा)