नई दिल्ली : शेयर ब्रोकर के संगठन एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एनमी) ने टी जमा एक निपटान प्रणाली को लेकर चिंता जताई है. उसने कहा कि इस प्रणाली के अमल में आने से भारत पूर्व-वित्तपोषित बाजार बन जायेगा. इससे वैश्विक संस्थागत निवेशकों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. वर्तमान में, भारतीय शेयर बाजारों में कारोबार का निपटान लेनदेन के बाद कामकाज के दो दिनों (टी+2) में किया जाता है.
सेबी ने बाजार की तरलता बढ़ाने की खातिर प्रतिभूति बाजार में निपटान चक्र को टी+2 से टी+1 करने पर विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.सेबी के अध्यक्ष अजय त्यागी ने पिछले साल शेयर बाजारों को पूंजी बाजार में कारोबारों के वास्तविक समय पर निपटान की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने का प्रस्ताव किया था.
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देश भर के 900 से अधिक शेयर ब्रोकर के संगठन एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया ने 28 अगस्त को सेबी को लिखे अपने पत्र में टी+1 निपटान प्रणाली के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों को लेकर चिंता जताई है. इसमें कहा गया है कि नई प्रणाली के लागू होने से दलालों के लिए कार्यशील पूंजी की आवश्यकता बढ़ेगी और बैंकों तथा डिपॉजिटरी प्रतिभागियों (डीपी) पर काम का बोझ बढ़ेगा.
एनमी ने कहा कि नई निपटान प्रणाली को लागू करने से पहले कई परिचालन और तकनीकी चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता होगी क्योंकि बाजार बुनियादी ढांचा संस्थानों (एमआईआई) के पास उपलब्ध बुनियादी ढांचा कुशलतापूर्वक पे-इन और पेआउट समय पर जारी करने और फाइलें भेजने के लिहाज से सक्षम नहीं है.
(पीटीआई-भाषा)