नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने 101 प्रकार के हथियार व रक्षा प्रणालियों/मंचों के आयात पर रोक लगाने तथा रक्षा-उत्पादन क्षेत्र में अन्य सुधारों के केंद्र सरकार के निर्णय की रविवार को सराहना की. उद्योग जगत ने इन्हें देश को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में 'लीक से हट कर' एक बड़ा कदम करार दिया और कहा कि इससे स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में तेजी आयेगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घरेलू रक्षा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिये सुधारों की एक बड़ी पहल करते हुए तोपखाने के लिए तोप, असॉल्ट राइफल और मालवाहक विमानों समेत 101 रक्षा हथियारों व उपकरणों के आयात पर रोक लगाने की घोषणा की. सिंह ने ट्वीट किया, "रक्षा मंत्रालय आत्मनिर्भर भारत पहल को तेजी से आगे बढ़ाने के लिये अब तैयार है."
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने 101 प्रकार के सामानों की सूची तैयार की है, जिनके आयात को रोकने के लिये 2020 से 2024 के दौरान चरणबद्ध तरीके से काम किया जायेगा. उन्होंने घरेलू रक्षा खरीद और बाहरी रक्षा खरीद के लिये बजट के विभाजन की भी घोषणा की. इसके अलावा उन्होंने चालू वित्त वर्ष में घरेलू रक्षा खरीद के लिये 52 हजार करोड़ रुपये के अलग बजट की भी घोषणा की.
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इन सुधारों का स्वागत करते हुए कहा कि रक्षा प्रणालियों व उपकरणों के आयात को रोकने के लिये रक्षा मंत्री के द्वारा घोषित सूची आत्मनिर्भर भारत के लिये नये मार्ग का सृजन करेगी.
उन्होंने कहा, "घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 52 हजार करोड़ रुपये की घोषणा के साथ ही आयात रोक के लिये 101 वस्तुओं की सूची से आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा मिला है."
सीआईआई ने कहा, "आज का दिन रक्षा और एयरोस्पेस में भारतीय उद्योग के लिये एक ऐतिहासिक दिन है. रक्षा मंत्री को हम यह आश्वासन दे सकते हैं कि इससे भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग ऊपर उठेगा और चुनौती को पूरा करेगा."
फिक्की की रक्षा समिति के अध्यक्ष एसपी शुक्ला ने कहा कि यह कदम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ी छलांग है. शुक्ला ने ट्वीट किया, "फिक्की आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिये 101 प्रकार के साजो सामान की सूची की घोषणा की सराहना करता है. यह रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भ भारत के लिये एक बड़ी छलांग है."
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "घरेलू पूंजीगत खरीद के लिये 52 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान एक शानदार कदम है. यह रक्षा खरीद के ममाले में एक लम्बी अवधि की राह स्पष्ट किए जाने के फिक्की की रक्षा समिति के अनुरोध को पूरा करता है. उद्योग अब अपने पूंजीगत व्यय और उत्पादन क्षमता की योजना बना सकता है."
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि भारत सशस्त्र बलों के लिये हथियारों, गोला बारूद और उच्च प्रौद्योगिकी प्रणालियों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता सबसे वांछित नीतिगत पहल है.
उन्होंने कहा, "रक्षा उत्पादन में क्षमता वृद्धि न सिर्फ घरेलू उद्योग के लिये एक महान आर्थिक अवसर प्रदान करती है, बल्कि तेजी से बदल रही भू-राजनीतिक स्थिति में देश को एक बड़ा रणनीतिक लाभ देती है."
(पीटीआई-भाषा)